आप पढ़ रहे हैं हबीब की रिपोर्ट। उदयपुर के हृदयस्थल भट्टियानी चौहट्टा स्थित ऐतिहासिक महालक्ष्मी मंदिर में 24 सितम्बर 2024 को माता महालक्ष्मी का प्राकट्योत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। यह उत्सव सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था और भक्तिभाव की वह महाआरती है, जिसमें शहर भर के श्रद्धालु समर्पण और स्नेह के दीप जलाने उमड़ते हैं।
भक्ति की महक : पंचामृत अभिषेक और शोडशोपचार पूजा से होगी शुरुआत
सुबह के पहले प्रहर, जब सूरज की किरणें शीतल हवा में घुल रही होंगी, ठीक 5:00 बजे मंदिर के गर्भगृह में पंचामृत अभिषेक के साथ उत्सव का आगाज होगा। मंदिर के पुजारी शोडशोपचार विधि से माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करेंगे, मानो देवी के सम्मुख समर्पण की ऐसी माला अर्पित कर रहे हों, जिसमें हर फूल भक्तों की आस्था से महक रहा हो। इसके बाद भक्तगण सामूहिक रूप से श्री सूक्त का पाठ करेंगे, जिससे मंदिर का कण-कण लक्ष्मी की कृपा और धन-धान्य की कामना से गूंज उठेगा।
यज्ञ और हवन : आहुतियों में समाहित होगी श्रद्धा
सुबह 10:00 बजे से मंदिर परिसर में यज्ञ हवन का आयोजन होगा, जहां पांच जोड़े आचार्य मनीष श्रीमाली के सानिध्य में आहुतियां अर्पित करेंगे। हर आहुति के साथ मंत्रोच्चारण और अग्नि की लपटों में समर्पित आस्था का अद्भुत संगम होगा। यह हवन न केवल आत्मशुद्धि का प्रतीक होगा, बल्कि इसके धुएं में भक्तों की समर्पण भावना समाहित हो जाएगी। यज्ञ के बाद पूर्णाहूति दी जाएगी, जिससे इस विशेष अनुष्ठान का धार्मिक महत्व और अधिक बढ़ जाएगा।
सुंदरकांड और महाआरती : भक्तों के दिलों में बसेगी आध्यात्मिक ऊर्जा
शाम 5:15 बजे से सुंदरकांड पाठ की ध्वनि मंदिर के कोने-कोने में गूंजेगी। यह पाठ रामभक्त हनुमान जी के अद्वितीय चरित्र और उनके समर्पण का वर्णन करेगा, जिससे भक्तों का मन स्फूर्ति और श्रद्धा से भर उठेगा। पाठ के दौरान भक्तगण मंत्रमुग्ध होकर अपनी आस्था में लीन रहेंगे, मानो हर शब्द में स्वयं भगवान राम की उपस्थिति हो।
रात्रि 12:00 बजे, जब घड़ी की सुइयां रात के मध्य में पहुंचेंगी, तब महालक्ष्मी की महाआरती होगी। माता को खीर, पंजरी, और फलों का भोग अर्पित किया जाएगा। भक्तों का हृदय प्रसाद ग्रहण करते समय आभार और भक्ति से भरा रहेगा, मानो स्वयं महालक्ष्मी ने उन्हें आशीर्वाद दिया हो।
मंदिर का श्रृंगार : माता लक्ष्मी को धारण कराए जाएंगे स्वर्ण-चांदी के वस्त्र
इस महोत्सव के खास आकर्षणों में माता महालक्ष्मी का विशेष श्रृंगार प्रमुख है। मंदिर में देवी को स्वर्ण-चांदी के वस्त्र धारण कराए जाएंगे, जिससे वे राजसी वैभव और सौंदर्य की प्रतिमूर्ति प्रतीत होंगी। मंदिर की दीवारों पर रंग-बिरंगे फूलों और रोशनी से सजी सजावट, जैसे स्वर्ग का कोई दृश्य धरती पर उतार दिया गया हो। मंदिर की हर दीवार, हर कोना, भक्तों की भक्ति और देवी की महिमा से आलोकित हो उठेगा।
श्रद्धा और वैभव का संगम
यह प्राकट्योत्सव महालक्ष्मी की महिमा का उत्सव होगा, जो हर भक्त के मन में आस्था और समर्पण की ज्वाला प्रज्वलित करेगा। यह दिन उन तमाम भक्तों के लिए विशेष होगा, जो लक्ष्मी की कृपा से अपने जीवन को समृद्धि और खुशहाली की ओर अग्रसर करने की कामना रखते हैं। ऐसे में इस महापर्व में शामिल होना, एक दिव्य अनुभव से कम नहीं होगा, जहां हर भक्त देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद की छांव में अपने जीवन की नई दिशा पाएगा।
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