
उदयपुर। प्रशासनिक जवाबदेही और पुलिस-जन सहयोग को सशक्त बनाने की दिशा में जिला कलेक्टर नमित मेहता ने गुरुवार को हिरण मगरी पुलिस थाने का वार्षिक निरीक्षण कर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया: “प्रशासन का दायित्व केवल निर्णय लेना नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत से जुड़कर व्यवस्था को पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना है।”
निरीक्षण की प्रमुख बातें :
जिला कलेक्टर ने थाने में मौजूद निम्न व्यवस्थाओं का सूक्ष्म अवलोकन किया :
• अभिलेखों का संधारण : FIR पंजीकरण, केस डायरी, मालखाना, स्टॉक रजिस्टर आदि का विधिपूर्वक निरीक्षण किया।
• सुरक्षा व्यवस्था : सीसीटीवी निगरानी, महिला हेल्प डेस्क, आगंतुकों की एंट्री रजिस्ट्रेशन आदि की समीक्षा की।
• शिकायत निवारण प्रणाली : शिकायतों की समयबद्ध रजिस्ट्रेशन, फॉलोअप प्रक्रिया और निष्पादन पर संतोष व्यक्त किया।
• स्वच्छता एवं परिसर व्यवस्था : थाना परिसर की साफ-सफाई, पुलिसकर्मियों के विश्रामगृह और अभिरक्षा कक्षों की स्थिति देखी।
थानाधिकारी भरत योगी द्वारा प्रस्तुत वार्षिक प्रतिवेदन में यह बताया गया कि थाना क्षेत्र में दर्ज प्रकरणों की निस्तारण दर 82% रही, जो कि राज्य औसत से बेहतर है। साथ ही, महिला सुरक्षा, नशा उन्मूलन, साइबर जागरूकता और ट्रैफिक अनुशासन पर नियमित जन अभियान चलाए गए।
कलेक्टर ने दिए प्रशासनिक सुधार के संकेत:
निरीक्षण के पश्चात कलेक्टर मेहता ने कहा :
“थाना केवल अपराध नियंत्रण का केंद्र नहीं, बल्कि जनसहयोग से विश्वास निर्माण की इकाई भी है। अधिकारियों को चाहिए कि वे सहानुभूतिपूर्ण और संवादपरक रवैया अपनाएं। इससे जनता की भागीदारी बढ़ेगी और व्यवस्था अधिक उत्तरदायी बनेगी।”
व्यवहारिक उदाहरण जो अन्य थानों में लागू किए जा सकते हैं :
• साप्ताहिक जनसंवाद बैठक :
हर शनिवार को थाना स्तर पर आम नागरिकों और पुलिस अधिकारियों के बीच सीधा संवाद हो — जहां लोग अपनी समस्याएं रख सकें और अधिकारियों को फीडबैक मिल सके। कोटा जिले के नयापुरा थाने में ऐसा मॉडल पहले से सफलतापूर्वक चल रहा है।
• ‘पुलिस मित्र’ कार्यक्रम :
युवाओं, स्थानीय दुकानदारों और रेजिडेंट वेलफेयर सोसाइटियों से स्वयंसेवकों की टीम बनाई जाए जो पुलिस के साथ सहयोग करते हुए ट्रैफिक, साइबर जागरूकता और महिला सुरक्षा जैसे अभियानों में मदद करें। उदयपुर के भूपालपुरा थाने में यह प्रयोग हो चुका है।
• थाने में महिला सहायता काउंटर पर प्रशिक्षित काउंसलर की नियुक्ति :
ताकि महिलाओं से जुड़ी शिकायतों में संवेदनशीलता और गोपनीयता बनी रहे। इससे महिलाओं का पुलिस पर विश्वास बढ़ता है। जयपुर में जवाहर नगर थाने में यह मॉडल प्रशंसित हुआ है।
• थाना परिसर को जन-संवेदनशील बनाना :
बाल मित्र पुस्तकालय, साइबर जागरूकता कोना, CCTV मॉनिटरिंग डिस्प्ले आदि की सार्वजनिक व्यवस्था से पारदर्शिता और भागीदारी बढ़ती है। यह उदयपुर के कुछ चुनिंदा थानों में प्रयोग में लिया जा सकता है।
कलेक्टर द्वारा थाना निरीक्षण केवल औपचारिक कार्यवाही न होकर एक प्रेरणादायक प्रशासकीय उदाहरण बनकर सामने आया है। यह पहल न केवल पुलिस विभाग के कार्यों को उत्साह देती है, बल्कि आमजन में यह संदेश भी देती है कि शासन ‘लोक से जुड़कर, लोक के लिए’ कार्य कर रहा है।
ऐसी पारदर्शी और सहभागितापूर्ण कार्यप्रणाली ही पुलिस-जन-प्रशासन के बीच भरोसे की मजबूत दीवार बनाती है।
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