प्रो. गौरव वल्लभ ने शिद्दत से चुनाव लड़ा पर संगठन का साथ न मिला, बीजेपी के ताराचंद जैन ने सबके रिकॉर्ड तोड़े

फोटो : कमल कुमावत

जयपुर। उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी प्रत्याशी ताराचंद जैन अब तक के सर्वाधिक वोट से चुनाव जीत गए। जिस लिहाज से उन्हें वोट मिले हैं, उससे लगता है कि लोगों ने उन पर जमकर भरोसा जताया। इसकी बड़ी वजह यह है कि उनका लंबे समय से लोगों से पब्लिक कनेक्ट रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी प्रो. गौरव वल्लभ ने पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी का उन्हें साथ नहीं मिला। शहर से उन्हें 65 हजार वोट मिले।

बीजेपी प्रत्याशी ताराचंद जैन के अधिक वोटों से जीतने की बड़ी वजह यह रही कि वे लंबे समय से बीजेपी के जिलाध्यक्ष रहे। नगर परिषद व नगर निगम के छह बोर्ड में से कम से कम तीन से चार बोर्ड में न सिर्फ पार्षदों को टिकट बांटे बल्कि उन्हें जीताया भी। उनके जिलाध्यक्ष के कार्यकाल में शहर के हर वार्ड में एक ना एक बार बीजेपी जरूर जीती। ताराचंद जैन ने सियासत की जिस जमीन पर सिंचाई कर पौधे को रोपा था, बीस साल बाद उसका उन्हें फल मिला है। राजनीति में धैर्य का यह सबसे अच्छा उदाहरण है, जिसको समझने की जरूरत है। दूसरी वजह गुलाबचंद कटारिया से जिन लोगों को नाराजगी थी, उन्होंने भी जैन का बढ़ चढ़कर समर्थन किया ताकि ऊपर तक यह मैसेज नहीं जाए कि कटारिया के बिना यहां कोई जीत नहीं सकता है। यह बात अलग है कि जैन को टिकट दिलवाने और पार्टी के कार्यकर्ताओं व नेताओं को फील्ड में दौड़ाने के लिए कटारिया ने असम रहते हुए भी खूब मेहनत की।

प्रो. गौरव वल्लभ ने पूरी शिद्दत के साथ चुनाव लड़ा। शहर के लाखों लोगों से व्यक्तिगत मुलाकात की, लेकिन सच यह है कि जब खेत में निराई गुढ़ाई का वक्त हो, तब फल कैसे पा सकते हैं। सियासी खेत की जुताई भी उस समय की गई जब जमीन पूरी तरह से बंजर है। इसमें लगी कांटेदार झाड़ियों ने खेत की पूरी तरह से जुताई तक नहीं होने दी। कांग्रेस के ही कुछ छुटभैया नेताओं ने आस्तीन के सांप की तरह काम किया। उदयपुर शहर विधानसभा क्षेत्र पूरे राज्य में कांग्रेस के लिए एक उदाहरण है, जहां कांग्रेस के नेता तो बहुत हैं, लेकिन बूथ खाली पड़े हैं। बहरहाल प्रो. गौरव वल्लभ ने अपने बयान में कहा है कि वे अब पांच साल तक उदयपुर की जनता के बीच रहेंग। यहां के मुद्दे उठाएंगे।

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