उदयपुर। जीबीएच मेडिकल एंड हॉस्पिटल में यूआईटी की टीम द्वारा अवैध निर्मित बिल्डिंग को सीज करना प्रबंधन को बहुत ही नागवार गुजरा। प्रबंधन को वैसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा, जैसा उन तीमारदारों को करना पड़ता है, जिनके रिश्तेदार या परिजनों की लाश को वेंटिलेटर पर रखकर वसूली की जाती है। जैसा इलाज में लापरवाही और वसूली के लिए मरीजों के परिजनों के साथ व्यवहार किया जाता रहा है। बहरहाल जीबीएच प्रबंधन ने भी अपने बचाव में वो सबकुछ किया जो आमजन इलाज में लापरवाही बरतने पर प्रबंधन के खिलाफ करते आए हैं। प्रबंधन के प्रतिनिधियों ने मीडिया के सामने आकर विधानसभा पर सवाल उठाने वाले विधायक फूल सिंह मीणा पर ही आरोप मढ़ डाले। ये प्रतिनिधि यह भूल गए कि दूसरों पर आरोप लगाने से अपने अपराध की सजा कम नहीं होती।
विधानसभा में उदयपुर के जीबीएच हॉस्पिटल में अवैध निर्माण का मुद्दा उठने के बाद बुधवार को उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) की टीम सीज की कार्रवाई करने पहुंची तो सबसे पहले स्टाफ और मेडिकल स्टूडेंट ने विरोध शुरू कर दिया। विरोध के बीच ही टीम हॉस्पिटल के अंदर गई तो स्टाफ ने मरीजों को छोड़कर बाहर आने की चेतावनी दे डाली।
विरोध के बीच सीज की कार्रवाई के बाद मैनेजमेंट ने आरोप लगाया कि विधायक के रिश्तेदार अवैध वसूली करते हैं। यह बात जब मीडियाकर्मियों ने विधायक मीणा से पूछा तो उनका कहना था कि FIR क्यों नहीं दी, उन्होंने कहा कि विशेषाधिकार हनन की रिपोर्ट सदन में देंगे।
उदयपुर विकास प्राधिकरण के तहसीलदार डॉ. अभिनव शर्मा, डिप्टी छगन पुरोहित सहित प्रताप नगर, गोवर्धन विलास और भूपालपुरा थाना अधिकारी पुलिस बल के साथ मौजूद हैं। यहां कई बार पुलिस और लोग आमने-सामने हो चुके हैं। मौके पर मौजूद लोग टीम को जनरल अस्पताल के अंदर नहीं जाने देने पर अड़े हैं।
कार्रवाई के विरोध में हॉस्पिटल स्टाफ ने प्रशासन को चेताया कि वे आईसीयू से लेकर सभी वार्ड में भर्ती मरीजों को छोड़कर बाहर आ जाएंगे और इलाज नहीं करेंगे। मरीजों के इलाज की बात आने के बाद यूडीए की टीम जनरल अस्पताल में सीज की कार्रवाई नहीं कर पाई। टीम में शामिल तहसीलदार डॉ. अभिनव शर्मा ने यूडीए कमिश्नर राहुल जैन से फोन पर बात कर पूरी स्थिति से अवगत कराया।
जहां तक वसूली सवाल है-जीबीएच अस्पताल प्रबंधन हो या कोई भी प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों से एक रुपया भी बाकी नहीं छोड़ते हैं। आला अधिकारियों के फोन के बावजूद वे फीस कम नहीं करते हैं। ऐसे में प्रबंधन बिना किसी लालच के किसी भी जनप्रतिनिधि या उसके रिश्तेदार की दस-पंद्रह लाख की डिमांड कैसे पूरी कर सकता है। प्राइवेट अस्पतालों की स्थिति चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए वाली है। हां अनियमितताओं के मामले में अगर अस्पताल मालिक को जेल जाने पड़े या इनकम टैक्स रेड पड़ जाए तो थाली में सजोकर आपको तोहफे में कुछ भी देने को तैयार हो जाएंगे। जीबीएच समेत सभी प्राइवेट अस्पतालों की सही नीयत से जांच की जाए तो ढेरों अनियमितताएं मिल जाएंगी।
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