उदयपुर। नगर निगम द्वारा आयोजित दीपावली मेला 2025 के दूसरे दिन उदयपुर की स्थानीय प्रतिभाओं ने ऐसा समां बांधा कि टाउन हॉल परिसर तालियों की गूंज से देर रात तक गूंजता रहा। दीपों की रोशनी, मेले की चहल-पहल और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर शाम ने एक बार फिर साबित किया कि स्मार्ट सिटी उदयपुर केवल तकनीक में नहीं, बल्कि कला और संस्कृति में भी “स्मार्ट” है।
नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना के अनुसार मेले में स्थानीय कलाकारों को मंच देने की परंपरा हर साल निभाई जाती है ताकि उदयपुर की छुपी हुई प्रतिभाएं सामने आ सकें।
सांस्कृतिक संध्या की शुरुआत भूमि चौबीसा ने पारंपरिक चवरी डांस से की, जिसने दर्शकों को राजस्थानी लोकसंगीत की आत्मा से जोड़ दिया।
इसके बाद ओरव शर्मा ने “जय जय शिव शंकर” गीत पर ऊर्जावान नृत्य कर कार्यक्रम को शिवभक्ति के रंग में रंग दिया।
रितिका सिंह ने पंजाबी भांगड़ा प्रस्तुत कर पूरे पंडाल को थिरकने पर मजबूर कर दिया।
एक के बाद एक प्रस्तुतियों का सिलसिला चलता गया—अद्विक मित्तल की आवाज़ में “दिल इबादत कर रहा है” ने दर्शकों के दिलों को छू लिया, योगेश लोढ़ा ने “नीले नीले अंबर पर चांद जब आए” गाकर किशोर कुमार के दौर की याद दिला दी, और राधिका भाटिया ने “पिया तोसे नैना लागे रे” से संगीत की मधुरता का नया आयाम पेश किया।
संगीत, नृत्य और तालियों की बरसात
कार्यक्रम का शिखर तब आया जब समीर दमामी ने ढोलक और तबले पर जुगलबंदी करते हुए “सैंया रे तू तो बदला नहीं” प्रस्तुत किया — दर्शक झूम उठे और वातावरण में एक गूंज उठी, “वाह उदयपुर!” इसके बाद मंच पर कलाकारों ने लोकप्रिय हिंदी गीतों का मेशअप प्रस्तुत किया, जिससे ऐसा लगा मानो तारे जमीन पर उतर आए हों।
चिराग गौड़ की गायकी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं मंच पर डांसर्स ने अपने ऊर्जावान प्रदर्शन से लोगों को रोक दिया — कई दर्शक कदम थामकर वहीं झूमते नजर आए।
दो दिनों तक स्थानीय कलाकारों के साथ दीवाना बैंड के ऑर्केस्ट्रा ने संगीत में चार चांद लगाए। मेले के दूसरे दिन के अंत तक दर्शकों की तालियां और कैमरों की फ्लैश लाइटें इस बात का प्रमाण थीं कि उदयपुर की सांस्कृतिक धारा आज भी जीवंत है।
कार्यक्रम के अंत में नगर निगम द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत और आयुक्त अभिषेक खन्ना ने मंच पर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया।
आयुक्त खन्ना ने बताया कि हर वर्ष प्रतिभागियों का चयन विशेष निर्णायक मंडल द्वारा कई चरणों में किया जाता है।
ऑडिशन के दौरान प्रस्तुति के हर पहलू—गायन, नृत्य, अभिव्यक्ति और तालमेल—का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाता है।
इसी कारण मंच पर जो कलाकार आते हैं, वे अपनी गुणवत्ता से दर्शकों का दिल जीत लेते हैं।
खरीददारी, झूले और मौसम की मिठास
दूसरी ओर मेले में खरीदारी का दौर भी दिन से लेकर देर रात तक जारी रहा।
हज़ारों आगंतुकों ने दीपावली की तैयारियों के लिए सजावटी सामान, परिधान, और मिठाइयाँ खरीदीं।
हल्की गुलाबी ठंड और हॉट कॉफी व जलेबी की खुशबू ने वातावरण को और जीवंत बना दिया।
झूले, बच्चों के खेल जोन और स्थानीय व्यंजनों की स्टॉल्स पर लगातार भीड़ बनी रही।
व्यवस्था और सुरक्षा पर प्रशासन सतर्क
जिला प्रशासन और पुलिस की मुस्तैद टीमों ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए। आगंतुकों के लिए टाउन हॉल पार्किंग, श्रमजीवी कॉलेज, आरसीए ग्राउंड और कस्तूरबा मातृ मंदिर में निःशुल्क पार्किंग की व्यवस्था की गई। मुख्य सड़क पर ट्रैफिक जाम से बचाव के लिए होम गार्ड और सिविल डिफेंस टीम लगातार निगरानी में रही।
नगर निगम आयुक्त अभिषेक खन्ना और उपायुक्त दिनेश मंडोवरा ने देर शाम मेले का निरीक्षण किया और स्वच्छता, स्वास्थ्य और राजस्व शाखा को आवश्यक निर्देश दिए।
स्वच्छता में नवाचार : “1 किलो प्लास्टिक लाओ, 11 दीये पाओ”
इस वर्ष नगर निगम ने दीपावली मेले में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए एक अनूठी पहल की—“1 किलो प्लास्टिक लाओ, 11 मिट्टी के दीपक पाओ।”
यह पहल फिनीलूप कार्यक्रम के तहत शुरू की गई, जिसमें नागरिकों को प्लास्टिक कचरा दान करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। स्टॉल पर आने वाले नागरिकों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी के साथ 11 दीये उपहार में दिए गए। फिनीलूप टीम ने इस दौरान नुक्कड़ नाटक, कठपुतली शो और विचित्र वेशभूषा प्रदर्शन के ज़रिए प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर जनजागरूकता अभियान चलाया।
आयुक्त खन्ना ने कहा—“उदयपुर की असली रोशनी सिर्फ दीपों से नहीं, बल्कि जागरूक नागरिकों से होती है। प्लास्टिक मुक्त दीपावली की दिशा में यह कदम प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि व्यवहारिक बदलाव है।”
आज होगी ‘स्वर और विरासत नाइट’
नगर निगम आयुक्त ने बताया कि सोमवार को मेले के तीसरे दिन “स्वर और विरासत नाइट” का आयोजन किया जाएगा।
इसमें लोकप्रिय इंडियन ओशन बैंड और मांगणियार चिल्ड्रन ग्रुप (विरासत संस्था) अपनी विशेष प्रस्तुतियां देंगे।
इंडियन ओशन युवाओं का पसंदीदा बैंड है और उनके आने से मेले में और भी उत्साह का माहौल बनेगा।
दीपों की रौशनी, लोकसंगीत की मिठास और युवाओं की ऊर्जा से सजी यह सांस्कृतिक संध्या न केवल मनोरंजन का माध्यम बनी, बल्कि इसने यह भी दिखाया कि उदयपुर की “स्मार्टनेस” उसकी परंपरा और संस्कृति में भी बसती है।
नगर निगम द्वारा आयोजित यह मेला अब सिर्फ उत्सव नहीं रहा — यह बन चुका है “शहर की आत्मा का उत्सव।”
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