इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने सोमवार को अपनी वॉर कैबिनेट भंग कर दी, जिससे ग़ज़ा में चल रहे इसराइल-हमास संघर्ष पर नए सवाल खड़े हो गए हैं। कैबिनेट के दो प्रमुख सदस्य, विपक्षी नेता और पूर्व जनरल बेनी गैंट्ज़ और उनके सहयोगी गादी आइज़नकॉट ने इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।
गैंट्ज़ और आइज़नकॉट, जो मध्यमार्गी विचारधारा के हैं, का कहना था कि ग़ज़ा में चल रहे युद्ध में रणनीति की कमी है। दूसरी ओर, धुर-दक्षिणपंथी मंत्री इतेमार बेन ग्विर और बेज़ालेल स्मॉट्रिच ने आग्रह किया कि इन इस्तीफ़ों के बाद बने खाली स्थानों को उन्हें दिया जाए।
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि अब हमास के साथ ग़ज़ा में युद्ध के निर्णय सुरक्षा कैबिनेट और मंत्रिमंडल में लिए जाएंगे। संवेदनशील फैसलों के लिए चार सदस्यों वाला एक कंसल्टेटिव फ़ोरम बनाया गया है।
इस कदम से इसराइल-हमास संघर्ष पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। मध्यमार्गी नेताओं के जाने से संतुलन में बदलाव आ सकता है और धुर-दक्षिणपंथी दृष्टिकोण के हावी होने की संभावना बढ़ सकती है, जिससे संघर्ष की दिशा और तीव्रता प्रभावित हो सकती है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नेतन्याहू की नई कैबिनेट संरचना और रणनीति किस प्रकार ग़ज़ा में चल रहे युद्ध को आगे बढ़ाएगी और क्या इससे शांति स्थापना के प्रयास बाधित होंगे।
About Author
You may also like
-
उदयपुर की तीन बालिकाओं का राष्ट्रीय बास्केटबॉल चैंपियनशिप हेतु चयन
-
डाॅ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने किया वोटरी का शुभारम्भ : प्राचीन कलाओं को पुनर्जीवित और प्रोत्साहित करने का मंच
-
शाहरुख़ ख़ान दुनिया के सबसे अमीर सेलेब्रिटीज़ में शामिल, 1.4 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक
-
उदयपुर नगर निगम को स्वच्छता सर्वेक्षण में अव्वल रहने पर सम्मान, आयुक्त अभिषेक खन्ना को मिला सम्मान
-
भारत-वेस्ट इंडीज़ टेस्ट : सिराज-बुमराह की घातक गेंदबाज़ी से 162 पर ढेर हुई वेस्ट इंडीज़ टीम