
जोधपुर की क्राइम स्टोरी
उस दिन दोपहर की धूप थी, नीतेंद्रराज उर्फ प्रदीप ने पिता से कहा—”पापा, जोधपुर जा रहा हूं, एग्जाम है। जल्दी लौट आऊंगा।”
पिता ने माथा चूमा, आशीर्वाद दिया और उम्मीद से दरवाजे पर खड़े होकर बेटे को जाते देखा।
पर यह ‘जल्दी लौट आऊंगा’… आखिरी वाक्य बन जाएगा—ये जुगराज ने कभी सोचा नहीं था।
15 महीने की दर-दर की ठोकरें, और एक बेजान खोपड़ी…
समय बीतता गया… नीतेंद्रराज लौटा नहीं।
फोन किया—स्विच ऑफ।
थाने गया—कंधे उचकाए गए।
रिश्तेदारों के घर खोजा—निराशा।
कभी जोधपुर गया, कभी देचू… कभी बस अड्डे, कभी मंदिरों में पूछा…
जुगराज ढूंढता रहा अपने लाल को—एक उम्मीद के साथ, एक तस्वीर लिए।
एक दिन थाने में बेटे का मोबाइल मिला। फिर बस कंडक्टर से पता चला कि एक लड़की के साथ बेटे को देखा गया था।
फोन में कॉल रिकॉर्डिंग सुनी—लड़की जबरन मिलने बुला रही थी।
आवाज़ पहचानी गई—ममता मीणा।
सरकारी स्कूल की टीचर। और उसके साथ जयकरण मीणा—एक और शिक्षक।
वहीं से जुगराज की उम्मीदें डर में बदलने लगीं।
जब खोपड़ी बोल उठी—”मैं नीतेंद्र हूं…”
नवंबर 2023 में एक खोपड़ी मिली थी—मोहनपुरी बाबा मंदिर के पीछे।
पुलिस ने कुत्तों का शिकार मानकर मिट्टी में दबा दी थी।
पर जुगराज को शक था—”ये मेरा बेटा है…”
वो फिर थाने गया—गुहार लगाई—”डीएनए कराओ…”
जब रिपोर्ट आई, तो खामोश कंकाल ने चीखकर कहा—”हां, मैं ही हूं… नीतेंद्र…”
पढ़ाने वाले निकले कातिल…
सरकारी स्कूल के वो दो शिक्षक—ममता मीणा और जयकरण मीणा—अब हवालात में हैं।
दोनों ने नीतेंद्र की दुनिया ही नहीं छीनी, एक पिता की जिंदगी भी लूट ली।
जिस मां ने बेटे के लिए जोधपुर जाने से पहले हलवा बनाया था, उसकी आंखें अब हर रोज सूखते हुए आंसूओं में डूबी रहती हैं।
जो बाप बेटे को डॉक्टर-इंजीनियर बनाना चाहता था, वो अब सिर्फ एक तस्वीर से बातें करता है।
न्यायिक हिरासत में हैं आरोपी, लेकिन…
पुलिस ने रिमांड मांगा था, कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया।
अब पूछताछ होगी, सच्चाई बाहर आएगी।
पर जुगराज के लिए अब कोई सजा काफी नहीं…
उसके लिए बस इतना ही काफी है कि—”उसका बेटा अब कभी दरवाजे से वापस नहीं लौटेगा…”
आखिरी सवाल यह है कि आखिर दोनों ने नीतेंद्रराज को क्यों मारा। इसके जवाब में देचू थाने के इंस्पेक्टर एसएचओ शिवराज सिंह ने बताया कि महिला टीचर और नीतेंद्र पहले प्यार करते थे और बाद में दोनों के बीच मनमुटाव हो गया था। यानी प्रेम प्रसंग में ही हत्या की गई।
About Author
You may also like
-
हार्ट लैंप से बुकर तक : बानू मुश्ताक़ की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी
-
मां के हाथों टूटी मासूमियत : हरिद्वार की ख़ामोश गंगा और एक बेटी की चीख, बीजेपी ने महिला को पार्टी से निकाला
-
विश्व पर्यावरण दिवस 2025 : हिन्दुस्तान जिंक बनी 3.32 गुना वाटर पॉजिटिव कंपनी, 2030 के लिए घोषित किए महत्वाकांक्षी सतत विकास लक्ष्य
-
राष्ट्रपति ने रक्षा अलंकरण समारोह-II में विशिष्ट सेवा पुरस्कार प्रदान किए
-
असम में बाढ़ की त्रासदी: 1500 से अधिक गांव जलमग्न, छह लाख से अधिक प्रभावित