फोटो : कमल कुमावत
वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान : जनभागीदारी से जल जागरूकता की नई लहर
उदयपुर। उदयपुर के ऐतिहासिक गंगू कुंड पर शनिवार सुबह एक अनोखा दृश्य नजर आया। कुर्ता-पायजामा, कोट और टाई के बजाय इस दिन अधिकारियों के हाथ में झाड़ू, कुदाल, फावड़े और सफाई उपकरण थे। जिला कलक्टर नमित मेहता स्वयं इस मुहिम की अगुवाई कर रहे थे। उनके साथ जिला स्तरीय अधिकारी, नगर निगम आयुक्त, जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, स्वयंसेवक, खिलाड़ी और छात्र-छात्राएं श्रमदान में जुटे थे।
इस विशेष श्रमदान अभियान में गंगू कुंड परिसर से गाद, झाड़ियां, पत्थर, कूड़ा-कचरा आदि साफ कर उसे निगम के कंटेनरों में डाला गया। दीवारों में उगे पीपल के पौधे उखाड़े गए और जगह-जगह जमा कीचड़ हटाया गया। यही नहीं, जिला कलक्टर ने एक आम का पौधा भी रोपकर संदेश दिया कि जल के साथ-साथ हरियाली भी संरक्षित करनी होगी।
श्रद्धालुओं को मिली ज़िम्मेदारी
गंगू कुंड परिसर में मौजूद मंदिरों के पुजारियों ने बताया कि लोग पूजा-पाठ के बाद परिसर में कचरा छोड़ जाते हैं। इस पर जिला कलक्टर ने सुझाव दिया कि एक स्वैच्छिक टीम बनाई जाए जो श्रद्धालुओं को अनुष्ठान के बाद सफाई के लिए प्रेरित करे। यह टीम न केवल सफाई करेगी, बल्कि लोगों को भी जागरूक बनाएगी। यह कदम अभियान की “जन-से-जन तक” की भावना को साकार करता है।
यूसीसीआई में CSR कार्यशाला: औद्योगिक भागीदारी को बल
इसी दिन मादड़ी स्थित UCCI सभागार में वंदे गंगा अभियान के अंतर्गत एक CSR कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य अतिथि जिला कलक्टर नमित मेहता ने कहा कि “उदयपुर की पहचान इसकी झीलों से है, हमें जल की महत्ता को समझना होगा। यह दुर्भाग्य है कि हम सबसे महत्वपूर्ण संसाधन ‘जल’ को ही सबसे कम प्राथमिकता देते हैं।”
उद्योगपतियों से उन्होंने आग्रह किया कि वे CSR मद के माध्यम से जल संरक्षण, झीलों के पुनरोद्धार, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और पुराने जल स्रोतों की मरम्मत में सहभागी बनें। सभी उपस्थित उद्यमियों ने जल संरक्षण की शपथ भी ली।
यूसीसीआई अध्यक्ष मनीष गलुण्डिया ने प्रशासन को आश्वासन दिया कि उद्यमी कदम से कदम मिलाकर इस अभियान में भाग लेंगे। भूजल विभाग, वाटरशेड, रीको और अन्य विभागों के अधिकारियों ने जल संरक्षण की योजनाएं साझा कीं। रीको ने बताया कि 500 वर्गमीटर से बड़े भूखंडों पर वर्षाजल संचयन प्रणाली अनिवार्य है।
उप मुख्यमंत्री लेंगे समीक्षा बैठक
राज्य सरकार इस अभियान को लेकर अत्यंत गंभीर है। उप मुख्यमंत्री श्री प्रेमचंद बैरवा रविवार को उदयपुर में इस अभियान की प्रगति की समीक्षा करेंगे। वे डबोक हवाई अड्डे से सीधे जिला परिषद सभागार पहुंचेंगे और 11 बजे समीक्षा बैठक करेंगे।
झाड़ोल में प्रदूषण-मुक्त उद्योगों का दौरा और कार्यशाला
उदयपुर के झाड़ोल क्षेत्र में ब्राह्मणों का खेरवाड़ा पंचायत स्थित चंद्रकाश क्लीनफ्यूल प्राइवेट लिमिटेड नामक उद्योग में एक कार्यशाला का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि उपखंड अधिकारी कपिल कोठारी ने पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण का संदेश दिया। यहां दिखाया गया कि किस प्रकार घरों से एकत्र कचरे से CNG का उत्पादन संभव है।
अभियंता अभिषेक शर्मा और नरेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों को CNG निर्माण की प्रक्रिया का प्रायोगिक प्रदर्शन दिया। कार्यशाला में यह स्पष्ट किया गया कि उद्योग भी प्रदूषण रहित हो सकते हैं और जल व पर्यावरण संरक्षण में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
मावली में रायजी की बावड़ी और नाथेला तालाब की सफाई
मावली उपखंड में “वंदे गंगा अभियान” के तहत श्रमदान का आयोजन हुआ, जिसमें ऐतिहासिक रायजी की बावड़ी और नाथेला तालाब की सफाई की गई। अभियान का नेतृत्व उपखंड अधिकारी रमेश सिरवी ने किया। बड़ी संख्या में महिलाएं, स्वयंसेवक और अधिकारी शामिल हुए। तालाब की पाल और पेटे से गंदगी हटाकर इसे नया रूप दिया गया। अभियान से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन और आमजन साथ आकर कैसे ऐतिहासिक जलधरों को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
तकनीकी शिक्षा विभाग भी सक्रिय
प्राविधिक शिक्षा मंडल, जोधपुर द्वारा पॉलिटेक्निक डिप्लोमा परीक्षाएं सोमवार से शुरू हो रही हैं। यह सूचना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षा केंद्रों में भी जल संरक्षण व स्वच्छता का संदेश फैलाने की योजना है। छात्रों को यह बताया जाएगा कि वे कैसे “वंदे गंगा” अभियान के ब्रांड एंबेसडर बन सकते हैं।
निष्कर्ष: वंदे गंगा बना जनांदोलन
“वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान” अब महज सरकारी मुहिम नहीं रहा, बल्कि एक जन-आंदोलन का रूप ले चुका है। जिला कलक्टर की नेतृत्व क्षमता, जनप्रतिनिधियों की भागीदारी, उद्यमियों की CSR प्रतिबद्धता, स्वयंसेवकों की मेहनत, और आमजन की सहभागिता इस अभियान को विशेष बनाती है। जल संरक्षण, स्वच्छता और परंपरागत जल स्रोतों के पुनरुद्धार की यह पहल न केवल पर्यावरणीय संतुलन बहाल करेगी, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए एक स्थायी जल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।
टिप्पणी : इस अभियान की सफलता की कहानी को स्थानीय स्कूलों, कॉलेजों और ग्राम पंचायत स्तर तक ले जाकर ‘जल प्रहरी’ जैसी भूमिकाएं विकसित की जा सकती हैं। साथ ही, भविष्य में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इसे लाइव स्ट्रीमिंग और वॉटर ट्रैकिंग मोबाइल ऐप्स से जोड़ने पर विचार किया जा सकता है।
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