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उदयपुर : गुल़जार-ए-गज़ल़ कार्यक्रम में ‘गुल़जार-बात पश्मीने की’ 

उदयपुर। उदयपुर द्वारा आयोजित उदयपुर द्वारा आयोजित गुल़जार-ए-गज़ल़ कार्यक्रम के अंतिम दिन ‘गुल़जार-बात पश्मीने की’। दीप प्रज्वलन कर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।


पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि गुल़जार-ए-गज़ल में नीश एंटरटेनमेंट पुणे द्वारा पद्म भूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत गुलज़ार साहब पर  ‘गुलजार-बात पश्मीने की’ में ऑडियो- विजुअल शो के साथ उनकी कविताओं व किताबों के अंश पढ़े गए। उनके गीतों की सुरीली सजीव प्रस्तुति ने गुलजार के संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी को पेश किया गया।

इस शो में सचिन खेड़ेकर, किशोर कदम व पूर्णिमा मनोहर गुलजार के अंदर के शायर की तस्वीर को रेखांकित कर रहे थे तो स्वप्नजा लेले, अभिलाषा चेल्लम, धवल चंदवाडकर और जितेंद्र अभ्यंकर ने पुरकशिश आवाज में उनकी शायरी के रंग बिखेर रहे थे।

इक सबब मरने का इक तलब जीने की…, चांद पुखराज का बात पश्मीने की… या ये पत्थरों की सेज कभी सख्त नहीं लगती…, जो तुम होती…. मैं तुम्हे ओढ़ता भी और बिछाता भी जैसी गुलजार की दिल छू लेने वाली शायरी के साथ फिर वही रात है फिर वही रात है ख्वाब की….., नाम गुम जाएगा, चेहरा ही बदल जाएगा….. पुकार लो, तुम्हारा इंतजार है…., मोरा गोरा अंग लेईले… जैसे गुलजार के हर रंग के गीतों की प्रस्तुति ने माहौल को संगीतमय कर दिया।

प्रवीण जोशी ने इस शो को लिखा है इसकी संकल्पना और निर्देशन मिलिंद ओक ने किया है। ‘गुलज़ार-बात पश्मीने की’,  संपूर्ण सिंह कालरा के गुलज़ार और फिर गुलज़ार साहेब होने तक का सफर है। गुलजार साहब जब स्वयं इस शो में शामिल हुए थे तो इस शो की सराहना करते हुए उन्होंने कहा
“छोटे फ़्लैशबैक का उपयोग करना कहानी सुनाने का मेरा तरीका है। आज बात पश्मीने की मेरा अब तक का सबसे लंबा फ्लैशबैक है। अब यह तुम्हारा है।”
इन सदाबहार गीतों के पार्श्व में कैनवास पर अपनी कल्पना का रंग भरते आर्टिस्ट गिरीश चरवाड पर्दे पर चलते उन्ही गीतों के विडियो गुलजार की शख्सियत की पूरी तस्वीर बना रहे थे। अंत में कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चांदवानी ने किया।’। दीप प्रज्वलन कर इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।


पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र उदयपुर के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि गुल़जार-ए-गज़ल में नीश एंटरटेनमेंट पुणे द्वारा पद्म भूषण एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार से अलंकृत गुलज़ार साहब पर  ‘गुलजार-बात पश्मीने की’ में ऑडियो- विजुअल शो के साथ उनकी कविताओं व किताबों के अंश पढ़े गए। उनके गीतों की सुरीली सजीव प्रस्तुति ने गुलजार के संघर्ष से लेकर सफलता तक की कहानी को पेश किया गया।

इस शो में सचिन खेड़ेकर, किशोर कदम व पूर्णिमा मनोहर गुलजार के अंदर के शायर की तस्वीर को रेखांकित कर रहे थे तो स्वप्नजा लेले, अभिलाषा चेल्लम, धवल चंदवाडकर और जितेंद्र अभ्यंकर ने पुरकशिश आवाज में उनकी शायरी के रंग बिखेर रहे थे। इक सबब मरने का इक तलब जीने की…, चांद पुखराज का बात पश्मीने की… या ये पत्थरों की सेज कभी सख्त नहीं लगती…, जो तुम होती…. मैं तुम्हे ओढ़ता भी और बिछाता भी जैसी गुलजार की दिल छू लेने वाली शायरी के साथ फिर वही रात है फिर वही रात है ख्वाब की….., नाम गुम जाएगा, चेहरा ही बदल जाएगा….. पुकार लो, तुम्हारा इंतजार है…., मोरा गोरा अंग लेईले… जैसे गुलजार के हर रंग के गीतों की प्रस्तुति ने माहौल को संगीतमय कर दिया। प्रवीण जोशी ने इस शो को लिखा है इसकी संकल्पना और निर्देशन मिलिंद ओक ने किया है। ‘गुलज़ार-बात पश्मीने की’,  संपूर्ण सिंह कालरा के गुलज़ार और फिर गुलज़ार साहेब होने तक का सफर है। गुलजार साहब जब स्वयं इस शो में शामिल हुए थे तो इस शो की सराहना करते हुए उन्होंने कहा “छोटे फ़्लैशबैक का उपयोग करना कहानी सुनाने का मेरा तरीका है। आज बात पश्मीने की मेरा अब तक का सबसे लंबा फ्लैशबैक है। अब यह तुम्हारा है।”


इन सदाबहार गीतों के पार्श्व में कैनवास पर अपनी कल्पना का रंग भरते आर्टिस्ट गिरीश चरवाड पर्दे पर चलते उन्ही गीतों के विडियो गुलजार की शख्सियत की पूरी तस्वीर बना रहे थे। अंत में कलाकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन दुर्गेश चांदवानी ने किया।

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