छात्राओं की अधिक संख्या को बताया देश व समाज के भविष्य के लिए शुभ लक्षण
उद्यमिता को बढ़ावा देने वाली शिक्षा का हो विकास- राज्यपाल
उदयपुर। राज्यपाल कलराज मिश्र ने गुरुवार को मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 31वें दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए सन 2047 तक देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालयों पाठ्यक्रमों को उद्यमिता आधारित रोजगारोन्मुखी किए जाने पर जोर दिया है।
उन्होंने कहा की नौकरी प्राप्त करने की बजाय नौकरी प्रदान करने वाले युवाओं के लिए उच्च शिक्षा में अधिकाधिक कार्य हो।
राज्यपाल श्री मिश्र ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कक्षा 6 से स्किल डवलपमेंट पाठ्यक्रम प्रारम्भ किए जाने का प्रावधान है। इससे नई पीढ़ी को समय पर एक दिशा मिल जाएगी जिससे वे अपने कैरियर निर्माण सही ढंग से कर पाएंगे।
विश्वविद्यालयों में भी उसी अनुरूप पाठ्यक्रम निर्माण करना आज की आवश्यकता है। स्टार्टअप के क्षेत्र में समूचे विश्व में भारत के अग्रणी होने की बात रेखांकित करते हुए उन्होने कहा कि पढ़ाई के पश्चात युवाओं को आत्मनिर्भर बनने की योग्यता विकसित करनी होगी।
श्री मिश्र ने कहा कि प्राचीन भारतीय गुरूकुल शिक्षा पद्दति में छात्र को सभी विषयों में निष्णात किया जाता था। छात्र के सर्वांगीण विकास पर चर्चा करते हुए उसे आचरण में उतारने की शिक्षा दी जाती थी। मेरा आग्रह है कि विश्वविद्यालय में प्राप्त शिक्षा राष्ट्र व समाज के लिए अधिकाधिक उपयोगी सिद्ध हों, ऐसे कार्य करें। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त का अवसर शिक्षा का अंत नहीं बल्कि नवजीवन में समावर्तन का अवसर है। दीक्षान्त समारोह के अवसर पर श्री मिश्र ने विश्वविद्यालय के नवीन बहुमंजिला प्रशासनिक भवन एवं मल्टीपरपज परीक्षा ब्लॉक की आधारशिला रखी।
दीक्षान्त समारोह में गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय, गांधीनगर के कुलपति प्रो. रमाशंकर दुबे ने दीक्षान्त भाषण दिया। सुखाड़िया विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सुनिता मिश्रा ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन वाचन किया।
छात्राओं के अग्रणी रहने पर जताई प्रसन्नता
दीक्षान्त समारोह में कुल 115 पदकों में से 88 पदक छात्राओं ने हासिल किए। 186 उपाधियों में से 100 उपाधियां छात्राओं को मिलीं। छात्राओं की अधिक संख्या पर प्रसन्नता जताते हुए श्री मिश्र ने कहा कि नारियों के सम्मान की परम्परा वाले इस देश में शिक्षा के क्षेत्र में छात्राओं का अग्रणी रहना एक शुभ लक्षण है। उन्होने प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में महिला कुलपतियों की नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि आज देश की नारियों हर क्षेत्र में नेतृत्व कर रही हैं।
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