उदयपुर लोकसभा सीट : बीजेपी के मन्नालाल रावत ने शानदार जीत दर्ज की, यहां कांग्रेस का खेल खत्म, अगले चुनावों में यहां भी बाप देगी बीजेपी को टक्कर

फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। लोकसभा चुनाव-2024 में लगातार तीसरी बार बीजेपी ने भारी अंतर से कांग्रेस को हराया है। उदयपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मन्नालाल रावत ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व कलेक्टर ताराचंद मीणा को ढाई लाख से अधिक वोटों के बड़े अंतर से हराया है। लगातार हार रही कांग्रेस के लिए अब उदयपुर में कांग्रेस का खड़ा होना मुश्किल लग रहा है। अगले लोकसभा चुनावों में उदयपुर लोकसभा सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) ही टक्कर देगी।

मन्नालाल रावत की जीत

मन्नालाल रावत की जीत भाजपा के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने 2.5 लाख से अधिक वोटों के अंतर से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के ताराचंद मीणा को हराया। रावत ने अपने चुनाव प्रचार में विकास, सुशासन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को प्रमुखता से उठाया। उनके प्रचार अभियान में स्थानीय मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया गया, जिससे उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिला।

कांग्रेस की स्थिति

उदयपुर सीट पर कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले तीन चुनावों से निराशाजनक रहा है। इस बार भी कांग्रेस अपने उम्मीदवार के माध्यम से कोई विशेष प्रभाव नहीं छोड़ पाई। पार्टी की आंतरिक कलह, कमजोर संगठन और प्रभावी नेतृत्व की कमी के कारण कांग्रेस लगातार इस सीट पर हारती आ रही है।

चुनाव प्रचार और रणनीति

मन्नालाल रावत और भाजपा ने एक सुनियोजित रणनीति के तहत चुनाव प्रचार किया। उन्होंने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया और हर वर्ग के मतदाताओं तक पहुंच बनाई। भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में डिजिटल माध्यमों का भी बखूबी इस्तेमाल किया और युवाओं को जोड़ने में सफल रही।

भविष्य की चुनौतियाँ

भाजपा के लिए यह जीत जहां एक बड़ी सफलता है, वहीं मन्नालाल रावत के लिए अब चुनौतियाँ भी सामने हैं। उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों को गति देनी होगी और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना होगा। कांग्रेस को भी अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और संगठन को मजबूत करना होगा, ताकि भविष्य में बेहतर प्रदर्शन कर सके।

निष्कर्ष

उदयपुर लोकसभा सीट पर मन्नालाल रावत की जीत भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है और कांग्रेस के लिए बड़ा झटका। यह जीत भाजपा की मजबूत संगठनात्मक क्षमता और प्रभावी चुनावी रणनीति का परिणाम है। वहीं, कांग्रेस को अपनी कमजोरियों को दूर कर भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होना होगा।

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