राठवा डांस देख रोमांचित हुए दर्शक, लावणी और तलवार रास ने रिझाया

 

ओडिशा, मणिपुर, कर्नाटक और पंजाब की प्रस्तुतियों ने कराई विविध लोक संस्कृतियों की झलक

‘घूमरो-घूमरो श्याम रंग घूमरो…’ पर कश्मीर के रौफ नृत्य ने बांधा समां

‘हिवड़ा री हूक’ में युवाओं की उत्साहपूर्ण भागीदारी

उदयपुर। शिल्पग्राम उत्सव के तीसरे दिन मंगलवार की शाम गुजरात के आदिवासी राठवा नृत्य की मनोहारी प्रस्तुति ने दर्शकों को रोमांच से भर दिया। जब नर्तकों ने अद्भुत संतुलन का प्रदर्शन करते हुए नर्तकियों को कंधों पर खड़ा कर पिरामिड संरचना बनाई, तो मुक्ताकाशी मंच तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव की इस संध्या ने ‘लोक के रंग-लोक के संग’ की थीम को जीवंत रूप दे दिया।

मुख्य कार्यक्रम में राजस्थान के पारंपरिक नगाड़ा वादन, सफेद आंगी व लाल आंगी गेर तथा चरी नृत्य ने दर्शकों का दिल जीत लिया। वहीं ओडिशा के संभलपुरी, मणिपुर के लाई हारोबा और कर्नाटक के पूजा कुनिथा नृत्य ने लोक संस्कृति की विविधता को मंच पर साकार किया।

इस संगीतमय शाम को कश्मीर के रौफ लोक नृत्य ने ‘घूमरो-घूमरो श्याम रंग घूमरो…’ गीत के साथ और भी रंगीन बना दिया। कलाकारों की लयबद्ध प्रस्तुति पर दर्शकों ने भी सुर मिलाते हुए भरपूर दाद दी। अपनी सशक्त अभिव्यक्ति, श्रृंगार और तीव्र-मध्यम-धीमी लय के अनूठे समन्वय के लिए प्रसिद्ध महाराष्ट्र की लावणी ने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया। इसके साथ ही मल्लखंभ के साहसिक करतबों ने रोमांच का स्तर और बढ़ा दिया।

पंजाब के लुड्डी और गुजरात के तलवार रास लोक नृत्यों ने दर्शकों में जोश और उत्साह का संचार किया, वहीं हरियाणा की प्रसिद्ध घूमर पर दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम का संचालन मोहिता दीक्षित एवं वेदिका दीक्षित ने किया।

आगे और भी रोचक प्रस्तुतियां होंगी शामिल : फुरकान खान

उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि शिल्पग्राम उत्सव का उद्देश्य देश के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं और हस्तशिल्प को सशक्त मंच प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि मेवाड़, विशेषकर उदयपुर के कला-प्रेमी दर्शकों की रुचि और सहभागिता इस उत्सव की सफलता का आधार है। आने वाले दिनों में कई नई और आकर्षक लोक प्रस्तुतियां मंच पर देखने को मिलेंगी।

‘हिवड़ा री हूक’ युवाओं को कर रहा आकर्षित

शिल्पग्राम उत्सव के दौरान बंजारा मंच पर आयोजित ‘हिवड़ा री हूक’ कार्यक्रम के दूसरे दिन भी युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा गया। हर आयु वर्ग के श्रोता इसमें सक्रिय भागीदारी कर रहे हैं। गीत-संगीत के बीच संचालक सौरभ भट्ट द्वारा कराई जा रही प्रश्नोत्तरी ने कार्यक्रम को और रोचक बना दिया, जिसमें सही उत्तर देने वालों को उपहार भी दिए जा रहे हैं।

थड़ों पर साकार हो रही लोक संस्कृति

शिल्पग्राम परिसर में विभिन्न थड़ों पर सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चल रही लोक प्रस्तुतियां मेलार्थियों का भरपूर मनोरंजन कर रही हैं। मुख्य द्वार के पास गवरी, आंगन में कच्ची घोड़ी और बाजीगरों के करतब, देवरा में गोंधल व पोवाड़ा, बन्नी पर मसक वादन, सम पर मांगणियार गायन, दर्पण फूड कोर्ट के पास बीन जोगी व चकरी, भूजोड़़ी पर ढोलू कुनिथा, गोवा ग्रामीण पर कठपुतली और बड़े बाजार में डेरू व घूमट की प्रस्तुतियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

इसके साथ ही बहरूपियों की घूमती प्रस्तुतियां, पत्थर के भव्य शिल्प और सेल्फी पॉइंट्स मेलार्थियों को खूब लुभा रहे हैं, जिससे शिल्पग्राम उत्सव में लोक संस्कृति के रंग और भी गहराते नजर आ रहे हैं।

 

 

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