शाही लवाजमे के साथ सिटी पैलेस से भट्टियानी चौहट्टा महालक्ष्मी मंदिर पहुंचे मेवाड़ का जगह-जगह किया स्वागत

उदयपुर। दीपावली पर्व पर रविवार को मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भट्टियानी चौहट्टा स्थित महालक्ष्मी मंदिर में विशेष पूजा अर्चना कर मेवाड़ की सुख-समृद्धि की कामना की। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ सीटी पैलेस से शाही लवाजमे के साथ इस प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर पहुंचे। उन्होंने राजशाही लवाजमे और मेवाड़ी पारंपरानुसार महालक्ष्मी का पूजन किया। मेवाड़ राजपरिवार 460 साल प्राचीन इस महालक्ष्मी मंदिर में पूजन करने की परंपरा का निर्वहन करता आ रहा है।
महाराणा जगतसिंह के कार्यकाल में यह महालक्ष्मी मंदिर बना था। प्राचीन परंपराओं को आज भी पूरी शिद्दत से मनाने वाले डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के साथ उनकी पुत्री मोहलक्षिका कुमारी मेवाड़ व प्राणेश्वरी कुमारी मेवाड़ और पुत्र हरितराज सिंह मेवाड़ ने भी महालक्ष्मी मंदिर में पूजा-अर्चना की। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के साथ दर्शन करने कई ठिकानो के प्रतिनिधि भी पहुंचे। इसके बाद मेवाड़ ने हनुमान मंदिर में भी दर्शन कर पूजन किया। इस दौरान डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ का जगह-जगह स्वागत किया और मेवाड़ ने सभी का अभिवादन स्वीकार करते हुए आभार व्यक्त किया।

-460 साल प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर
भटियानी चौहट्टा स्थित महालक्ष्मी मंदिर करीब 460 साल प्राचीन है। इस मंदिर का निर्माण जगदीश मंदिर के निर्माण के समय तत्कालीन महाराणा जगत सिंह के कार्यकाल में हुआ। जगदीश मंदिर का निर्माण होते समय महालक्ष्मी मंदिर बना दिया गया।
इस मंदिर से भी बची सामग्री से गणपति मंदिर बनाया गया। उस समय मां लक्ष्मी की प्रतिमा भीनमाल से लाई गई थी। हाथी पर विराजित प्रतिमा सफेद पत्थर पर उकेरी गई है, जो भक्तों को आकर्षित करती है।
About Author
You may also like
-
आयुर्वेद सेवाओं में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान समारोह : बड़गांव ब्लॉक के चिकित्सा कर्मियों का भव्य अभिनंदन
-
मुंबई साइबर क्राइम के नाम पर ₹80 लाख की ठगी, मुख्य खाताधारक गिरफ्तार
-
उदयपुर में भारी बारिश की चेतावनी के चलते 30 और 31 जुलाई को स्कूलों में अवकाश घोषित…जारी हुए आदेश
-
हर-हर महादेव की गूंज से गूंज उठा उदयपुर : गंगाजल से भरे पीतल के कलश के साथ 11 हजार कांवड़ियों की आस्था यात्रा
-
मिशन हरियालो राजस्थान: सीआईडी ज़ोन कार्यालय उदयपुर में 100 पौधों का रोपण