
राजसमंद। राजनीति को अक्सर स्वार्थ, छल और कीचड़ का गढ़ कहा जाता है। लेकिन समय-समय पर ऐसे व्यक्तित्व भी जन्म लेते हैं जो इस कीचड़ में कमल की तरह खिले और अपनी सादगी, शुचिता और सिद्धांतों से राजनीति को गरिमा प्रदान कर गए। पूर्व सांसद हरिओम सिंह राठौड़ उन्हीं विरले जननायकों में से एक थे—जिनका जीवन एक प्रेरक गाथा बन गया।
27 मई को राठौड़ की छठवीं पुण्यतिथि पर राजसमंद जिला कलेक्ट्रेट स्थित शहीद स्मारक पार्क में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में जब कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने उन्हें याद किया, तो न केवल आंखें नम थीं, बल्कि दिल भी कृतज्ञता से भरे हुए थे।

“हरिओम सिंह राठौड़ अब नहीं, पर हरिओम अब भी जीवित हैं…”
स्मृति सभा में वरिष्ठ नेता, पूर्व चेयरमैन और उनके करीबी सहयोगी महेश पालीवाल ने कहा,
“हरिओम सिंह राठौड़ राजनीति में आदर्श का पर्याय थे। उनका चुंबकीय व्यक्तित्व ऐसा था कि जो उनसे एक बार मिलता, जीवन भर उनका हो जाता। वे सत्ता के नहीं, सेवा के प्रतीक थे।”
सभा का माहौल श्रद्धा से भरा था। वक्ता एक के बाद एक, अपने अनुभवों की गठरी खोलते गए और राठौड़ के जीवन के वे क्षण उजागर हुए जो अब स्मृतियों में दीप बन जलते हैं।

“राजनीति का आधार स्तंभ थे हरिओम”
गिरिराज काबरा ने उन्हें सहज, सरल और विचारशील बताया। उनके अनुसार,”राजसमंद में भाजपा की मजबूत नींव रखने वाले राठौड़ आज भी पार्टी की आत्मा हैं। उनके गुण आज के कार्यकर्ताओं के लिए पाथेय हैं।”
वहीं लिलेश खत्री ने गूढ़ बात कही—”कुछ लोग जीवन में पदचिन्ह बनाते हैं, और कुछ उनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश करते हैं। हरिओम सिंह उन दुर्लभ जनों में थे जो खुद रास्ता बनाते हैं।”
स्मृति में बसता ‘हरिओम उपवन’
सभा के दौरान पूर्व उपप्रधान सुरेश जोशी ने पसुंद स्थित ‘हरिओम उपवन’ का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान सिर्फ एक उपवन नहीं, बल्कि राठौड़ के विचारों की बगिया है। वहां की हर शाख, हर फूल में उनके संस्कार और दृष्टिकोण की महक आज भी मिलती है।
श्रद्धांजलि सभा: एक भावनात्मक संगम
कार्यक्रम का आयोजन हरिओम – दिया फैंस क्लब की ओर से किया गया था। संचालन गोपालकृष्ण पालीवाल ने किया, जबकि आभार ज्ञापन राठौड़ के पुत्र एवं भाजपा नेता कर्णवीर सिंह राठौड़ ने किया। मंच पर कई गणमान्य लोग उपस्थित थे, जिन्होंने अपने संस्मरण साझा किए।
उपस्थित अतिथियों में शामिल थे : देवीलाल प्रजापत, अजय सोनी, धीरज पुरोहित, गिरिजा शंकर पालीवाल, माधव चौधरी, रामलाल जाट, महेंद्र कोठारी, सविता सनाढ्य, लक्ष्मीनारायण पालीवाल, मान सिंह बारहठ (पूर्व जिला अध्यक्ष), जगदीश पालीवाल (भाजपा जिला अध्यक्ष), और अन्य कई कार्यकर्ता।
जनसैलाब उमड़ा श्रद्धा के रंग में
कार्यक्रम के दौरान न सिर्फ नेता, बल्कि जनसामान्य की बड़ी संख्या में उपस्थिति यह सिद्ध करती है कि राठौड़ सिर्फ राजनीतिक व्यक्ति नहीं, जनमानस के प्रिय थे। उपस्थित लोगों में प्रवीण नंदवाना, मधुप्रकाश लड्ढा, मनोज पारिख (जिला कोषाध्यक्ष), सुरेश कुमावत (उपप्रधान, पंचायत समिति), नर्बदा शंकर पालीवाल, प्रदीप खत्री, विकास पालीवाल, विनोद जोशी, लता मादरेचा, उत्तम खींची, सुरेश माली, गिरीश पालीवाल, ओम पारिख, और अन्य कई कार्यकर्ता मौजूद थे।
सभी ने मिलकर पुष्पांजलि अर्पित की। जैसे ही फूलों की वर्षा की गई, वातावरण गूंज उठा—“राठौड़ अमर रहें!”
एक प्रेरक व्यक्तित्व की विरासत
हरिओम सिंह राठौड़ अब नहीं रहे, पर उनकी विचारधारा, उनकी कर्मठता, और उनकी विनम्रता आज भी जीवित हैं। उन्होंने जो रास्ता दिखाया, वह केवल राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक जागरण का भी मार्ग है।
आज जब राजनीति में मूल्यों की बात केवल पुस्तकों में सिमटती जा रही है, तब हरिओम सिंह राठौड़ जैसे व्यक्तित्व एक आदर्श की तरह खड़े नजर आते हैं। वे सच्चे अर्थों में ‘जनसेवक’ थे—जो सेवा को सत्ता से ऊपर मानते थे।
राजसमंद की जनता ने उन्हें केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक परिवार के सदस्य की तरह देखा और आज भी उसी भाव से उन्हें याद करती है।
टिप्पणी :
राजनीति में ऐसे व्यक्तित्व विरले ही जन्म लेते हैं जो नारे नहीं, नैतिकता के प्रतीक बन जाएं। हरिओम सिंह राठौड़ को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि, और कर्णवीर सिंह राठौड़ जैसे युवा नेता से यही अपेक्षा है कि वह इस विरासत को न केवल संभालें, बल्कि और आगे लेकर जाएं।
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