
उदयपुर। पर्यटन नगरी उदयपुर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विश्वस्तरीय रूप देने का दावा किया गया था। ऐतिहासिक धरोहरों से लेकर मुख्य दरवाज़ों तक को सजाने-संवारने पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। इन्हीं में से एक है सूरजपोल दरवाजा, जिसे विशेष रूप से पेंटिंग और लाइटिंग से संवारकर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाया गया। लेकिन हकीकत में स्मार्ट सिटी की चमक-दमक के पीछे सुरक्षा इंतज़ाम की पोल खुलती नज़र आ रही है।
सिरफिरे ने दीवार पर किए रगड़े
ताज़ा मामला चौंकाने वाला है। सूरजपोल गेट पर लगे स्मार्ट पोल और सजाई-संवारी दीवार पर किसी सिरफिरे ने दिनदहाड़े रगड़ मार दी। न तो किसी ने उसे रोका, न ही जिम्मेदारों ने ध्यान दिया। नतीजा यह हुआ कि पूरी मेहनत से बनाई गई खूबसूरती कुछ ही मिनटों में बिगड़ गई।
सवालों के घेरे में निगरानी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हर बड़े दरवाजे और ऐतिहासिक धरोहर के आसपास सीसीटीवी कैमरे और निगरानी सिस्टम लगाने का दावा किया गया था। लेकिन इस घटना ने साफ कर दिया कि या तो कैमरे काम नहीं कर रहे या फिर उनकी मॉनिटरिंग नहीं हो रही। लोग सवाल उठा रहे हैं—”जब इतनी बड़ी रकम खर्च की गई है तो आखिर सुरक्षा इंतज़ाम कहाँ हैं?” “पर्यटन नगरी की पहचान बने दरवाज़ों की निगरानी कौन कर रहा है?”
स्थानीय लोगों की नाराज़गी
स्थानीय लोगों का कहना है कि सूरजपोल जैसे ऐतिहासिक दरवाज़े उदयपुर की धरोहर और पर्यटन की पहचान हैं। यहां रोज़ाना सैकड़ों पर्यटक तस्वीरें खिंचवाने आते हैं। लेकिन जब सुरक्षा ही नहीं होगी तो इस तरह की घटनाएँ बार-बार होंगी और शहर की साख पर असर पड़ेगा।
स्मार्ट सिटी या सिर्फ दिखावा?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत उदयपुर को विश्वस्तरीय पर्यटन नगरी बनाने का सपना दिखाया गया था। गेटों की मरम्मत, कलात्मक पेंटिंग, पोल्स पर सजावट और रोशनी—सब कुछ किया गया। लेकिन सुरक्षा और निगरानी पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा यह हुआ कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद ये धरोहरें असुरक्षित हैं।
बड़ा सवाल
क्या स्मार्ट सिटी सिर्फ सजावट का नाम है?
क्या करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी सुरक्षा इंतज़ाम नहीं किए जाएंगे?
क्या प्रशासन हरकत में आएगा या फिर यह सब ऐसे ही चलता रहेगा?
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