
नई दिल्ली। हिन्दुस्तान जिंक ने इस साल IITF 2025 में सिर्फ एक स्टॉल नहीं लगाया… बल्कि देश को एक ऐसा संदेश दिया, जो हर उस धातु, हर उस पुल, हर उस वाहन और हर उस सपने से जुड़ा है जो समय के साथ जंग की मार झेलते हैं। कंपनी ने अपनी पूरी दिल से बनाई गई ‘जंग के खिलाफ जिंक’ नीति को इस तरह सामने रखा कि उसे देखने, समझने और महसूस करने के बाद कोई भी बिना सोचे नहीं रह सकता—जंग सिर्फ लोहे को नहीं खाती, बल्कि हम सबकी मेहनत, पैसा और प्रगति को भी धीरे-धीरे निगल जाती है।
IITF में लोगों की भीड़ उस मोड़ पर जैसे ठिठक जाती थी, जहाँ एक पुरानी प्रिया स्कूटर दो हिस्सों में बंटी खड़ी थी।
एक हिस्सा—खाया हुआ, थका हुआ, जंग से हार चुका।
और दूसरा—गैल्वनाइजेशन की वजह से चमकता, टिकाऊ और नए जैसी उम्र लिए हुए।
इस दृश्य ने लोगों के भीतर वही भाव जगाया जो किसी पुरानी, प्रिय चीज़ को बचा पाने की इच्छा जगाती है।
जैसे यादों से भऱी स्कूटर…जैसे पुल, जिसके ऊपर से हम रोज़ गुजरते हैं…
या जैसे वो स्टील की संरचनाएँ जिन पर भविष्य की पीढ़ियाँ खड़ी होंगी।
हिन्दुस्तान जिंक की जंग-रोधी नीति सिर्फ तकनीकी समाधान नहीं है; यह एक भावना है—
एक संकल्प कि देश की चीज़ें, देश का इंफ्रास्ट्रक्चर, देश के सपने, जंग के आगे झुकेंगे नहीं।
इसी एहसास ने 1 लाख से भी ज्यादा लोगों को कंपनी के स्टॉल तक खींच लाया।
लोग सिर्फ देखने नहीं आए, बल्कि सीखने आए—कि जिंक क्यों ज़रूरी है, गैल्वनाइजेशन कैसे काम करता है, और क्यों यह देश के विकास के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना किसी नींव का मजबूत होना।
लगभग दो हजार लोगों ने क्विज में हिस्सा लिया, और हर उत्तर के बाद उनके चेहरे पर वही चमक दिखती थी—“अच्छा… तो जंग को रोकना इतना सरल और इतना शक्तिशाली तरीका है!”
खनन मंत्रालय की संयुक्त सचिव फरीदा नाइक जब स्टॉल से गुज़रीं तो उन्होंने बिना झिझक कहा—“जंग के खिलाफ जिंक बिल्कुल वैसा ही है जैसा जनता तक पहुंचना चाहिए—साफ, असरदार और दिल को छू लेने वाला।”
उनके शब्दों में वही भाव था, जो इस नीति को लेकर हिन्दुस्तान जिंक की सोच में है।
कंपनी के सीईओ अरुण मिश्रा ने भी यही बात दोहराई—कि जंग रोकना कोई छोटी चीज़ नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण जितना ही बड़ा काम है। उन्होंने कहा, “अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें जंग को हराना होगा। गैल्वनाइजेशन कोई विकल्प नहीं… यह आवश्यकता है।”
इसी जुनून के साथ कंपनी ने अपनी गैल्वनाइजेशन जागरूकता ड्राइव, एआर–वीआर माइन टूर, क्रिटिकल मिनरल्स इंस्टॉलेशन, और सामाजिक परियोजनाओं के जरिए यह संदेश दिया कि विकास सिर्फ इमारतों और मशीनों का नहीं होता…विकास होता है सुरक्षा का, टिकाऊपन का, और उस भरोसे का जो आने वाली पीढ़ियाँ हमारी रचना पर रखेंगी।
IITF 2025 में हिन्दुस्तान जिंक की उपस्थिति एक याद दिलाती है—कि जंग भले चुपचाप लगता है, पर उसे हराने का तरीका हमारे हाथ में है। और हिन्दुस्तान जिंक अपनी ‘जंग के खिलाफ जिंक नीति’ के साथ इस लड़ाई में सिर्फ सहभागी नहीं, बल्कि अग्रदूत है।
यह नीति कहती है—”जब तक हम हैं, भारत का भविष्य जंग से नहीं हारेगा।”
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