
उदयपुर। जीबीएच मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में अवैध निर्माण के समर्थन में कुछ लोगों ने प्रदर्शन किया, जिससे कई सवाल खड़े हो गए हैं। समर्थकों का एक पक्ष सही है कि मरीजों को किसी तरह की असुविधा नहीं होनी चाहिए, लेकिन अवैध निर्माण को नियमित करने की मांग प्रशासन की कार्यवाही पर सवालिया निशान लगाती है। अस्पताल में अवैध निर्माण के अलावा भी कई खामियां हैं, जिन पर अब तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
यदि अवैध निर्माण को नियमों के मुताबिक राशि जमा कर नियमित किया जाता है, तो शहर में अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाने की बजाय सभी को नियमानुसार राशि जमा कर नियमित करना ज्यादा उचित रहेगा। हालांकि, यह संभव नहीं है। अवैध निर्माण का समर्थन करने वाले लोग उन 272 भूखंड मालिकों का भी समर्थन करना चाहिए, जिनके कब्जे अवैध हैं और उन्हें नियमानुसार राशि जमा कर टाइटल क्लियर करना चाहिए।
खतरनाक नजीर
अगर अवैध निर्माण का समर्थन सही माना जाए, तो दिल्ली के उन कोचिंग सेंटरों के मालिकों को भी माफ कर देना चाहिए जिनकी लापरवाही से यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की जान चली गई। ये कोचिंग सेंटर हर साल हजारों विद्यार्थियों के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं, लेकिन उनकी लापरवाही से होने वाले हादसे माफी के योग्य नहीं हैं। कल को लोग पेपर लीक करने वालों के समर्थन में यह कहकर प्रदर्शन करने लगेंगे कि ये तो कमजोर छात्रों के हक में यह काम कर रहे थे।
नैतिकता और कानून का सवाल
अगर हम हर अवैध कार्य का समर्थन करने लगेंगे, तो समाज में कानून और नैतिकता का पालन कैसे होगा? हर गलत काम को किसी न किसी आड़ में सही ठहराना गलत है और यह समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
अतः, अवैध निर्माण का समर्थन करना न केवल नैतिकता के खिलाफ है, बल्कि यह कानून के शासन को भी कमजोर करता है। प्रशासन को सख्त कदम उठाते हुए अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि शहर में कानून और व्यवस्था बनी रहे।
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