साहित्यकार पुरूषोत्तम ‘पल्लव‘ ने भेंट की अपनी रचनाएं
उदयपुर। मेवाड़ के साहित्यकारों द्वारा सृजित सर्जनाओं का लाभ स्थानीय युवा पाठकों को लाभांवित कराने के उद्देश्य से उदयपुर के सूचना केन्द्र में मेवाड़ के साहित्यकारों की एक गैलेरी बनाई जा रही है। इसकी शुरूआत बुधवार को उदयपुर के साहित्यकार पुरूषोत्तम ‘पल्लव‘ ने अपनी पुस्तकें भेंट करते हुए की।
पल्लव के सुपुत्र कपिल पालीवाल ने बुधवार को पल्लव की प्रमुख रचनाएं सूचना केन्द्र के संयुक्त निदेशक डॉ. कमलेश शर्मा को भेंट की और इसे युवा पाठकों के हित में उपयोग का आह्वान किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि मेवाड़ के एतिहासिक परिपेक्ष्य और संस्कृति पर आधारित इस साहित्य रचनाओं से यहां के पाठकों को उपयोगी जानकारी मिल सकेगी और यह साहित्य संरक्षण व संवर्धन की दिशा में अनूठा कार्य होगा। उन्होंने बताया कि मेवाड़ के अन्य साहित्यकारों से भी आह्वान किया गया है कि वे अपनी-अपनी रचनाएं इस गैलरी में उपलब्ध कराते हुए इसे समृद्ध बनावें ताकि इसका उपयोग साहित्यकारों और शोधार्थियों द्वारा किया जा सके।
डॉ. शर्मा ने बताया कि पुरूषोत्तम द्वारा भेंट की गई प्रमुख रचनाओं में पन्नाधाय शतक, मायड रौ मान, अमर वीरांगणावां, पोथ्या बांचे प्रीत री, प्रताप रो प्रताप, म्हारी काया ने कल्पावे, शब्दों की श्रृद्धांजलि, सैण तो सांकड़ाई भला, हाड़ी राणी, प्रतिस्पर्द्धा महायात्रा, अबोट भाव भरियोडा भजन आदि शामिल है।
हिन्दी व राजस्थानी साहित्यकार है पल्लव :
पुरूषोत्तम ’पल्लव’ का जन्म 15 अक्टूबर, 1945 को उदयपुर में हुआ। उन्होंने हिन्दी एवं राजस्थानी साहित्य में स्नात्तकोत्तर व एम.एड. की शिक्षा प्राप्त की। उनकी प्रमुख रचनाओं में काव्य में राग और आग, श्रीचतुर्भुज भजनमाला, जगदीश चालीसा, माँ दुर्गा चालीसा और नवरात्र भजनमाला, हिन्दी काव्य में अनदेखी नाव व प्रतिस्पर्द्धा, राजस्थानी काव्य में मायड़री मान, सबसूं प्यारो देश धरम, पोथ्यांबांचे प्रीतरी व पन्नाधाय शतक, गद्य जीवनी हिन्दी अमर अवतारी परशुराम, राजस्थानी लघुकथा में सैण तो सांकड़ाई भला शामिल है। इसके साथ ही कई रचनाओं का आकाशवाणी उदयपुर एवं दूरदर्शन जयपुर से प्रसारण किया गया है।
सम्मान एवं अभिनन्दन :
पुरूषोत्तम ‘पल्लव‘ को उनकी उपलब्धियों एवं साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए प्रमुख संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। वर्ष 1983 में सृजन मंच बड़ी (उदयपुर) द्वारा ’लोकमान, 1984 में पालीवाल नवयुवक मंडल 24 श्रेणी नाथद्वारा द्वारा साहित्यिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु सम्मान, 1986 में जवाहर जैन छात्रावास कानोड़ (राज.) द्वारा राजस्थानी काव्य धारा में उत्कृष्ट सृजन हेतु सम्मान, 1987 में चेतना विद्यालय उदयपुर द्वारा सम्मान, 1991 में जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान, 1993 एवं 2002 में पालीवाल ब्राह्मण समाज कल्याणकारी प्रन्यास उदयपुर द्वारा साहित्य सेवार्थ सम्मान, 1995 में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान, 2003 में पालीवाल समाज खमनोर द्वारा ’विभूति ’सम्मान व राजकीय गुरू गोविन्द सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय उदयपुर द्वारा अभिनन्दन, 2005 में कला श्रृंखला एवं आल इण्डिया मेजिक फेडरेशन अजुबा द्वारा साहित्य सेवाओं पर ’काव्य शिरोमणी’ अलंकरण से विभूषित, 2006 में श्री कन्हैयालाल धींग राजस्थानी पुरस्कार, 2009 में श्री द्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद् कांकरोली द्वारा’अफंगी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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