आदमखोर तेंदुआ पकड़ में, गोगुन्दा क्षेत्र ने ली राहत की सांस, वन विभाग की सफलता पर आभार

उदयपुर। गोगुन्दा क्षेत्र के ग्रामीणों ने आखिरकार राहत की सांस ली जब पांच दिनों तक चला सघन तलाशी अभियान सफल हुआ और आदमखोर तेंदुए को वन विभाग की टीम ने मंगलवार सुबह पकड़ लिया। यह तेंदुआ हाल ही में दो महिलाओं और एक पुरुष को अपना शिकार बना चुका था, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल था। आदमखोर तेंदुए की गिरफ्तारी के बाद लोगों ने वन विभाग और स्थानीय प्रशासन के प्रति आभार जताया, लेकिन बड़ा सवाल यह है—क्या यही काफी है?

तेंदुए की गिरफ्तारी से जान-माल के नुकसान का सिलसिला भले ही थमा हो, परंतु यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है: वन्यजीवों का बस्ती में घुसना क्या प्रशासन की नाकामी का प्रतीक नहीं है? राज्य में वन्यजीवों के हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं, और हर बार यही सवाल उठता है कि क्या प्रशासन पर्याप्त कदम उठा रहा है?

सरकार और प्रशासन की सीमित कार्रवाई
यह पहला मौका नहीं है जब गोगुन्दा या आस-पास के क्षेत्रों में आदमखोर जानवरों का आतंक फैला है। प्रशासन हर बार ऑपरेशन की सफलता का बखान करता है, लेकिन ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं? क्या वन विभाग और प्रशासन सिर्फ “रेस्क्यू ऑपरेशन” की सफलता से ही अपना दायित्व पूरा मान लेगा?

तेंदुए की गतिविधियों पर निगरानी, पर सुरक्षा कब?
वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए हाई-टेक ड्रोन, ट्रैप कैमरे और पिंजरों का सहारा लिया, जिसमें भारतीय सेना और हिंदुस्तान जिंक की टीमों का सहयोग रहा। हालांकि, सवाल यह उठता है कि इतने व्यापक संसाधनों और अभियानों की आवश्यकता आखिर क्यों पड़ रही है? तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए प्रशासन को पहले से ही सतर्क होना चाहिए था।

जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और उप वन संरक्षक अजय चित्तौड़ा की अगुवाई में चला ऑपरेशन सफल हुआ, परंतु इस जीत की खुशी में यह नहीं भूलना चाहिए कि आमजन की सुरक्षा और वन्यजीवों के प्रबंधन के प्रति प्रशासन को और जिम्मेदार होने की जरूरत है। वन्यजीव हमलों से पहले ही सुरक्षात्मक कदम उठाए जाने चाहिए, न कि हर बार किसी जान की बलि चढ़ने के बाद।

स्थानीय सहयोग, लेकिन सरकार की असल जिम्मेदारी?
ऑपरेशन में वनकर्मियों, पुलिस प्रशासन और स्थानीय सरपंचों ने अपना पूरा सहयोग दिया, लेकिन सरकार की जिम्मेदारी यहीं खत्म नहीं हो जाती। जब तक वन्यजीव संरक्षण और ग्रामीण बस्तियों की सुरक्षा के लिए समग्र नीति नहीं बनती, तब तक इस तरह के घटनाएं बार-बार होती रहेंगी।

तेंदुए की गिरफ्तारी मात्र राहत का क्षणिक कदम है, स्थायी समाधान के लिए सरकार और वन विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था और वन्यजीवों के आवास क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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