उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा 2023 में सीपीएफ-से-ओपीएस पेंशन योजना के तहत पेंशनधारियों को मिलने वाली पेंशन के भुगतान में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। राज्य सरकार के आदेशों के बावजूद पेंशनधारियों को समय पर पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा, जिससे उनका आर्थिक संकट बढ़ गया है। इस मुद्दे ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली और संवेदनशीलता पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
1. पेंशन योजना का क्रियान्वयन और प्रशासनिक विफलता
2023 में राज्य सरकार के निर्देशों के तहत सीपीएफ-से-ओपीएस पेंशन योजना की शुरुआत की गई थी, जिसमें पेंशनधारियों को भविष्य निधि का योगदान ब्याज सहित सरकार के पीडी खाते में जमा करने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस प्रक्रिया के अनुसार, पेंशनधारियों को उनकी जमा की गई राशि के आधार पर पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। इसके बावजूद, पेंशन बिलों की तैयारियों में अत्यधिक देरी हो रही है। विश्वविद्यालय के प्रशासन द्वारा इस योजना के उचित क्रियान्वयन में विफलता दिखने से यह साफ जाहिर होता है कि संस्थान ने पेंशनधारियों के वित्तीय अधिकारों को गंभीरता से नहीं लिया है।
2. पेंशन बिलों में देरी और पक्षपाती व्यवहार
विज्ञप्ति में उल्लेखित है कि पेंशन बिलों के तैयार होने में 1-2 महीने की देरी हो रही है। खासतौर से, दीपवाली से पहले सितंबर और अक्टूबर माह की पेंशन का बिल भी नहीं तैयार किया गया। यह स्थिति तब उत्पन्न हो रही है जब अन्य पेंशनधारियों को समय पर पेंशन का भुगतान मिल चुका था। इस देरी से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पेंशनधारियों के साथ पक्षपाती व्यवहार किया जा रहा है। यह न केवल पेंशनधारियों के साथ अन्याय है, बल्कि यह संस्थान की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी को भी दर्शाता है।
3. पेंशनधारियों की आर्थिक कठिनाई और विश्वविद्यालय की असंवेदनशीलता
विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि पेंशनधारी आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं क्योंकि उन्हें समय पर पेंशन का भुगतान नहीं मिल रहा। उनका कहना है कि उनके पास दैनिक खर्चों के लिए पैसे नहीं बचें हैं, जिससे उनका जीवन यापन कठिन हो गया है। इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन और खासकर वित्त नियंत्रक कार्यालय का रवैया पेंशनधारियों के प्रति असंवेदनशील प्रतीत हो रहा है। यह स्थिति पेंशनधारियों के मानसिक और आर्थिक दबाव को बढ़ा रही है, जबकि विश्वविद्यालय को इस संकट का समाधान तत्काल करना चाहिए था।
4. पेंशनधारियों का विरोध और प्रशासन की निष्क्रियता
पेंशनधारियों ने अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए विश्वविद्यालय के वीसी कार्यालय में प्रदर्शन किया। यह कदम दर्शाता है कि पेंशनधारी अपनी समस्याओं को लेकर कितने चिंतित और परेशान हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से इस प्रदर्शन का समुचित समाधान ना होना यह साबित करता है कि संस्थान अपने पेंशनधारियों की परेशानियों को गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे में पेंशनधारियों का प्रदर्शन उनके अधिकारों के लिए एक आखिरी प्रयास था।
समग्र रूप से देखा जाए तो यह पेंशनर्स का यह समाचार विश्वविद्यालय प्रशासन की लापरवाही और असंवेदनशीलता को उजागर करती है। पेंशनधारियों को उनका हक समय पर नहीं मिल पा रहा है, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई है। विश्वविद्यालय को तत्काल इस स्थिति का समाधान करना चाहिए और पेंशनधारियों को समय पर पेंशन का भुगतान सुनिश्चित करना चाहिए, ताकि उनके जीवन में कोई और आर्थिक संकट न आए। साथ ही, विश्वविद्यालय को अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो।
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