
नई दिल्ली। दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िले के ठीक सामने, मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास सोमवार शाम हुआ कार धमाका राजधानी के हालिया इतिहास के सबसे गंभीर घटनाक्रमों में से एक बन गया। शाम के लगभग साढ़े छह बजे जब ट्रैफ़िक सामान्य रूप से चल रहा था, तभी एक सफेद रंग की कार रेड लाइट पर रुकते ही अचानक जोरदार धमाके के साथ फट गई। इसके बाद आसपास की छह से सात गाड़ियों में आग लग गई, सड़क पर भगदड़ मच गई, और मेट्रो स्टेशन के बाहर अफरा-तफरी फैल गई। दिल्ली पुलिस ने आधिकारिक तौर पर आठ लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है, जबकि घायलों की संख्या तेज़ी से बढ़ती दिख रही है।
यह धमाका ऐसे समय हुआ जब क्षेत्र में शाम की भीड़ अपने चरम पर होती है। मेट्रो से उतरते यात्रियों की संख्या सबसे अधिक होती है, और लाल क़िले की तरफ जाने वाले पर्यटकों एवं आम लोगों की आवाजाही भी बनी रहती है। जिस स्थान पर यह घटना हुई, वह दिल्ली के सबसे अधिक भीड़भाड़ वाले इलाक़ों में से एक है—जहां घंटों ट्रैफ़िक जाम सामान्य बात है और सड़कें हमेशा भरी रहती हैं।
धमाका कैसे हुआ और पहला अलार्म कैसे उठा?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धमाका किसी सामान्य वाहन दुर्घटना जैसा नहीं था। यह आवाज़ पूरे इलाके में गूंजी और इसकी तीव्रता ऐसी थी कि कई सौ मीटर दूर स्थित इमारतों की खिड़कियां हिल गईं। स्थानीय दुकानदारों और घरों से बाहर निकले लोग बताते हैं कि जैसे ही धमाका हुआ, सब कुछ कुछ सेकंड के लिए धुएं और आग की तेज़ लपटों में डूब गया।
एक चश्मदीद ने बताया कि कार से पहले हल्की सी चिंगारी जैसी चीज़ दिखाई पड़ी लेकिन उसके बाद बिना किसी अंतराल के बड़ा धमाका हुआ। यह इतना अचानक और तीव्र था कि आसपास खड़े लोग तुरंत जमीन पर गिर पड़े। किराना दुकान चलाने वाले वली उर रहमान ने घटना को याद करते हुए कहा कि ‘‘मैं धमाका सुनते ही तीन बार गिरा और फिर संभला। आवाज़ इतनी तेज़ थी कि ज्वालामुखी जैसा लगा। चारों तरफ धुआं ही धुआं था। लोग भाग रहे थे, कई गिर रहे थे, कई घायल चीख रहे थे।’’
इसी तरह एक अन्य व्यक्ति राजधर पांडे, जिनका घर पास के गुरुद्वारे के पास है, बताते हैं कि ‘‘घर की खिड़की तेज़ी से हिली। मैं छत पर था, नीचे आया तो देखा कि सड़क पर आग और अफरातफरी का मंजर है।’’ उनके अनुसार विस्फोट के तुरंत बाद कई वाहन जलते हुए दिखे और लोग अपनी सुरक्षा के लिए इधर-उधर भाग रहे थे।
आग कैसे फैली और कितनी गाड़ियां प्रभावित हुईं?
धमाके के तुरंत बाद आग इतनी तेजी से फैली कि देखते ही देखते कई वाहन इसकी चपेट में आ गए। कुछ कारों के अंदर फंसे लोग जान बचाने के लिए शीशे तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश करते दिखे। ऑटो रिक्शा चालक ज़ीशान, जो विस्फोट वाली कार के ठीक पीछे चल रहे थे, ने बताया कि ‘‘मेरी ऑटो से वह कार कुछ फुट ही दूर थी। एक पल में आग का गुबार उठा और मैंने सामने की टक्कर जैसी कोई आवाज़ नहीं सुनी, सीधे धमाका ही सुनाई दिया।’’ ज़ीशान के अनुसार, अगर उनकी ऑटो थोड़ी और आगे होती तो शायद वे भी इसकी चपेट में आ जाते।
विस्फोट के कारण बगल की पुलिस चौकी की खिड़कियां टूट गईं। फर्श पर कांच के टुकड़े बिखर गए और चौकी की बाहरी दीवारों पर कालिख जम गई।
चश्मदीद वीरू सिंधी का बयान—धमाके के बाद की स्थिति
बीबीसी हिन्दी के संवाददाता से बात करते हुए चश्मदीद वीरू सिंधी ने कहा कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने कई लोगों को जलते हुए भागते देखा। ‘‘मैंने दिल्ली पुलिस के जवानों के साथ दो लोगों को कार से बाहर निकालने में मदद की। कई कारों के दरवाज़े जाम थे क्योंकि धमाके की दिशा में धातु मुड़ गई थी। कुछ लोग इतने घबराए हुए थे कि वे जलती गाड़ी से कूदकर सड़क पर आ गए। कई लोग भागते हुए गिर भी जाते थे।’’
वह बताते हैं कि ‘‘धुआं इतना घना था कि शुरुआत में यह समझ ही नहीं आ रहा था कि कितने लोग फंसे हुए हैं। चारों ओर जलने की गंध थी और लोग इधर-उधर चिल्ला रहे थे। वहां मोबाइल पर वीडियो बनाने का वक्त भी नहीं था। बस जान बचानी थी और दूसरों की मदद करनी थी।’’
दमकल की एंट्री और बचाव कार्य कैसे चला?
दमकल विभाग को घटना के तीन मिनट के भीतर कॉल मिली और लगभग 7 फायर टेंडर मौके पर पहुंचे। तेज़ हवा के कारण आग और फैली, लेकिन दमकलकर्मियों ने उसे काबू करने में सफलता पाई। आग बुझाने के बाद सड़क पर धातु के पिघले हुए हिस्से, प्लास्टिक की राख और टूटे हुए वाहन दिखाई दे रहे थे।
एंबुलेंस ड्राइवर मोहम्मद असद, जो घटना के तुरंत बाद पहुंचे, ने बताया कि ‘‘सड़क पर लोग झुलसे हुए हालत में पड़े थे। कुछ लोग बेहोश थे। दो-तीन गाड़ियां अब भी धू-धू कर जल रही थीं। आग की वजह से रास्ता साफ करने में भी मुश्किल आ रही थी।’’
घायलों को एलएनजेपी अस्पताल, अरुणा आसफ़ अली अस्पताल और जीबी पंत अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने पुष्टि की कि कई घायलों की हालत गंभीर है, जिनमें कुछ को आईसीयू में रखा गया है।
क्या यह दुर्घटना थी या किसी साज़िश का हिस्सा? जांच के शुरुआती संकेत
दिल्ली पुलिस ने घटना की जांच के लिए एक विशेष टीमें गठित की हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञों की पहली रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन पुलिस ने यह साफ किया है कि ‘‘किसी भी संभावना को नकारा नहीं जाएगा।’’
अब तक जो बातें सामने आई हैं, उनमें यह शामिल है कि कार में कोई बड़ा क्रेटर नहीं मिला है। आमतौर पर शक्तिशाली विस्फोट होने पर जमीन पर गड्ढा बनता है, लेकिन यहां ऐसा स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं दिया। इसका मतलब यह हो सकता है कि विस्फोट किसी ऐसी चीज़ से हुआ जो सतह को बहुत गहराई तक नहीं चीरती लेकिन आसपास के वाहनों और लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है।
कुछ अधिकारी यह भी संकेत दे रहे हैं कि कार की बैटरी फटने की संभावना बहुत कम है क्योंकि विस्फोट की तीव्रता सामान्य बैटरी विस्फोट से कहीं अधिक थी। साथ ही अंदर से जो क्षतिग्रस्त धातु मिली है, वह किसी बाहरी विस्फोटक पदार्थ के इस्
तेमाल की संभावना की ओर इशारा करती है। हालांकि पुलिस ने अभी तक इसे ‘आतंकी घटना’ घोषित नहीं किया है।
क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ी, सीआईएसएफ और अन्य एजेंसियों की तैनाती
धमाके के तुरंत बाद दिल्ली के कई हिस्सों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। सरकारी इमारतों, संसद भवन परिसर, हाई कोर्ट, मेट्रो स्टेशनों, हवाईअड्डों और कई संवेदनशील बिंदुओं पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। सीआईएसएफ ने भी सोशल मीडिया के माध्यम से यह जानकारी दी कि सुरक्षा मापदंडों को उच्च स्तर पर ले जाया गया है।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कुछ समय के लिए लाल किला मेट्रो स्टेशन का एक गेट बंद कर दिया और यात्रियों की चेकिंग बढ़ा दी। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन और कश्मीरी गेट बस अड्डे पर भी स्थिति की मॉनिटरिंग की जा रही है।
दिल्ली पुलिस की ओर से आधिकारिक बयान
पुलिस आयुक्त ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ‘‘प्रारंभिक जांच में यह घटना साधारण कार दुर्घटना नहीं लगती। जिस तरह वाहन को नुकसान हुआ है और आसपास की गाड़ियों में आग फैली है, वह संकेत देता है कि धमाका अंदर से था। लेकिन हम बिना ठोस सबूत के किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचेंगे।’’
उन्होंने बताया कि मृतकों में कुछ राहगीर और दो-तीन वाहन चालक शामिल हैं। कई घायल गंभीर अवस्था में हैं और डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों का डर और क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल
लाल क़िले के आसपास रहने वाले और रोज़ाना वहां आने-जाने वाले लोगों में भय का माहौल है। कई स्थानीय लोग कहते हैं कि यह इलाका हमेशा व्यस्त रहता है, इसलिए किसी भी तरह की ऐसी घटना भीड़ को बड़ा नुकसान पहुँचा सकती है। दुकानदारों ने शाम के समय अपनी दुकानें जल्दी बंद कर दीं। कई व्यापारी संघों ने सरकार से अपील की है कि क्षेत्र में लंबे समय तक सख्त सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखी जाए।
कुछ स्थानीय लोगों ने यह भी कहा कि धमाके के बाद कई बच्चे और महिलाएं इतनी घबरा गईं कि पुलिस उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले गई।
सोशल मीडिया पर तेज़ी से फैलती खबर और अफवाहें—पुलिस ने दी चेतावनी
घटना के कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर कई अपुष्ट दावे सामने आने लगे। किसी ने कहा कि कार में सिलिंडर था, तो किसी ने कहा कि यह आतंकी साजिश है। हालांकि दिल्ली पुलिस ने साफ कहा कि ‘‘किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें, आधिकारिक जानकारी केवल सरकार के माध्यम से दी जाएगी।’’
पुलिस ने क्षेत्र की कुछ CCTV फुटेज कब्जे में ली है, जिसमें एक-दो संदिग्ध गतिविधियों के संकेत मिले हैं, लेकिन इसकी पुष्टि अभी बाकी है।
घटना का राष्ट्रीय असर—दिल्ली व पड़ोसी राज्यों में अलर्ट
दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भी अलर्ट जारी किया गया है। भीड़भाड़ वाले बाज़ारों और धार्मिक स्थलों पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है। कई राज्यों ने अपनी एंटी-टेरर यूनिट्स को उच्च सतर्कता पर रहने के निर्देश दिए हैं।
घटना का मानवीय पहलू—मौतें, चीखें और टूटे हुए सपने
धमाके में मारे गए लोगों में एक ई-रिक्शा चालक, एक दुपहिया सवार, और एक महिला शामिल है जो अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ गई। इनमें से कई लोग अपने घरों की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मेहनत करने वाले मध्यम और निम्न वर्ग के परिवारों से आते थे। अस्पताल में उनके परिजन रोते-बिलखते घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए परेशान दिखे।
एक घायल व्यक्ति संदीप, जिसे हाथ और चेहरे पर गंभीर जलन है, ने कहा कि ‘‘मैं समझ नहीं पाया कि क्या हुआ। बस आग और चीखें सुनाईं दीं। किसी तरह भागकर दूर आया और गिर पड़ा।’’
क्या आगे हो सकते हैं और खुलासे?
जांच एजेंसियों को कार के अवशेषों से कई सबूत मिले हैं। इनका परीक्षण हो रहा है। आमतौर पर ऐसी घटनाओं में फोरेंसिक टीम धातु के टुकड़ों, रासायनिक अवशेषों, कार की वायरिंग और बैटरी के हिस्सों की जांच करती है। यह प्रक्रिया कई घंटों से लेकर कई दिनों तक चल सकती है।
पुलिस यह भी जांच रही है कि कार किसकी थी, उस दिन किसने चलाया, और क्या वाहन की ट्रैकिंग या रजिस्ट्रेशन में कोई संदिग्ध जानकारी है। आसपास की दुकानों और घरों के 40 से अधिक CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है।
निष्कर्ष—दिल्ली एक बार फिर सवालों के घेरे में
लाल क़िला दिल्ली का ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने वाला स्थान है। उसके ठीक सामने ऐसा धमाका सुरक्षा एजेंसियों और सरकार के लिए बड़ी चेतावनी है। एक तरफ जहां यह हादसा मानवीय त्रासदी लेकर आया है, वहीं दूसरी तरफ यह सवाल भी खड़ा करता है कि राजधानी के सबसे सुरक्षित क्षेत्रों में भी सुरक्षा की ऐसी खामियां कैसे रह जाती हैं।
घटना की गंभीरता को देखते हुए आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल पूरा क्षेत्र सुरक्षा घेरे में है, पुलिस और जांच एजेंसियां लगातार काम कर रही हैं, और दिल्ली बेहद सतर्क मोड में है।
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