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शिल्पग्राम उत्सव–2025 में लोक रंगों की बेमिसाल महफ़िल : हरियाणा के ‘धमाल’ ने दिलों के तार छेड़े, देशभर की लोक-संस्कृतियों ने रच दिया जादू


उदयपुर। शिल्पग्राम उत्सव–2025 की रौनकें शनिवार की शाम उस वक़्त अपने उरूज पर पहुंच गईं, जब मुक्ताकाशी मंच पर हरियाणा के मशहूर लोकनृत्य ‘धमाल’ ने समां बांध दिया। ताल, लय और जोश से लबरेज़ इस नृत्य ने ऐसा समा बांधा कि हर दिल थिरक उठा। दर्शकों की जुबां पर बस एक ही बात थी— “धमाल है… कमाल है!”

महाभारत काल से चली आ रही अहीर समाज की इस परंपरा में खेतों की खुशहाली, मेहनत की मिठास और जीवन का उल्लास झलकता है। ढोल, ताशा, नगाड़ा और बीन की गूंज के साथ जब कलाकारों ने लाठियों और डफ की थाप पर कदम मिलाए, तो पूरा मुक्ताकाशी मंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

शाम को और भी रंगीन बनाते हुए पश्चिम बंगाल का राय बेंसे और नटुआ नृत्य अपनी कलात्मक युद्ध शैली के साथ मंच पर उतरा। महाराष्ट्र की लावणी में नर्तकियों के हाव-भाव और श्रृंगार ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उत्तर प्रदेश के ढेड़िया नृत्य की तालबद्धता और राजस्थान के कालबेलिया नृत्य में नर्तकियों की अद्भुत कलाबाज़ी ने हर किसी को हैरत में डाल दिया।

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया छाऊ नृत्य में जब रामायण और महाभारत के दृश्य सजीव हुए, तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा। वहीं सिद्दी धमाल की रोमांचक प्रस्तुति और कर्ण ढोल की गूंज ने दर्शकों को रोमांच से भर दिया।

उत्तराखंड का छपेली नृत्य अपनी मासूम शरारतों से मुस्कान बिखेरता रहा, तो असम का बिहू अपनी सांस्कृतिक खुशबू छोड़ गया। जम्मू का डोगरी जगरना, राजस्थान का सहरिया स्वांग, मणिपुर का थांग-ता और पंजाब का जोशीला भांगड़ा—हर प्रस्तुति ने शिल्पग्राम को लोक-संस्कृति का जीवंत संसार बना दिया।

कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित और माधुरी शर्मा ने सधे हुए अंदाज़ में किया।

‘हिवड़ा री हूक’ ने दिलों को छुआ

बंजारा मंच पर चल रहे ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुतियों से हर उम्र के दर्शकों का दिल जीत लिया। कार्यक्रम संयोजक सौरभ भट्ट की प्रश्नोत्तरी ने माहौल को और दिलचस्प बना दिया।

थड़ों पर बिखरी लोकधुनें

शिल्पग्राम के हर कोने में लोकसंस्कृति की खुशबू फैली रही। कहीं गेर, कहीं भवई, कहीं मांगणियार गायन तो कहीं कठपुतली और आदिवासी नृत्य—हर कदम पर संस्कृति मुस्कुराती नज़र आई। बहरूपियों की अदाकारी और खूबसूरत झोंपड़ियां सैलानियों के लिए खास आकर्षण बनी रहीं।

आज की खास पेशकश (रविवार)

आज शाम मुक्ताकाशी मंच पर गुजरात और राजस्थान का डांग, राजस्थान का मोहक घूमर, ब्रज का मनभावन मयूर नृत्य, मेवात का भपंग वादन और सिद्धि धमाल दर्शकों को झूमने पर मजबूर करेंगे। साथ ही तबला, पखावज, ढोलक, नगाड़ा, सारंगी और सितार की मधुर जुगलबंदी के साथ ताल कचहरी भी सजेगी।

इसके अलावा सिक्किम का सिंघी छम, ओडिशा का गोटीपुआ, असम का बिहू और पंजाब का भांगड़ा भी दर्शकों को लोक रंगों में सराबोर करेंगे।

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