
नई दिल्ली। गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने समाचार एजेंसी ANI को दिए विशेष साक्षात्कार में 130वें संविधान संशोधन विधेयक और उससे जुड़े संवैधानिक, राजनीतिक व नैतिक पहलुओं पर विस्तार से बातचीत की। शाह ने साफ कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पष्ट मानना है कि कोई भी नेता जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता। उन्होंने विपक्ष पर संसद न चलने देने और जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया, वहीं अदालतों की भूमिका और नैतिक मूल्यों की अहमियत को भी रेखांकित किया।
प्रश्न : 130वें संविधान संशोधन विधेयक को आप किस तरह देखते हैं?
अमित शाह : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साफ मानना है कि देश में कोई भी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री जेल में रहकर सरकार नहीं चला सकता। इसलिए संशोधन में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई गंभीर आरोप में गिरफ्तार होता है और 30 दिन तक जमानत नहीं मिलती, तो वह स्वतः पदमुक्त हो जाएगा।
प्रश्न: विपक्ष कह रहा है कि यह संशोधन राजनीतिक प्रतिशोध के लिए है।
अमित शाह : यह संशोधन सिर्फ विपक्ष के लिए नहीं है, बल्कि हमारे अपने नेताओं पर भी लागू है। अगर किसी पर फर्जी मामला होता है तो अदालतें आंख मूंदकर नहीं बैठेंगी। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को जमानत देने का अधिकार है। लेकिन सवाल यह है कि क्या लोकतंत्र में यह शोभा देता है कि मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल से आदेश जारी करें और सचिव या DGP आदेश लेने जेल जाएं?
प्रश्न: क्या संविधान निर्माताओं ने इस स्थिति की कभी कल्पना की थी?
अमित शाह : जब संविधान बना था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि कोई नेता जेल में रहकर भी सरकार चलाएगा। इसलिए हमें नैतिक मूल्यों को गिरने नहीं देना चाहिए। यह कानून लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने का काम करेगा।
प्रश्न: विपक्ष का कहना है कि संसद में बहस का अवसर नहीं दिया जाता।
अमित शाह : यह पूरी तरह गलत है। मैंने कहा है कि संशोधन को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सौंपा जाएगा। इस पर दो-तिहाई बहुमत से वोट होना है और सभी दलों को अपना मत रखने का पूरा अधिकार है। समस्या यह है कि विपक्ष बिल पर चर्चा ही नहीं होने देता। संसद बहस और विमर्श के लिए है, शोरगुल और हंगामे के लिए नहीं।
प्रश्न: गंभीर अपराध की परिभाषा क्या रखी गई है?
अमित शाह : संशोधन में यह स्पष्ट किया गया है कि जिन अपराधों में पाँच साल या उससे अधिक की सज़ा का प्रावधान है, उन्हें गंभीर अपराध माना जाएगा। ऐसे मामलों में अगर कोई नेता जेल में है और 30 दिन तक जमानत नहीं मिलती तो उसे पद छोड़ना होगा।
प्रश्न : आपने कई बार नैतिकता का हवाला दिया है। क्या यह कानून उसी का विस्तार है?
अमित शाह : बिल्कुल। मैं खुद इसका उदाहरण हूँ। जब मुझ पर आरोप लगे तो मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया था। 96वें दिन जमानत भी मिली लेकिन मैंने दोबारा गृह मंत्री पद की शपथ नहीं ली। तब तक नहीं ली जब तक आरोप पूरी तरह खारिज नहीं हो गए। अदालत ने साफ कहा कि यह मामला राजनीतिक प्रतिशोध था और मेरा कोई लेना-देना नहीं था। नैतिकता चुनावी जीत या हार से तय नहीं होती, बल्कि वह सूर्य और चंद्रमा की तरह स्थिर रहती है।
प्रश्न : विपक्ष का आरोप है कि यह सरकार वेंडेटा की राजनीति करती है।
अमित शाह : विपक्ष को नैतिकता का पाठ पढ़ाने का हक़ नहीं है। उनके ही समय में बारह से अधिक मामलों में कोर्ट के आदेश पर CBI जांच हुई थी। अगर JPC बनाई जा रही है और फिर भी विपक्ष बहिष्कार करता है तो सरकार कुछ नहीं कर सकती। सच्चाई यह है कि जो भ्रष्टाचार में डूबा है उसे अरेस्ट भी होना पड़ेगा, जेल भी जाना पड़ेगा और इस्तीफा भी देना पड़ेगा।
प्रश्न : इस बिल के पास होने की संभावना कितनी है?
अमित शाह : मुझे विश्वास है कि यह बिल पारित होगा। हमारे सहयोगी दल समर्थन कर रहे हैं और विपक्ष में भी कई लोग नैतिकता के आधार पर साथ आएंगे। संसद चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ सत्ता पक्ष की नहीं है। विपक्ष को भी स्वस्थ माहौल बनाना चाहिए। जनता सब देख रही है।
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