गोविंदा–सुनीता आहूजा: 38 साल पुराने रिश्ते पर तलाक़ की दस्तक

मुंबई। भारतीय सिनेमा की रंगीन दुनिया हमेशा से प्रेम, विवाह और बिछड़ाव की कहानियों से भरी रही है। लेकिन जब कोई ऐसा रिश्ता दरकने लगे, जिसे जनता ने सालों तक एक आदर्श जोड़ी के रूप में देखा हो, तो मामला संवेदनशील हो जाता है। गोविंदा और उनकी पत्नी सुनीता आहूजा की शादी को अड़तीस साल हो चुके हैं। एक लंबा समय, जिसमें प्यार, संघर्ष, सफलता, तकरार और साथ निभाने की तमाम परछाइयाँ मौजूद हैं। लेकिन आज यह रिश्ता एक नाज़ुक मोड़ पर आ पहुँचा है, जहां अदालत के दरवाज़े खटखटाए जा चुके हैं।

मुंबई के फ़ैमिली कोर्ट में बीते 21 अगस्त को पहली सुनवाई हुई। सुनीता आहूजा ख़ुद अदालत पहुँचीं जबकि गोविंदा ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए हिस्सा लिया। अदालत ने साफ़ कहा कि अगली सुनवाई में उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। यह अगली तारीख़ नवंबर महीने में तय की गई है। मामला अब केवल पति-पत्नी के बीच निजी विवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मीडिया की सुर्ख़ियों और बॉलीवुड की हलचल का हिस्सा बन चुका है।

गोविंदा और सुनीता की पहली मुलाक़ात उस दौर की है जब गोविंदा स्टार नहीं बने थे। विरार में अपने मामा आनंद सिंह के साथ रहते हुए वे संघर्ष कर रहे थे। आनंद सिंह की शादी सुनीता की बड़ी बहन से हुई थी। इस पारिवारिक रिश्ते ने मुलाक़ातों को आसान बनाया और धीरे-धीरे यह जान-पहचान दोस्ती और फिर प्रेम में बदल गई। परिवार में शुरूआत में आपत्तियाँ उठीं, लेकिन प्रेम ने अपनी राह बनाई और 11 मार्च 1987 को दोनों ने विवाह कर लिया।

यह विवाह ऐसे समय हुआ जब गोविंदा अपने करियर की शुरुआत कर रहे थे। धीरे-धीरे वे बॉलीवुड के सबसे चमकदार सितारे बन गए। नब्बे का दशक उनका था। कॉमेडी और डांस के मिश्रण ने उन्हें जनता का चहेता बना दिया। आंखें, राजा बाबू, कुली नंबर वन, साजन चले ससुराल और हीरो नंबर वन जैसी फ़िल्में लगातार सफलता दिलाती रहीं। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उन्हें “मास एंटरटेनर” कहा जाने लगा। इस चमकदार सफ़र में सुनीता ने घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी संभालते हुए पति का साथ दिया।

इस रिश्ते से एक बेटी और एक बेटा हुए। बेटी नर्मदा, जिन्हें फ़िल्मी दुनिया में टीना आहूजा के नाम से जाना जाता है, ने 2015 में फिल्मों में क़दम रखा लेकिन संघर्ष के बावजूद उन्हें सफलता नहीं मिली। बेटा यशोवर्धन आजकल डेब्यू की तैयारियों में जुटे हैं। परिवार ने लंबे समय तक एक आदर्श इकाई की तरह जीवन जिया।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, दरारें भी नज़र आने लगीं। मीडिया में कई बार ख़बरें आईं कि गोविंदा का नाम उनकी नायिकाओं से जोड़ा गया। सबसे ज़्यादा चर्चा रानी मुखर्जी को लेकर हुई, हालांकि इन ख़बरों की कभी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। सुनीता ने कई मौक़ों पर यह स्वीकार किया कि पति के स्टारडम और बाहर की दुनिया की नज़दीकियों ने रिश्ते को झकझोर कर रखा। मगर उन्होंने हमेशा परिवार को प्राथमिकता दी और समझौते का रास्ता चुना।

दिसंबर 2024 में सुनीता ने आखिरकार अदालत का दरवाज़ा खटखटाया। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13(1)(i), (ia) और (ib) के तहत उन्होंने तलाक़ की अर्जी दायर की। आरोप लगाए गए कि पति ने अवैध संबंध बनाए, मानसिक और भावनात्मक क्रूरता की और पत्नी को छोड़ दिया। अदालत में दाख़िल दस्तावेज़ इन आरोपों की गवाही देते हैं। पहली सुनवाई में सुनीता की उपस्थिति और गोविंदा का केवल वीडियो लिंक से जुड़ना इस मामले की गंभीरता को दिखाता है।

गोविंदा के वकील ललित बिंदल का कहना है कि यह मामला नया नहीं है। उन्होंने संकेत दिया कि दोनों पक्षों में समझौते की गुंजाइश अभी भी मौजूद है और काउंसलिंग का दौर चल रहा है। उनका दावा है कि यह विवाद जल्द ही सुलझ सकता है। हालांकि अदालत की अगली तारीख़ तक स्थिति स्पष्ट नहीं होगी।

इसी बीच सुनीता ने अपने जन्मदिन पर एक यूट्यूब चैनल शुरू किया। इस पहल को एक नई पारी की शुरुआत माना जा रहा है। अपने वीडियो में उन्होंने संकेत दिया कि कुछ अज्ञात लोगों ने उनके और गोविंदा के रिश्तों को बिगाड़ा। यह बयान सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लेता, लेकिन यह साफ़ बताता है कि वह अब खुलकर अपनी बात दुनिया से साझा करने के लिए तैयार हैं।

गोविंदा और सुनीता की शादी केवल एक निजी रिश्ता नहीं बल्कि सार्वजनिक चर्चा का विषय भी रही है। जनता ने उन्हें अक्सर एक आदर्श जोड़ी माना। उनके साथ बिताए गए लंबे समय और परिवार की कहानियों ने दर्शकों को यह विश्वास दिलाया कि यह रिश्ता हर तूफ़ान झेल जाएगा। लेकिन आज जब अदालत में तलाक़ की अर्जी पड़ी है, तो यह विश्वास डगमगाता नज़र आता है।

इस पूरे घटनाक्रम का एक बड़ा पहलू यह भी है कि बच्चों पर इसका असर कैसा होगा। बेटी टीना और बेटा यशोवर्धन अब बड़े हो चुके हैं, मगर माता-पिता का बिछड़ना हर उम्र में तकलीफ़ देता है। खासकर तब, जब यह मामला मीडिया की सुर्ख़ियों में हो और चारों ओर चर्चा का विषय बना हो।

बॉलीवुड में रिश्तों का टूटना कोई नई बात नहीं। लेकिन जब यह किसी ऐसे अभिनेता का हो, जिसने अपने दौर में सिनेमा की परिभाषा बदल दी हो, तो यह और भी चुभता है। इंडस्ट्री में लोग कहते हैं कि दोनों ने चार दशक का लंबा सफ़र साथ गुज़ारा है, ऐसे में अलग होना आसान नहीं होगा। कई साथी कलाकारों का मानना है कि दोनों में समझौते की गुंजाइश अभी भी है।

कानूनी दृष्टि से तलाक़ की प्रक्रिया लंबी और जटिल होती है। हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधान तलाक़ के लिए आधार तय करते हैं, लेकिन भारतीय समाज में तलाक़ आज भी एक संवेदनशील विषय है। खासकर जब बात किसी मशहूर हस्ती की हो तो मीडिया का दबाव और सामाजिक प्रतिक्रिया इसे और पेचीदा बना देती है।

गोविंदा और सुनीता की कहानी हमें यह सिखाती है कि स्टारडम और लोकप्रियता रिश्तों को संभालने में अक्सर मुश्किलें पैदा करते हैं। बाहर की चमक-दमक भीतर के संघर्षों को छिपा नहीं पाती। इस शादी ने लगभग चार दशकों तक साथ निभाने की मिसाल पेश की, लेकिन अब यह एक निर्णायक मोड़ पर खड़ी है।

आज उनके लाखों प्रशंसक इस सवाल से जूझ रहे हैं कि क्या यह रिश्ता वास्तव में टूट जाएगा या अदालत के बाहर समझौते की कोई राह निकल आएगी। शायद आने वाला समय ही इसका उत्तर देगा। लेकिन इतना तय है कि यह मामला भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय बन चुका है, क्योंकि इसमें सिर्फ़ एक पति-पत्नी का विवाद नहीं बल्कि स्टारडम, परिवार, समाज और निजी जीवन की जटिलताओं की पूरी गाथा छिपी हुई है।

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