फोटो : कमल कुमावत
उदयपुर। एक दशक पहले की बात है, जब उदयपुर के बीजेपी कार्यालय के एक छोटे से कक्ष में कुछ लोगों ने एक बड़ा सपना देखा था। वे जानते थे कि किसी भी समाज के लिए सबसे बड़ी पूंजी उसके युवा होते हैं, और उन युवाओं को सम्मान और प्रेरणा देने का कार्य करने के लिए उन्होंने स्व. सुंदर सिंह भंडारी चैरिटेबल ट्रस्ट की नींव रखी थी। ट्रस्ट का उद्देश्य था – विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना, उन्हें शिक्षा की महत्वता समझाना और समाज में बदलाव लाने के लिए तैयार करना।
इस मिशन को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने सबसे पहले उन छात्रों को पहचानना शुरू किया, जिन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की थी। हर साल एक भव्य समारोह आयोजित किया जाता, जहां उन विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाता था, जिनके 10वीं और 12वीं में 85% से अधिक अंक आए थे। यह सिर्फ एक समारोह नहीं, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत बन चुका है, जो हर छात्र को यह एहसास दिलाता था कि मेहनत और लगन से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
इस यात्रा की शुरुआत हुई थी जब ट्रस्ट के गुलाबचंद कटारिया और उनके साथियों ने यह तय किया कि हर वर्ष, अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान नेता की जयंती पर, एक ऐसा आयोजन किया जाएगा, जिससे बच्चों और उनके परिवारों को भी यह अहसास हो कि उनकी मेहनत काबिल-ए-तारीफ है। यह सम्मान समारोह एक खास अवसर बन गया, जो सिर्फ शिक्षित करने का कार्य नहीं करता था, बल्कि उन बच्चों के आत्मविश्वास को भी बढ़ाता था जो कभी अपने आर्थिक हालात या परिस्थितियों के कारण डरते थे।
पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के नेतृत्व में बुधवार को इस समारोह में 460 विद्यार्थियों और 30 शाला प्रधानों को सम्मानित किया गया।
सुखाड़िया रंगमंच पर छात्र-छात्राओं और उनके अभिभावकों की भीड़ जुटी। मंच पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और पंजाब के महामहिम राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया जैसे दिग्गज थे, जिन्होंने बच्चों को न केवल सम्मानित किया बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी किया। इन कार्यक्रमों में बच्चों को ₹1000 के चेक, प्रशस्ति पत्र और ऊपर्णा पहनाकर सम्मानित किया गया, और वे बच्चे गर्व से यह पुरस्कार प्राप्त करते हुए महसूस करते कि उनका संघर्ष व्यर्थ नहीं गया।
इस कार्यक्रम की सफलता में कर्मचारी नेता कमल बाबेल और उनकी टीम का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उनकी मेहनत और समर्पण ने ट्रस्ट के मुखियाओं का दिल जीत लिया। कमल बाबेल और उनकी टीम ने न केवल कार्यक्रम की योजना और क्रियान्वयन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, बल्कि समारोह की सुंदरता और सुव्यवस्था सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका समर्पण और संगठनात्मक कौशल इस आयोजन की सफलता के स्तंभ साबित हुए।
कार्यक्रम के संचालन का जिम्मा आलोक पगारिया ने संभाला और उन्होंने इसे एक नई ऊंचाई तक पहुँचाया। उनके कुशल संचालन ने कार्यक्रम को आकर्षक और प्रभावशाली बना दिया। आलोक पगारिया की सूझ-बूझ और सही समय पर सही शब्दों का चयन, सभी को ध्यान से कार्यक्रम से जोड़ने में सफल रहा। उनके आत्मविश्वास और सटीक संवाद ने इस समारोह को एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया।
ट्रस्ट की यह यात्रा समय के साथ और भी सशक्त होती गई। ट्रस्ट के कार्यों में सामाजिक जिम्मेदारियों का भी समावेश हुआ – जैसे आपदा राहत, रक्तदान शिविर और गरीब बच्चों की मदद। इन कार्यों से यह साबित होता है कि ट्रस्ट केवल एक संस्था नहीं, बल्कि समाज में बदलाव लाने का एक साधन है।
अब, जब इस समारोह का आयोजन दसवीं बार हुआ, तो यह एक परंपरा बन चुकी है। एक दशक से यह ट्रस्ट उन बच्चों को सम्मानित कर रहा है जो मेहनत और संघर्ष से अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते थे। यह केवल एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि हर बच्चे की कहानी को पहचानने और उसे सुनने का अवसर बन चुका है।
आज जब हम ट्रस्ट की इस यात्रा को देखते हैं, तो हम समझ पाते हैं कि एक छोटी सी शुरुआत ने कितने ही बच्चों के जीवन को दिशा दी। और यह यात्रा जारी रहेगी, क्योंकि यह केवल एक दशक की नहीं, बल्कि आने वाली कई पीढ़ियों की उम्मीद और आत्मविश्वास की कहानी है।
तस्वीरों में देखिए समारोह
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