उदयपुर। नैला तालाब में मछलियों के मरने से सबक लेते हुए समस्त झीलों -तालाबों में दिन रात एयरेटर फव्वारे चलाने चाहिए। वहीं, इन जल स्रोतों को कचरे व प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त रखना चाहिए।
यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किए गए। संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने जोगी तालाब, नैला तालाब तथा गोवर्धन सागर का निरीक्षण कर उनकी पर्यावरणीय स्थिति को देखा।
संवाद में झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि मछलियों को जीवित रहने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन चाहिए। कार्बनिक कचरे, गंदे पानी के प्रवाह से जल स्रोतों में ऑक्सीजन कम हो जाती है । बरसात के मौसम में जब कुछ दिन बादल छाए रहते हैं, पर्याप्त सूर्य प्रकाश नही होती , उमस बढ़ जाती है तब मछलियों के जीवन पर संकट आ जाता है। पौधो की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बाधित होती हैं तथा इस प्रक्रिया से मिलने वाली ऑक्सीजन भी नही मिल पाती हैं । बरसाती पानी के प्रवाह के साथ आने वाली कार्बनिक गंदगी घुलनशील ऑक्सीजन को कम कर देती है।
मेहता ने कहा कि नैला सहित अन्य झीलों तालाबों में मछलियां नही मरे , इसके लिए तुरंत जल में एयरेशन बढ़ाना होगा। एयरेटर स्थापित करने होंगे व खासकर रात्रि में निरंतर एयरेटर चलाने होगें।
झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि नैला तालाब में जगह जगह कचरा पड़ा है। पानी भर जाने पर यह कचरा जलमग्न हो जायेगा व पैंदे को सड़ाएगा। प्रशासन को तुरंत तालाब पेटे में पड़े समस्त कचरे को हटाना चाहिए। पालीवाल ने कहा कि उदयपुर में कभी भी बैंगलोर की तरह जल अकाल व जल प्रलय की स्थितियां नही बने, इसके लिए समस्त छोटे तालाबों को बचाना जरूरी है।
गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि जोगी तालाब समीप सड़क पर स्थित सरकारी विद्यालय के पीछे की तरफ का समस्त क्षेत्र इस तालाब का अत्यंत समीप का केचमेंट क्षेत्र है। लेकिन तालाब के इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्लॉटिंग होकर भूखंड बिक रहे हैं। यदि इसे नही रोका गया तो भविष्य में यह साफ व खूबसूरत तालाब गंदगी का टैंक बन जायेगा।
अभिनव संस्थान के निदेशक कुशल रावल ने कहा कि वर्ष 2007 में राजस्थान उच्च न्यायालय ने डॉ तेज राजदान बनाम राज्य सरकार प्रकरण में समस्त छोटे तालाबों के हाइड्रोलॉजिकल, लिम्नोलोजिकल तथा इकोलोजिकल संरक्षण के निर्देश दिए हुए हैं। लेकिन आदेश की अवेहलना हो रही है।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने कहा कि नैला तालाब की स्टोन पिचिंग जगह जगह से खराब हो गई हैं । पिचिंग के पत्थर बाहर निकल गए हैं। इसे तुरंत ठीक कराना चाहिए।
नैला क्षेत्र के पर्यावरण कार्यकर्ता जयंत पालीवाल ने कहा कि नैला तालाब व अन्य छोटी झीलों को स्वस्थ, सुंदर व सुरक्षित बनाने के लिए जन प्रतिनिधियों , प्रशासनिक अधिकारियों व नागरिकों को मिल कर प्रयास करने होंगे।
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