मुकुंदपुरा चांदपोल कुमावत समाज ने धूमधाम से मनाया श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

फोटो : कमल कुमावत

उदयपुर। मुकुंदपुरा चांदपोल कुमावत समाज एवं ओम श्री मार्कंडेय आध्यात्मिक ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस पर कथा व्यास नीरज आमेटा ने भक्तों को आध्यात्मिक गूढ़ रहस्यों से अवगत कराया।

श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कृष्ण जन्मोत्सव का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने भक्तिभाव से नंदोत्सव मनाया। कथा व्यास नीरज आमेटा ने समुद्र मंथन की कथा के माध्यम से समझाया कि यह केवल देव-दानव संग्राम की कथा नहीं, बल्कि मानव जीवन के आत्म मंथन का प्रतीक है। जब तक व्यक्ति अपने अंतर्मन का मंथन नहीं करता, तब तक उसे वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती।

गजेंद्र मोक्ष से मिला मोक्ष का संदेश

गजेंद्र मोक्ष कथा के प्रसंग में बताया गया कि जब तक व्यक्ति संसार की माया में डूबा रहता है, वह परमात्मा को भूल जाता है, लेकिन जब विपत्ति आती है, तब ही उसे भगवान की शरण याद आती है। इसी प्रकार वामन अवतार का संदेश यह है कि व्यक्ति को अहंकार का त्याग कर सदैव विनम्रता और भक्ति के मार्ग पर चलना चाहिए।

 

रामकथा से मर्यादा का संदेश

रामकथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने धर्म, कर्तव्य और मर्यादा का पालन कर हमें यह सिखाया कि जीवन में नियमों का पालन करना आवश्यक है। इसी से आत्मा की शुद्धि होती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

बाल रूप में श्रीकृष्ण की अलौकिक भक्ति

भगवान श्रीकृष्ण का बाल रूप माया से परे बताया गया। जिस प्रकार नवजात बालक किसी भी सांसारिक मोह-माया से मुक्त रहता है, उसी प्रकार व्यक्ति को भी निर्मल भक्ति करनी चाहिए।

 

भजनों में झूमे भक्तजन

इस धार्मिक अनुष्ठान में पंडित पवन शर्मा ने व्यास पीठ की पूजा करवाई, जबकि रमाकांत और वृंदावन के कलाकारों ने भक्तिमय भजनों की प्रस्तुति दी, जिससे श्रद्धालु भक्ति रस में सराबोर हो गए।

समाज के गणमान्यजन रहे उपस्थित

इस अवसर पर समाज अध्यक्ष पुरुषोत्तम जी उदिवाल, शंकरलाल जी भदानिया, रमेश जी भदाणिया, श्याम सुंदर माननीय, घनश्याम आँवला, सुरेश साड़ीवाल, मीडिया प्रभारी कमल कुमावत, दुष्यंत लारना, मातृशक्ति श्रीमती दिनेश लारना, जयवनता माननीया और माया अजमेरा सहित समाज के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

श्रीमद्भागवत कथा के पावन प्रसंग में भक्तों ने कृष्ण जन्मोत्सव को हर्षोल्लास से मनाते हुए भक्ति, आध्यात्म और दिव्यता का अनुभव किया।

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