पुस्तक विमोचन: “मेवाड़नाथ भगवान एकलिंग जी”

उदयपुर में एक मुबारक लम्हा हमारी तारीख़ में सुनहरे हरूफ़ से दर्ज किया जाएगा, जब “मेवाड़नाथ भगवान एकलिंग जी” जैसी रूहानी और तारीखी तसदीक़ी किताब का विमोचन अज़ीम हस्ती पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह साहब के दस्त-ए-मुबारक से अंजाम पाया।

उदयपुर के लक्ष्मी विलास पैलेस सभागार की पुरवक़ार फ़िज़ाओं में जब यह इल्मी और तारीखी कारनामे से लबरेज़ किताब दुनिया के सामने पेश की गई, तो हर एक दिल में एक अजीब सुकून और इज़हार-ए-मोहब्बत का अहसास था। इस किताब को तसनीफ़ करने वाले मक़बूल इतिहासकार डॉ. जी. एल. मेनारिया और डॉ. अजात शत्रु शिवरती ने मेवाड़ की शान और उसके दैवीय हुकूमती निज़ाम की हक़ीक़त को एक नई रौशनी बख्शी है।

डॉ. कर्ण सिंह साहब, जो न सिर्फ़ एक तहरीकी मुफक्किर बल्कि पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्य सभा सदस्य और जम्मू-कश्मीर के ‘सदर-ए-रियासत’ भी रह चुके हैं, उन्होंने किताब की तारीफ़ करते हुए फरमाया कि “यह किताब मेवाड़ की अद्वितीय हुकूमती रवायतों और सनातनी हुक्मरानी को समझने में बेहतरीन रहनुमा साबित होगी।” उन्होंने यह भी कहा कि “मेवाड़ में हुकूमत हमेशा एक रूहानी अमानत रही है, जहां राजा खुद को सिर्फ़ एकलिंगजी का दीवान मानता था और राज-पाट की सारी सल्तनत महज़ एकलिंग नाथ के हुक्म की ताबेदार हुआ करती थी।”

इस पुरअसर और रोशन महफ़िल में भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय और राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति कर्नल डॉ. एस. एस. सारंगदेवोत ने भी शिरकत की और किताब की अहमियत पर रोशनी डाली।

महफ़िल में पूर्व बार अध्यक्ष शंभूसिंह राठौड़, एडवोकेट प्रकाशचन्द्र जैन, मशहूर उद्योगपति दलपत सुराणा, भरत भानू सिंह देवड़ा, डॉ. युवराज सिंह, शिवदान सिंह, ज्येन्द्र सिंह सिरयारी, डॉ. मीनाक्षी मेनारिया, डॉ. रामसिंह राठौड़ और धन सिंह सिसोदिया जैसे कई आलिम, मुफक्किर और इल्मो-अदब के शैदाई मौजूद रहे, जिन्होंने इस नायाब किताब के मुबारक विमोचन के गवाह बने।

इतिहास की नई दस्तावेज़, हक़ीक़त से रूबरू कराती यह किताब…!
मस्नूई तर्ज़-ए-हुकूमत की इस दुनिया में “मेवाड़नाथ भगवान एकलिंग जी” एक ऐसा आईना है, जिसमें हमारी तहज़ीब, हमारी हुकूमत की पुरानी रवायतें और एक दैवीय शासन प्रणाली की पाकीज़गी झलकती है। मेवाड़ के तख़्त से जुड़ी ये कहानियाँ सिर्फ़ अतीत का हिस्सा नहीं बल्कि एक बेहतरीन हुकूमती फलसफ़े की मिसाल हैं, जो आने वाली नस्लों को सही रहनुमाई देती रहेंगी।

यह किताब उन तमाम लोगों के लिए एक तोहफ़ा है जो तारीख़ की गहराइयों में उतरकर हक़ीक़त से वाक़िफ़ होना चाहते हैं। “मेवाड़नाथ भगवान एकलिंग जी” सिर्फ़ एक किताब नहीं बल्कि एक अद्वितीय दस्तावेज़ है, जिसे हर हिन्दुस्तानी को पढ़ना चाहिए।

“यह इल्म की वह शम’अ है, जिससे उजाला बेशुमार होगा,
हर सिफ़ह एक आईना है, जिसमें अक्स मेवाड़ होगा।”

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