शायराना उदयपुर का स्नेह-मिलन : अदब और मोहब्बत की शाम

उदयपुर। लेकसिटी की अदबी सरज़मीन पर शायरी के दीवानों का मशहूर ग्रुप “शायराना उदयपुर” ने मंगलवार को शोभागपुरा 100 फीट रोड स्थित अशोका पैलेस में नव वर्ष के स्नेह-मिलन का शानदार आयोजन किया। इस महफ़िल की सदारत राजस्थान प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी और शायराना ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य जनाब यासीन मोहम्मद पठान ने की। वहीं, इस ख़ूबसूरत शाम के मेहमान-ए-ख़ुसूसी के तौर पर अतिरिक्त आयुक्त (माडा) जनाब गीतेशश्री मालवीय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जनाब हितेश मेहता, और उर्दू की मशहूर प्रोफेसर बीबी सरवत खान, समाज सेवी और शिक्षाविद डॉ. फरहत बानो ने शिरकत की।

शायराना ग्रुप के बानी, जनाब मनोज गीतांकर ने बताया कि यह ग्रुप पिछले 10 बरसों से उदयपुर के शायरी प्रेमियों के लिए एक मुनफरिद मंच मुहैया करा रहा है। साल में दो मर्तबा ऐसे स्नेह-मिलन का एहतमाम होता है, जहां शायरी, गीत और कविताओं का दीदार किया जाता है। इस ग्रुप में 270 से ज़्यादा सदस्य शामिल हैं, जिनमें आला अफसरान, साहित्यकार, और संगीत से जुड़ी शख्सियतें मौजूद हैं।

महफ़िल की निज़ामत (संचालन) सेवानिवृत्त तहसीलदार जनाब मोहन सोनी ने की, जिन्होंने अपनी राजस्थानी कविता “खान्दे हल रो लकड़…” पेश कर समा बांध दिया।

शाम के दामन को रंगीन बनाने के लिए जनाब विकास सोनी, विनोद रंगवानी, देवयानी शर्मा, सरवत खान, ब्रजराज सिंह जगावत, किरण बाला जीनगर, विजय सिंह पवार और तनवीर चिश्ती जैसे अदबी हस्तियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से महफ़िल को चार चांद लगाए।

सदारती खिताब में जनाब यासीन पठान ने कहा, “इस महफ़िल में शिरकत करना मेरे लिए एक रूहानी तजुर्बा रहा। अदब और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे जलसों का होना निहायत ज़रूरी है।”

मुख्य अतिथि जनाब मुकेश माधवानी ने शायराना ग्रुप की कोशिशों को सराहा और इस बात का यक़ीन दिलाया कि वे अदब और संस्कृति की खिदमत में हर मुमकिन मदद के लिए तैयार रहेंगे।

शाम के आख़िर में, जनाब हितेश मेहता ने किशोर कुमार का मशहूर नग़मा “जीवन के दिन छोटे सही…” गाकर महफ़िल को एक ख़ास रंग बख़्शा।

यह स्नेह-मिलन महफ़िल स्नेह भोज के साथ अपने अंजाम को पहुंची, लेकिन इसकी यादें हर दिल में ताज़ा रहीं।

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