सावों का सीजन और शादी के मंडपों में पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया की चर्चा?

फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। उदयपुर शहर से लगातार विधायक चुने जाने के बाद पंजाब के राज्यपाल बने गुलाबचंद कटारिया इन दिनों शहर के शादी–समारोहों में ख़ूब चर्चा का विषय बने हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है—उनकी ज़मीनी छवि और कार्यकर्ताओं के साथ वर्षों से बना आत्मीय संबंध।
कटारिया हमेशा से ऐसे नेता रहे हैं, जो कार्यकर्ताओं के सुख-दुख में स्वयं शामिल होने को प्राथमिकता देते हैं। इसलिए जब भी वे उदयपुर आते हैं और किसी कार्यकर्ता के परिवार में शादी या शुभ अवसर होता है, तो वे उपलब्ध समय में वहां पहुंचने की पूरी कोशिश करते हैं।

हाल ही में भी ऐसा ही एक मौका देखने को मिला। कटारिया बिना किसी औपचारिक सूचना के अचानक उदयपुर पहुंचे, इसलिए एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने वाला कोई नहीं था। लेकिन सीधे दो विवाह समारोहों में शामिल होकर वे कुछ ही घंटों में पंजाब में निर्धारित एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए लौट गए। स्वाभाविक सवाल उठता है—आख़िर वह कार्यकर्ता कौन था, जिसकी शादी में वे इस तरह पहुंचे?

दरअसल, यह विवाह समारोह भूपाल सिंह बाबेल के सुपुत्र का था। भूपाल सिंह बाबेल वही कार्यकर्ता हैं, जो इमरजेंसी के दौरान मात्र 15 वर्ष की आयु में कटारिया के साथ जेल गए थे। निमंत्रण उनके भाई कमल प्रकाश बाबेल ने दिया था। कटारिया को पंजाब गए अभी दो ही दिन हुए थे कि बाबेल परिवार का संदेश पहुंच गया—“शादी में आना है।” कटारिया दुविधा में पड़ गए, लेकिन कमल प्रकाश बाबेल जिद पर अड़ गए, जिसको बाद में उन्होंने कहा भी कि भूपाल तो सीधा है इस कमल से कौन जीतेगा?

इसी बीच राज्यपाल का अचानक भीलवाड़ा आने का कार्यक्रम बना, तो उन्होंने कुछ समय उदयपुर के लिए निकाल लिया। यहां न केवल बाबेल परिवार के समारोह में पहुंचे, बल्कि बीजेपी नेता राजकुमार चित्तौड़ा के परिवार में भी आयोजित विवाह में शामिल हुए। राजकुमार चित्तौड़ा ने भी उन्हें व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया था।

ऐसा ही एक उदाहरण करीब एक साल पहले देखने को मिला, जब वे बीजेपी नेता अनिल सिंघल के बेटे की शादी में इसी तरह अचानक शामिल हुए थे। मैं स्वयं इन लोगों को व्यक्तिगत रूप से जानता हूं, इसलिए इनका उल्लेख कर रहा हूं।

उदयपुर शहर के हज़ारों परिवारों की शादियों में कटारिया इसी आत्मीयता के साथ शामिल हो चुके हैं। खुशी हो या ग़म—कटारिया अपने कार्यकर्ताओं के घर पहुंचकर उनका साथ निभाते हैं। यही वजह है कि शादी के मंडपों में भी उनका नाम बिना चर्चा के नहीं रहता।

हां, यह अलग बात है कि राजनीतिक समीकरणों और सियासी रणनीतियों के चलते कई लोग उनकी आलोचना भी करते हैं, लेकिन दिलचस्प यह है कि आलोचकों के घरों में भी शुभ अवसरों पर कटारिया समय निकालकर पहुंच जाते हैं।

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