अयोध्या की रोशनी सरयू पर, तो उदयपुर की झीलों में उतरी दिव्यता…फोटो जर्नलिस्ट कमल कुमावत के कैमरे से देखिए उदयपुर की दीपावली


उदयपुर में झीलों पर झिलमिलाया दीपों का संसार, हर गली ने कहा – ‘दीपावली आ गई!’

अयोध्या में जहाँ सरयू तट पर 26 लाख से अधिक दीपों की लौ ने आकाश को सुनहरा कर दिया, वहीं झीलों की नगरी उदयपुर भी किसी जन्नत से कम नहीं दिखी। दीपावली की पूर्व संध्या पर पूरा शहर मानो रोशनी के आलिंगन में नहा उठा। झीलों के किनारे, गलियों के मोड़, हवेलियों की बालकनियाँ – हर जगह दीपों की पंक्तियाँ जैसे शहर के दिल की धड़कन बन गई हों।

इस बार जिला प्रशासन, यूडीए और नगर निगम ने तैयारी में कोई कोना अधूरा नहीं छोड़ा। शहर के हर चौराहे, हर पुलिया और हर मार्ग को ऐसे सजाया गया कि लगता था जैसे खुद उदयपुर दीपावली की दुल्हन बन गया हो।

फोटो : विमल जैन, मालदास स्ट्रीट

चेतक सर्किल पर अयोध्या की झांकी ने सबका मन मोह लिया — राम मंदिर की प्रतिकृति के सामने झिलमिलाते दीपों की कतारें और पृष्ठभूमि में बजते भजन… लोगों की आँखों में भक्ति और उल्लास एक साथ झलक रहे थे। वहीं टीआरआई तिराहे पर स्थापित भगवान राम की प्रतिमा को जिस नफ़ासत से सजाया गया, वो देखने लायक थी।

देहलीगेट, हाथीपोल, आरके सर्किल और सूरजपोल तक हर नुक्कड़ पर रोशनी का रंगीन समंदर फैला था। टेंट कलाकारों ने अपनी रचनात्मकता से गेटों को ऐसे सजाया कि हर कोई मोबाइल कैमरा उठाकर तस्वीर लेने को मजबूर हो गया।

बापू बाजार से लेकर मोती चौहट्टा, भट्टियानी चौहट्टा और महालक्ष्मी मंदिर तक सजावट ने त्योहार की आत्मा को जीवंत कर दिया। रंग-बिरंगी झालरें, सुनहरी लाइटें, फूलों की माला और दीयों की रेखाएं — हर दुकान, हर खिड़की और हर आँगन में खुशियों की रोशनी फैल गई।

्यापारियों ने भी पूरी तन्मयता से बाजारों को चमका दिया। मिठाइयों की दुकानों से उठती खुशबू, बच्चों की हँसी, और आतिशबाज़ी की गूंज — सबने मिलकर माहौल को मंत्रमुग्ध कर दिया।

झील पिचोला के किनारे जब शाम ढली, तो दीपों की परछाइयाँ पानी में ऐसे झिलमिलाईं जैसे तारों ने धरती पर डेरा डाल दिया हो। नावों पर बैठे लोग “राम नाम” की धुन में झूम उठे। हवा में घुली खुशबू और कानों में गूंजती मृदंग की ताल… यह नज़ारा देखने वालों के दिल में हमेशा के लिए बस गया।

उदयपुर की यह दीपावली सिर्फ़ रोशनी का पर्व नहीं रही, बल्कि संवेदनाओं, भक्ति और सौंदर्य का एक जीवंत उत्सव बन गई — जहाँ हर दीप में राम थे, हर मुस्कान में दिव्यता थी, और हर झील में अयोध्या की झलक थी।

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