
उदयपुर। कहते हैं — मौसम जब दिल से मिल जाए, तो बादल भी शेर कहने लगते हैं।
राजस्थान इन दिनों कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा है।
रातभर झरते आसमान ने जयपुर, उदयपुर और कोटा को अपनी ठंडी बाहों में भर लिया है।
सर्द हवा में नमी है, और नमी में एक अधूरी कविता का एहसास।
ठिठुरन की चादर में लिपटा शहर
जयपुर में बूंदाबांदी का आलम ऐसा कि खिड़कियों से झांकते लोग भीगी गलियों को बस आंखों से निहार रहे हैं।
रात से जारी फुहारों ने दिन की रौशनी को भी मंद कर दिया है।
कोई धूप की तलाश में बालकनी में खड़ा है, तो कोई चाय की प्याली में मौसम को घोलकर पी रहा है।
सर्द हवा ऐसी चल रही है कि जाड़े की पहली दस्तक महसूस हो रही है।
“कपकपाती हवाओं में अब दुपट्टे उड़ नहीं रहे,
लोग बाहर जा नहीं रहे, मौसम कुछ कह रहा है…”
किसानों के खेतों में भीगी उम्मीदें
पर हर बूंद सिर्फ रोमांस नहीं लाती —
उदयपुर, कोटा और बारां के खेतों में यह बारिश किसी कविता नहीं, एक चुनौती बनकर आई है।
कटी हुई फसलें भीग गई हैं, गोदामों में रखे दाने नम हो गए हैं।
किसानों की आंखों में चिंता की रेखाएँ हैं —
क्योंकि बेमौसम बरसात ने मेहनत की मिट्टी को गीला ही नहीं, बेचैन भी कर दिया है।
फिर भी वो आसमान को देखकर कहते हैं —
“मेघ बरस जा ज़रा संभलकर,
कहीं उम्मीदें बह न जाएं इस बार…”
युवाओं के लिए ‘गोल्डन पीरियड’
लेकिन जहां खेतों में परेशानी है, वहीं शहर की गलियों में रूमानी हवा है।
कॉफी कैफे, कॉलेज कैंपस और झील किनारे — हर जगह मौसम ने अपना जादू फैला रखा है।
युवा इस मौसम को “गोल्डन पीरियड” कह रहे हैं —
ना ज़्यादा धूप, ना लू की तपिश, बस एक ठंडी सी नमी जो हर मुलाक़ात को ख़ास बना दे।
जयपुर के एक युवक ने मुस्कुराते हुए कहा,
“अब तो बारिश भी कह रही है —
इश्क़ करो, वरना सर्द हवाओं में नाम भी भूल जाओगे।”
शादियों का मौसम और चिंता की बूंदें
वहीं, जिनके घरों में शहनाइयां बजने वाली हैं,
उनके लिए यह मौसम दोहरा एहसास लेकर आया है —
एक तरफ़ रोमांस की खुशबू, दूसरी तरफ़ बरसात की उलझन।
बारिश ने मंडप की सजावट को चुनौती दी है,
पर नए दूल्हा-दुल्हन के लिए यह ठंडी फुहारें किसी फ़िल्मी सीन से कम नहीं।
भीगी शामों में जब वरमाला पड़ती है,
तो लगता है मानो आसमान भी उन्हें दुआ दे रहा हो —
“तेरा हाथ मेरे हाथ में रहे,
जैसे ये बारिश तेरा साथ निभाए…”
बारिश की रूमानी विदाई
मौसम विभाग कहता है कि यह दौर बस 30 अक्टूबर तक रहेगा,
पर जो एहसास इन बूंदों ने छोड़ दिया है, वह बहुत दिनों तक जाएगा नहीं।
कहीं खेतों में सन्नाटा है, कहीं कैफ़े में मुस्कानें हैं।
कहीं चिंताएं भीग रही हैं, कहीं मोहब्बत खिल रही है।
राजस्थान का यह मौसम इस बार कुछ कहना चाहता है —
कि ठिठुरन सिर्फ सर्दी नहीं, एहसास की शुरुआत है।
और बारिश… वो तो बस बहाना है,
दिलों को करीब लाने का, यादों को ताज़ा करने का।
एक शेर में इस मौसम का सार:
बरसात आई तो कुछ ग़म भी साथ आए,
कोई फसलें भीगीं, कोई पल याद आए।
ये ठंडी हवाएं सिर्फ़ मौसम नहीं,
किसी के ख़त का जवाब लाईं हैं शायद…।
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