उदयपुर। उदयपुर शहर में श्रीनाथजी की हवेली में एक जर्जर मकान के गिरने से तीन लोगों की मौत हाे गई। यह पूरी तरह से निगम की लापरवाही है क्योंकि शहर में और भी कई जर्जर मकान हैं, जहां किसी भी वक्त हादसा हो सकता है। निगम के जिम्मेदारों को गुलाबबाग की टॉय ट्रेन में घूमने से फुर्सत मिले तो शहर के अन्य मुद्दों की तरफ ध्यान जाए।
एक महीने से नगर निगम के जिम्मेदार लोग गुलाबबाग की टॉय ट्रेन का सफर कर रहे हैं। दरअसल इस ट्रेन में घूम-घूम कर तस्वीरें और वीडियो बनाना सियासत का हिस्सा है, लेकिन शहर के असल मुद्दों की तरफ उनका ध्यान नहीं है। टॉय ट्रेन के लिए एक बार नहीं बल्कि कई बार शहर के पार्षद वहां जमा हुए, सफर किया, मिठाइयां खाईं और वीडियो के सामने अपने अच्छे कार्यों का बखान किया। निगम के इन जिम्मेदारों से पूछा जाना चाहिए कि आखिर बारिश से पहले जर्जर मकानों का सर्वे क्यों नहीं हुआ? अगर हुआ तो फिर यह घटना क्यों हुई?
अगर सच में सर्वे करवाया जाए तो शहर के हर गली मोहल्ले में इस तरह जर्जर और कच्चे मकान मिल जाएंगे जो कभी भी हादसे का सबब बन सकते हैं। एक टॉय ट्रेन गुलाबबाग की बजाय शहर की गलियों में भी चलनी चाहिए ताकि उसमें घूमने वाले तमाम जिम्मेदार अपनी खुली आंखों से यह नजारा देख सके।
इस घटना का जवाब देने के लिए महामहिम की जिम्मेदारी इसलिए बनती है कि वे इस शहर के सालों तक विधायक रहे हैं। 30 सालों से नगर निगम का नेतृत्व और मार्गदर्शन कर रहे हैं। अगर टॉय ट्रेन के लिए निगम को शाबाशी दी है तो इस घटना के लिए उन्हें सबक सीखाने की जरूरत है। महापौर और आयुक्त तो सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं हीं क्योंकि वे अपने ऐसी कमरों से बाहर तभी निकलते हैं, जब कोई अधिकारी या नेता आता है। उपमहापौर अप्रत्यक्ष रूप से निगम बोर्ड का नेतृत्व कर रहे हैं और खुद को अगले विधायक का प्रबल दावेदार मान रहे हैं। यह घटना उनकी कार्य प्रणाली सवालिया निशान है।
कलेक्टर साहब ने जिले में कई मिशन चलाकर वाहवाही ली है, लेकिन जर्जर मकान गिरने से तीन लोगों की मौत हो जाना, उनको भी कटघरे में खड़ा करता है। परिजनों ने तो एमबी अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है, उनका कहना है कि कलेक्टर के कहने के बावजूद घायल शख्स को आईसीयू में भर्ती नहीं किया गया। इसी दौरान उसने दम तोड़ दिया।
दरअसल शहर में जर्जर मकान की इस घटना ने सिस्टम के ही जर्जर होने की पोल खोल कर रख दी है। अगर सिस्टम ने खुद को नहीं सुधारा तो इस जर्जर सिस्टम के कारण और भी हादसे होते रहेंगे। बारिश के मौसम में इसी सिस्टम को काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। उम्मीद करते हैं कि इस घटना से निगम और प्रशासन को सबक जरूर मिलेगा।
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