उदयपुर। राजस्थान की धरती पर हरियाली और जैव विविधता का एक नया अध्याय लिख रहा है हिन्दुस्तान जिंक। विश्व की सबसे बड़ी एकीकृत जिंक उत्पादक कंपनी ने वन विभाग, उदयपुर के सहयोग से हरियालो राजस्थान अभियान के तहत बाघदर्रा मगरमच्छ संरक्षण रिजर्व में व्यापक पौधरोपण अभियान की शुरुआत की है।
इस अभियान को विशेष रूप से “एक पेड़ मां के नाम” की अनूठी पहल से जोड़ा गया है, ताकि वृक्षारोपण सिर्फ पर्यावरणीय योगदान ही न रहे बल्कि हर किसी के लिए एक भावनात्मक जुड़ाव भी बने।
प्रकृति और संवेदनाओं का संगम
इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक के सीईओ अरुण मिश्रा ने साफ कहा – “हमारी प्रतिबद्धता सिर्फ वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है। हमारा उद्देश्य बाघदर्रा की जैव विविधता और प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना है। उदयपुर झीलों और महलों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन अब यह अपने समृद्ध वन्यजीव और बाघदर्रा जैसे संरक्षण क्षेत्रों के लिए भी पहचाना जाए, यही हमारी कोशिश है।”
कंपनी ने कार्यक्रम के दौरान 5,000 पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का लक्ष्य रखा है। इन पौधों को स्थानीय लोगों, छात्रों और कर्मचारियों द्वारा अपने प्रियजनों के नाम पर समर्पित किया गया, जिससे पर्यावरणीय पहल में भावनात्मक भागीदारी भी बढ़ी।
सामूहिक भागीदारी की मिसाल
इस आयोजन में हिन्दुस्तान जिंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वन विभाग के शीर्ष अधिकारी, सेवानिवृत्त विशेषज्ञ, छात्र और 100 से अधिक वालंटियर शामिल हुए।
मुख्य वन संरक्षक, उदयपुर एस.आर. यादव ने कहा – “यह पहल वृक्षारोपण तक सीमित नहीं है। इसमें जंगल भ्रमण मार्ग, प्रकृति पथ, इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और आक्रामक प्रजातियों को हटाकर भूमि का पुनर्स्थापन शामिल है। यह बाघदर्रा के समग्र विकास में ऐतिहासिक योगदान साबित होगा।”
5 करोड़ का निवेश – वन्यजीव संरक्षण में बड़ा कदम
हिन्दुस्तान जिंक ने इस वर्ष की शुरुआत में ही वन विभाग के साथ 5 करोड़ रुपये के निवेश का एमओयू साइन किया था। इस निवेश का मकसद सिर्फ वृक्षारोपण नहीं बल्कि – जल संरक्षण संरचनाएँ (तालाब और चेकडैम), आवास पुनर्स्थापन, मगरमच्छों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा, वैज्ञानिक सलाह से पर्यावरण-अनुकूल योजनाएं, इको-टूरिज्म और आगंतुक सुविधाओं का विकास, जैसे बहुआयामी कदमों को लागू करना है।
कॉर्पोरेट जिम्मेदारी का नया आयाम
हिन्दुस्तान जिंक लंबे समय से सीएसआर और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय रहा है। यह पहल दिखाती है कि कंपनी केवल उद्योग जगत की अग्रणी ही नहीं, बल्कि प्रकृति और समुदायों की संरक्षक भी है।
कंपनी के प्रयास यह संदेश देते हैं कि आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं। बाघदर्रा में हो रहा यह अभियान न केवल स्थानीय पारिस्थितिकी को मजबूत करेगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य भी सुनिश्चित करेगा।
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