उदयपुर। श्री महालक्ष्मी जी का प्राकट्योत्सव दिनाँक 6 अक्टूबर 2023 शुक्रवार को महालक्ष्मी मंदिर, भट्टियानी चोहट्टा उदयपुर में श्री श्रीमाली जाति सम्पति व्यवस्था ट्रस्ट, महालक्ष्मी मंदिर उदयपुर की और से हर्षोल्लास से मनाया गया।
कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण गोपाल दुर्गावत ने बताया कि प्रातः काल श्री महालक्ष्मी जी को वैदिक ऋचाओ के पाठ के साथ पंचामृत से अभिषेक कराया गया। तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन कर विशेष वेश एवं स्वर्णाभूषणों से श्रृंगार धराया गया।
इस अवसर पर आचार्य मनीष श्रीमाली एवं विद्वान पंडितो द्वारा श्रीसूक्त के 108 पाठ एवं दुर्गाशप्तशती के हवन का कार्यक्रम किया गया। जिसमे मुख्य यजमान जतिन श्रीमाली एवं 5 जोड़े हवन में बैठे। हवन की पूर्णाहुति साँय 4.30 बजे हुई। सांयकाल मंदिर प्रांगण में सुंदरकांड का पाठ किया गया तथा श्रद्धालुओं ने भजन संध्या का आयोजन किया।
मध्यरात्रि 12.00 बजे मातेश्वरी की महाआरती की गई एवं भोग धराया गया जिसे आरती के पश्चात श्रद्धालुओ में वितरित किया गया।
इस अवसर पर ट्रस्ट के कृष्ण गोपाल दुर्गावत, सचिव गोपीकृष्ण, कोषाध्यक्ष मधुसूदन बोहरा, हेमेंद्र, शांतिलाल, डॉ देवेंद्र श्रीमाली, दिनेशचंद्र, जगदीश, जमनालाल, डॉ लक्ष्मी नारायण श्रीमाली, सुरेश, जयप्रकाश, डालचंद, भगवती लाल श्रीमाली, प्रेम शंकर बोहरा और अन्य समाज जन उपस्थित थे। इस अवसर पर दिनभर दर्शनों एवं अनुष्ठान में भाग लेने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा।
मंदिर का इतिहास
भट्टियानी चोहट्टा स्तिथ महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास 400 वर्ष पुराना है। महाराणा जगत सिंह जी के शासन काल मे यह मंदिर बना है। महालक्ष्मी मंदिर निर्माण का मुख्य उद्देश्य राज्य में प्रजा के वैभव और विस्तार के उद्देश्य से किया गया था। यहाँ स्थापित माताजी की मूर्ति भी विशेष है, जिसमे हाथी सूंड द्वारा जल कलश से लक्ष्मी जी के अभिषेक करते हुए दिख रहा है। मेवाड़ में श्राद्धपक्ष की अष्टमी पर प्राचीनकाल से ही गज सवार लक्ष्मी की पूजा होती है एवं महिलाएं अष्टमी का व्रत अनुष्ठान करती है।
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