विश्व कल्याण हेतु पूर्णाहुति के साथ कथा समापन, उमड़ा जनसैलाब
राजसमन्द/कुंवारिया। शिव महापुराण के समापन दिवस के अवसर पर साध्वी सुहृदय गिरि ने कहा कि राम नाम से बड़ा कोई गुरु मंत्र नहीं है। श्रद्धापूर्वक किया गया प्रत्येक कार्य मंत्र बन जाता है। राम नाम से बड़ा कोई गुरु मंत्र नहीं है। जीवन का सत्य जानने के लिए सात दिवस पर्याप्त है, कथा के इन सात दिनों में हम स्वयं को परिष्कृत कर सकते हैं।
व्यास पीठ से कथा प्रवचन करते हुए साध्वी सुहृदय गिरि ने कहा कि व्यक्ति विशेष न बनो भगवान के भक्त बनो, शिव महापुराण सात दिवस तक सुनकर जीवन में उतारने की कोशिश करोगे तो स्वयं शिव बन जाओगे। सात दिवस मैं मन वचन कर्म से निर्मल शुद्ध बन गए हो अब फिर से पाप की चादर मत ओढ़ लेना। तन मांजने से कुछ नहीं होता, मन मांजने से ही सबका कल्याण होगा। मन, वचन, कर्म से किए गए पाप का कर्मफल स्वयं को ही भुगतना होगा।
साध्वी ने कहा कि मन अगर पवित्र तो शिव आपके हृदय में विराजमान हो जायेंगे इसलिए शिव की भक्ति के लिए मन की पवित्रता प्रथम आवश्यकता है। मन की पवित्रता अच्छी संगत से आती है इसलिए संतो की संगत को श्रेष्ठ माना गया है। सब देवताओं की शक्ति जब एकाकार हुई तब शक्ति स्वरूपा दुर्गा का आविर्भाव हुआ भारतीय संस्कृति में महिलाओं को शक्ति स्वरूपा दुर्गा रूप में स्वीकार किया गया है वही धन ऐश्वर्य की प्राप्ति भी लक्ष्मी विद्या की प्राप्ति सरस्वती से होती है ये सब नारी का स्वरूप है परंतु पाश्चात संस्कृति के प्रभाव में नारी के सम्मान और चरित्र की हानि हुई है, अब हम सभी की जिम्मेदारी है कि राष्ट्र में भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना की आवश्यकता है।
विदित रहे की कुंवारियां कस्बे में शिव महापुराण कथा का आयोजन पिछले सात दिवस से चल रह था। पूर्णाहुति और महाप्रसाद के साथ कथा का समापन हुआ। समापन के पश्चात व्यास पीठ से कथा प्रवचन कर रही दीदी मां साध्वी ऋतंभरा की प्रथम शिष्या साध्वी सुहिर्दय गिरि को भावुक हुए स्वयंसेवकों, मातृशक्ति और ग्रामवासियों ने अश्रुपुरित नेत्रों से भावभीनी विदाई दी।
कथा के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मीठा लाल शर्मा, विभाग प्रचारक धनराज, जिला प्रचारक गजेंद्र, नेता प्रतिपक्ष हिम्मत कुमावत पार्षद प्रह्लाद सिंह राठौड़ सूर्यप्रकाश जांगिड़ समाजसेवी शांति लाल कोठारी विजय प्रकाश सनाढ्य हरिवल्लभ पालीवाल पूर्व सरपंच दौलत सिंह शक्तावत राजेश्वरी सेन भावेश दवे मोहन कुमावत सहित सैंकड़ों ग्रामवासी उपस्थित थे।
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