थर्स्टी क्रो रिटर्न्स  ने हंसाया,रुलाया और सोचने को मजबूर किया 

उदयपुर। सार्थक रंगमंच वह है जो मनोरंजन करे, विस्मय पैदा करे और दर्शक को सामाजिक दायित्व के प्रति संवेदन शील बनाए। रविवार की शाम शिल्पग्राम के दर्पण प्रेक्षागृह में छोटे और बड़े दर्शकों ने यही अनुभव किया।

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘रंगशाला’ में मंचित नाटक ‘ थर्स्टी क्रो रिटर्न्स ’ में वयस्क कलाकारों ने पशु पक्षियों के मुखौटे लगाकर चुटीले संवादों से दर्शकों को विस्मित किया,हंसाया,रुलाया और प्रदूषण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की ओर भी इंगित किया।
नाटक एक सशक्त सजीव माध्यम है जो कलाकारों और दीर्घा के दर्शकों में भावनात्मक रिश्ता बनाता है।
हरियाणा के मनीष जोशी द्वारा लिखित और पश्चिम बंगाल के नाट्य निर्देशक द्वारा निर्देशित इस नाटक ने अपनी मौलिक अदायगी से दर्शकों पर अमिट छाप छोड़ी।
हुगली,पश्चिम बंगाल की थिएटर शाइन नाट्य संस्था
ने इस नाटक के ज़रिये पर्यावरण के प्रति जागरूकता बनाने और मानवीय मूल्यों को स्थापित करने की ईमानदारी से कोशिश की |
उम्दा अभिनय की बात करें तो सभी मंचीय कलाकारों ने जैसे, सौरभ चक्रबर्ती( कौवा) , देबब्रत पाल(लोमड़ी ), अनिरुद्ध बिस्वास(शेर )
शांतनु पांडा( खरगोश और जिराफ ),
दीपक समाद्दार(शिकारी ), अशोक कामिला(घोडा )
अर्णब ढाल(ज़ेब्रा ) प्रियंकर मंडल(गाय),
प्रबीर कुमार संधुखा(पानी वाला )
तानिया चटर्जी(कोयल ),पूजा दासगुप्ता(उल्लू )
एरिना भौमिक(लड़की और चूहा )ने अपने अपने किरदारों को बड़ी तन्मयता से निभाया और अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति से सराहना प्राप्त की।
विश्वजीत भौमिक और शुचिस्मिता मुखर्जी के कल्पना शील नेपथ्य और सौभिक हालदार के हृदय स्पर्शी संगीत ने नाटक को गति दी

विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर इस नाटक की प्रस्तुति ने सांस्कृतिक केंद्र की गतिविधि को अधिक प्रासंगिक बनाया।
रंगशाला में आज पूर्व चीफ कंजरवेटर ऑफ़ फोरेस्ट और ग्रीन पीपल सोसायटी के अध्यक्ष श्री राहुल भटनागर ने पिछवाई पोर्टफोलियो देकर नाट्य निर्देशक श्री सुवोजित बंद्योपाध्याय को सम्मानित किया।

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