जयपुर। राजस्थान में स्वाभिमान बचाने के लिए लोगों ने सर झुकाने की बजाय शहादत को गले लगाया। यह राजस्थान की परंपरा रही है, लेकिन मौजूदा दौर में भाजपा के क्षत्रप अपने स्वाभिमान को नहीं बचा पा रहे हैं। भाजपा के नेताओं को वही करना पड़ रह है जो ऊपर से निर्देश जारी किए जा रहे हैं।
ऐसा परिवर्तन संकल्प यात्रा में देखने को मिल रहा है। केंद्र के निर्देश पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने चारों यात्राओं के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लिया और फिर जे पी नड्डा और अमित शाह के निर्देश पर भाजपा कार्यालय जाकर चुनावी अभियान की तैयारियों में शामिल हुईं। सबसे पहले विपक्ष के उपनेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने गोगामेड़ी सभा में वसुंधरा और उनकी सरकार के कार्यों की प्रशंसा करने का कार्य किया । सूत्रों के अनुसार ऐसा केंद्रीय संगठन के दबाव के चलते किया गया। इसको राजनीति ने जानकारों ने आश्चर्य के रूप में देखा। हकीकत यह है कि पिछले तीन सालों में दोनों नेताओं के बीच तल्खी देखी है।
अब बाकी के सभी क्षत्रप नेताओं पर भी दबाव बढ़ गया है कि वे भी पार्टी लाइन की मुख्यधारा में ही रह कर कार्य करें। अपने “पर्सनल एजेंडा” नहीं चलाएं। अब परिवर्तन यात्रायें अपने आगामी पड़ावों की तरफ बढ़ रही है , उन्हें भी पार्टी की एकता का प्रदर्शन करते हुए वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया की तरह केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशों के चलते सरेंडर करना पड़ सकता है।
निवाई में प्रियंका की रैली में एक ही मंच पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मौजूद रहकर केंद्र की सरकार पर गम्भीर और तीखे हमले किए। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सख्त निर्देश जारी कर राजस्थान भाजपा को शीघ्र एकजुट होने के लिये कहा गया है और इसके पालना की रिपोर्ट प्रतिदिन केंद्रीय भाजपा को भेजी जा रही है। केंद्रीय संगठन रोज समीक्षा करके केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करवा रहा है। परीवर्तन यात्रा की रिपोर्ट भी प्रतिदिन केंद्रीय संगठन को भेजी जा रही है।
इसमें भाग लेने वाले नेताओं की सभा और स्वागत इत्यादि की रिपोर्ट भी शामिल है। जिन स्थानों पर कम संख्या रहेगी , उन स्थानों के नेताओं को भी नोटिस देकर कारण पूछे जायेंगे। जहां जहां टकराव जैसी स्थितियां पाई जायंगी , वहां बड़े नेताओं को भेजकर रिपोर्ट मंगवाने के लिए निर्देशित कर दिया है।
सूत्रों के अनुसार 25 सितंबर को जयपुर में होनेवाली विशाल सभा को सफल बनाने के चलते कई कठोर निर्णय किए जा रहे हैं। किसी भी नेता का पार्टी लाइन से बाहर जाकर दिये गए बयान पर भी अविलंब एक्शन लिया जायेगा, ऐसा सभी जिलाध्यशों, विधायकों, मंत्रियों को बोल दिया गया है। स्वाभिमान बचनेवके लिए सभी नेता अपने काम लगे हुए हैं। आने वाले कुछ ही दिनों में पार्टी पदाधिकारियों पर काम का बोझ बढ़ेगा।
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