फोटो : कमल कुमावत
उदयपुर। आज सुबह एक खबर पढ़ी, देखी और सुनीं तो दिल काे सुकून हुआ है कि मेरा भारत कितना महान है। दरअसल यह खबर उस शहर की है, जहां देश की पहली सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। जी हां मुंबई में होटल मालिक अब्बास और उनके भाई ने अपने यहां काम करने वाले राजू उर्फ राजेंद्र सिंह शेखावत को 28 साल बाद अपने परिवार से मिलवाया जो आपसी विवाद में घर छोड़कर निकल गए थे। यह इतना भावुक पल था कि राजेंद्र शेखावत, उनका परिवार, मालिक के साथ इस स्टोरी को कवर करने वाले रिपोर्टर की भी आंखें नम थीं।
इस कहानी के पढ़ने के कुछ ही घंटे बाद दुनिया के सबसे खूबसूरत शहरों शामिल उदयपुर से दसवीं कक्षा के छात्रों के बीच चाकूबाजी की घटना ने उदयपुर में हिंसा फैला दी। इसकी वजह यह थी कि एक ही क्लास में सालों से पढ़ने वाले इन छात्रों के धर्म अलग थे। किसी भी सूरत में यह सांप्रदायिक घटना नहीं थी। दोनों ही बच्चे नाबालिग थे। हमलावर नाबालिग जिस समुदाय का था, अपना शर्ट फाड़कर पीड़ित छात्र के घाव पर पट्टी बांधने और उसे अस्पताल पहुंचाने वाला भी उसी समुदाय से ताल्लुक रखता है। लेकिन इस तथ्य को इग्नोर कर दिया गया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए हमलावर छात्र और उसके पिता को गिरफ्तार कर लिया।
व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैला दी गई कि कन्हैयालाल हत्याकांड की तरह ही समुदाय विशेष के युवक ने दूसरे समुदाय के युवक की हत्या कर दी। यह सुनकर उदयपुर के अस्पताल में कुछ खास लोगों की भीड़ जमा हो गई। नारेबाजी होने लगी। फिर युवाओं के झुंड बाजार बंद करवाने निकल पड़े। समुदाय विशेष के इलाकों को टारगेट किया गया। एक गैराज में और कुछ गाड़ियों में आग लगा दी गई। इससे शहर में दहशत का माहौल बन गया। इससे पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे। कलेक्टर को दिन में दो बार लोगों से अपील करनी पड़ी कि वे किसी भी अफवाहों में नहीं आएं बल्कि प्रशासन की मदद करें और अफवाह फैलाने वालों की सूचना पुलिस को देवें। रात तक स्थिति प्रशासन के कंट्रोल में आ गई।
अब सवाल यह है कि जो लोग सड़कों पर हिंसा करने उतरे थे वो कौन हैं? क्या उन्हें किसी ने उकसाया था या वे खुद नफरती माहौल से प्रेरित थे। पुलिस ने कई लोगों को कैमरे में कैद किया है। यह एक नेरेटिव गड़ा गया है कि भीड़ का या मॉब का कोई चेहरा नहीं होता है। दरअसल भीड़ में कई चेहरे दिखाई देते हैं, जिनकी पहचान करने वाला चाहिए। ऐसे लोगों को सजा तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पुलिस और प्रशासन की है। उम्मीद है कि पुलिस उनका भी हिसाब लेगी।
बहरहाल घटनाक्रम पर नजर रखने के लिए पुलिसकर्मी तो मैदान में थे ही, कलेक्टर अरविंद पोसवाल, एसपी योगेश गोयल हर जगह मौजूद रहे और लोगों से शांति की अपील करते रहे। वहीं शहर विधायक ताराचंद जैन, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, सांसद मन्नालाल रावत, राज्यसभा सांसद चुन्नीलाल गरासिया, उपमहापौर पारस सिंघवी, बीजेपी के जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, पूर्व पार्षद दिनेश गुप्ता, अशोक सिंघवी, बीजेपी नेता प्रमोद सामर सहित अन्य नेता अस्पताल और प्रशासन के साथ मीटिंग में मौजूद रहे।
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