
जयपुर। राजस्थान सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए भीलवाड़ा और पाली को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा प्रदान किया है। यह कदम इसलिए भी खास है क्योंकि भीलवाड़ा, बिना संभागीय मुख्यालय वाला पहला शहर है जिसे यह मान्यता मिली है। इससे पहले, केवल संभागीय मुख्यालय वाले शहरों को ही नगर निगम का दर्जा दिया जाता था।
इस नए दर्जे के साथ भीलवाड़ा के विकास की संभावनाओं को नए पंख मिलेंगे, और शहर की आधारभूत संरचना में सुधार की उम्मीद की जा रही है। नगर निगम बनने के बाद, भीलवाड़ा में प्रशासनिक सुविधाओं में सुधार और नागरिक सेवाओं में तेजी आने की संभावना है।
इसके साथ ही, राज्य सरकार ने सात ग्राम पंचायतों को नगर पालिका का दर्जा दिया है। जयपुर की जमवारामगढ़, जोधपुर की कुड़ी भगतासनी, तिवंरी, झुंझुनूं की डुंडलोद, सुलताना, जाखल और जालोर की सायला ग्राम पंचायतों को नगर पालिका में क्रमोन्नत किया गया है।
हालांकि, उदयपुर में खेरवाड़ा, सराड़ा, और ऋषभदेव को हाल ही में नगर पालिका का दर्जा दिए जाने के बाद वहां के स्थानीय निवासियों ने इस निर्णय को अदालत में चुनौती दी है। उनका कहना है कि वे अपने ग्राम पंचायत का दर्जा बनाए रखना चाहते हैं।
राज्य सरकार का यह निर्णय स्थानीय प्रशासन में सुधार और विकास की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है, जिससे इन क्षेत्रों में आधारभूत ढांचे के साथ-साथ अन्य नागरिक सुविधाओं में भी व्यापक सुधार की उम्मीद है।
4 नगर पालिकाओं को नगर परिषद का दर्जा
राज्य सरकार ने नगर पालिका पुष्कर, नगर पालिका लालसोट और नगर पालिका शाहपुरा (जयपुर) को नगर परिषद घोषित किया है। साथ ही दौसा की महवा, चूरू की तारानगर, सीकर की लोसल और दौसा की बांदीकुई नगर पालिका को क्रमोन्नत किया गया है।
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