
उदयपुर। पढ़ाने-लिखाने वाले पेशे से जुड़ा एक व्यक्ति जब अपराध की दुनिया में कदम रखता है, तो उसका अपराध समाज को और भी झकझोर देता है। ऐसा ही हुआ उदयपुर के पाटिया थाना क्षेत्र में, जहां एक सरकारी शिक्षक अपने पाँच साथियों संग मिलकर एक खौफनाक हत्याकांड का मास्टरमाइंड बन बैठा।
12 अगस्त 2025 की रात। गांव का ही युवक नवीन भगोरा अपने दोस्त संग घर लौट रहा था। मालीफला पंचायत पूल के पास अचानक उनकी गाड़ी पर हथियारबंद गिरोह टूट पड़ा। कुल्हाड़ियों, लाठियों और लोहे की रॉड से लैस इन बदमाशों ने नवीन को खींचकर सड़क पर गिराया और बेरहमी से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी।
यह कोई साधारण झगड़ा नहीं था—यह सोची-समझी दुश्मनी का अंजाम था। पुलिस जांच में सामने आया कि नवीन और हत्यारोपी पहले दोस्त थे। लेकिन पुरानी रंजिश इतनी गहरी हो गई कि दोस्ती खून में बदल गई। इस रंजिश का सूत्रधार था गांव का ही जहेश, जो पेशे से एक सरकारी शिक्षक है।
“शिक्षक” से “अपराधी” तक
जहेश, जिसे गांव के लोग पढ़े-लिखे और संस्कारी मानते थे, दरअसल भीतर ही भीतर बदले की आग में जल रहा था। उसने अपने दोस्तों—बालकृष्ण, शैलेश, ब्रजेश, धर्मेन्द्र और गणेशलाल—को साथ मिलाया और नवीन की हर गतिविधि पर नज़र रखनी शुरू कर दी।
अंततः उसने ही तय किया कि कब और कैसे हमला करना है। उसी की योजना पर अमल करते हुए 10-15 हथियारबंद लोग घात लगाकर बैठे और नवीन की हत्या कर दी।
पुलिस की कड़ी मेहनत
हत्या के बाद गांव में दहशत का माहौल था। लेकिन उदयपुर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया। एसपी योगेश गोयल के आदेश पर बनी विशेष टीम ने चार दिन तक खाक छानी, आधुनिक तकनीक और खुफिया नेटवर्क का इस्तेमाल किया। अंततः सभी छह आरोपियों को खडकाया के जंगलों से दबोच लिया गया।
गांव में सदमा
एक शिक्षक का इस हत्याकांड में शामिल होना पूरे इलाके के लिए हैरानी और सदमे की बात है। लोग कह रहे हैं कि “जिस पर भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी थी, वही मौत का सौदागर बन गया।”
फिलहाल छहों आरोपी सलाखों के पीछे हैं और पुलिस मामले की तह तक पहुंचने के लिए आगे की जांच कर रही है।
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विशेष टीम ने 4 दिन में किया खुलासा
मामले की गंभीरता को देखते हुए उदयपुर पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल ने तुरंत एक विशेष जांच दल का गठन किया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अंजना सुखवाल और वृताधिकारी राजीव राहर के मार्गदर्शन में पाटिया थानाधिकारी देवेंद्र सिंह राव ने अपनी टीम के साथ मिलकर काम शुरू किया। टीम ने आधुनिक तकनीक और खुफिया जानकारी का इस्तेमाल करते हुए सिर्फ चार दिनों के भीतर सभी छह आरोपियों की पहचान कर उन्हें खडकाया के जंगलों से गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान बालकृष्ण पुत्र अमृतलाल, शैलेश कुमार पुत्र जीवा, ब्रजेश पुत्र लक्ष्मण, लाल धर्मेन्द्र कुमार पुत्र थावरचन्द, गणेशलाल पुत्र अरजी और पेशे से शिक्षक जहेश पुत्र अमृतलाल निवासी मालीफला उखेड़ी थाना पाटिया के रूप में हुई है। इस सफलता के लिए पुलिस टीम की काफी सराहना हो रही है, और मामले में आगे की जांच जारी है।
यह सफल ऑपरेशन पाटिया पुलिस की एक अनुभवी और मेहनती टीम ने पूरा किया। इस टीम का नेतृत्व थानाधिकारी देवेन्द्र सिंह राव ने किया। टीम में उप-निरीक्षक वाहिद हुसैन, प्रभुलाल, मनीष कुमार, हेड कांस्टेबल बदाराम, राजेन्द्र प्रसाद, वालचंद, कांस्टेबल सोहन लाल, दिलीप कुमार, कैलाश, विरेन्द्र कुमार, पोपट लाल, रणजीत, रमेश कुमार, मनीष कुमार, ईश्वर लाल, घनश्याम सिंह, हितेश कुमार, महेन्द्र कुमार, महेन्द्र सिंह, अक्षय, डुगर सिंह, अंकित वसीटा, धनराज, दिनेश कुमार और साइबर सेल के कांस्टेबल लोकेश कुमार शामिल थे।
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