‘हश-मनी’ केस में डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें बढ़ीं : क्या बच पाएंगे पूर्व राष्ट्रपति?

न्यूयॉर्क। डोनाल्ड ट्रंप, जो कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति हैं, को ‘हश-मनी’ केस में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले चार हफ्तों से न्यूयॉर्क की एक अदालत में ट्रंप चुपचाप बैठे रहे, जबकि अभियोजकों ने उनके खिलाफ आपराधिक मामला पेश किया। यह किसी भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति के खिलाफ पहला आपराधिक मामला है।

मामला क्या है?

साल 2016 में ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति पद के चुनाव अभियान को बचाने के लिए एडल्ट फिल्म स्टार स्टॉर्मी डेनियल्स को चुप रहने के बदले में 130,000 डॉलर का भुगतान किया था। आरोप है कि यह भुगतान ट्रंप के संगठन के खातों में गलत तरीके से कानूनी सेवा के रूप में दर्ज किया गया था।

अदालत में अभियोजन पक्ष की कार्यवाही

मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ऑफिस के वकीलों ने अदालत में कई गवाह पेश किए और गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई दर्जनों बातचीत और दस्तावेज प्रस्तुत किए। ‘नेशनल इन्क्वायरर’ के पूर्व पब्लिशर डेविड पेकर ने ट्रंप टॉवर में हुई मुलाकातों के बारे में बताया, जहां ट्रंप, माइकल कोहेन और पेकर ने ट्रंप से जुड़ी नकारात्मक खबरों को दबाने की योजना बनाई थी।

गवाहों का बयान और सबूत

अभियोजकों ने ट्रंप के पूर्व सहयोगी होप हिक्स और स्टॉर्मी डेनियल्स के पूर्व अटॉर्नी कीथ डेविडसन समेत कई अन्य गवाहों को बुलाया। कोलंबिया लॉ स्कूल के प्रोफेसर जॉन कॉफी ने अभियोजन पक्ष की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने केस को एक दिलचस्प कहानी की तरह प्रस्तुत किया है, जिसमें सभी किरदार आपस में जुड़े हुए हैं।

ट्रंप के बचाव पक्ष की बारी

अब ट्रंप के वकील अपना बचाव पक्ष पेश करेंगे। कानून के जानकारों का मानना है कि अभियोजन पक्ष ने मजबूत काम किया है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि ट्रंप को सजा होगी। ब्रुकलिन की पूर्व अभियोजक जूली रैंडलमेन कहती हैं, “सबूत तो हैं, लेकिन क्या ये काफ़ी हैं? मुझे नहीं पता। इसके लिए जूरी के एक सदस्य की ज़रूरत होती है।”

क्या बच पाएंगे ट्रंप?

ट्रंप के लिए यह मामला कठिन हो सकता है, लेकिन उन्हें दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष को जूरी को पूरी तरह से आश्वस्त करना होगा। ट्रंप के बचाव पक्ष की रणनीति और अदालत में पेश किए गए सबूतों की मजबूती पर ही उनका भविष्य निर्भर करेगा।

इस मामले का फैसला न केवल ट्रंप के राजनीतिक करियर, बल्कि अमेरिकी राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है। अब देखना यह होगा कि अदालत का निर्णय क्या होता है और ट्रंप इस संकट से कैसे उबरते हैं।

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