
उदयपुर। भारत की ग्रामीण आत्मा को सशक्त करने की दिशा में अनिल अग्रवाल फाउंडेशन की नंद घर पहल आज सामाजिक बदलाव की मिसाल बन चुकी है। यह सिर्फ आंगनवाड़ी केंद्रों का आधुनिकीकरण नहीं, बल्कि बच्चों और महिलाओं के भविष्य को सुनहरा बनाने की सुनियोजित यात्रा है।
आज नंद घर ने 15 राज्यों में 8,000 से अधिक पारंपरिक आंगनवाड़ियों को आधुनिकता के रंग से सजाकर, उन्हें ज्ञान, पोषण और सशक्तिकरण के केंद्र में बदल दिया है। यह उपलब्धि केवल आँकड़ा नहीं, बल्कि लाखों जिंदगियों में आई उजास की कहानी है।
नवाचार और सेवा का संगम
नंद घरों में लगाया गया हर एक स्मार्ट टीवी, ई-लर्निंग टूल और बच्चों के लिए तैयार की गई बाला डिजाइन न केवल शिक्षा को रोचक बनाती है, बल्कि ग्रामीण भारत में डिजिटल लर्निंग की पहुँच को भी विस्तार देती है। यहाँ बच्चों के लिए स्वच्छता, सुरक्षा और पोषण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है – यह सोच भारत के भविष्य को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ी छलांग है।
महिला सशक्तिकरण की नई परिभाषा
नंद घर केवल बच्चों के लिए नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी आत्मनिर्भरता की राह खोलता है। यहाँ उन्हें हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, रिटेल जैसे कौशलों में प्रशिक्षित कर, हर महीने ₹10,000 तक की आमदनी का अवसर दिया जाता है। यह नारी को केवल आर्थिक रूप से सक्षम ही नहीं, सामाजिक रूप से भी सशक्त बनाता है।
पोषण से परिवर्तन तक
कुपोषण भारत की जड़ों में छिपी एक बड़ी चुनौती रही है। नंद घर ने मिलेट शेक और मिलेट बार जैसे अभिनव प्रयोगों से न केवल कुपोषण पर प्रहार किया, बल्कि सरकार की मोटा अनाज को बढ़ावा देने वाली नीति को भी मजबूत आधार प्रदान किया। यह कदम न केवल बच्चों की सेहत को बेहतर बना रहा है, बल्कि स्थानीय अनाजों की मांग और किसानों को भी नया जीवन दे रहा है।
सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी का आदर्श मॉडल
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से संचालित यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) का एक शानदार उदाहरण है। सरकारी योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन और फाउंडेशन की आधुनिक सोच—जब दोनों मिलते हैं, तो बदलाव की असली तस्वीर उभरकर सामने आती है।
राजस्थान में नया मील का पत्थर
राजस्थान में अगले दो वर्षों में 20,000 नए नंद घर खोलने का लक्ष्य यह दर्शाता है कि यह पहल अब केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जनांदोलन का रूप ले रही है। इससे करीब 20 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने की उम्मीद है – यह एक राज्य की सामाजिक संरचना को पुनः परिभाषित कर देने वाली पहल है।
2025 और उससे आगे
2025 में जब आईसीडीएस अपनी स्वर्ण जयंती मना रहा होगा, तब नंद घर इस सेवा की विरासत को आगे बढ़ाने वाली अगली कड़ी साबित होगा। यह पहल एक ऐसे भारत की ओर इशारा करती है, जहाँ हर बच्चा पढ़ेगा, हर माँ सशक्त होगी और हर गाँव प्रगति की मिसाल बनेगा।
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