उदयपुर। विकसित भारत की परिकल्पना में जनजातीय समाज की सशक्त सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत सोमवार को होटल ताज अरावली, उदयपुर में राज्य स्तरीय आदि कर्मयोगी प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार एवं जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में प्रारंभ हुआ।
कार्यशाला का उद्घाटन जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुंजीलाल मीणा तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त सचिव अमित निर्मल के आतिथ्य में हुआ। इस अवसर पर टीएडी आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी, अतिरिक्त आयुक्त ओ.पी. जैन और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी अनुराग भटनागर भी मंचासीन रहे।
विकसित भारत 2047 और आदिवासी समाज की भूमिका
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एसीएस मीणा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर राजकीय कर्मचारी को कर्मयोगी मानते हुए उन्हें जनहित कार्यों के लिए समर्पित भाव से जुड़ने की प्रेरणा दी है।
उन्होंने कहा –”विकसित भारत 2047 की परिकल्पना तभी साकार होगी जब प्रत्येक वर्ग की सहभागिता सुनिश्चित होगी। जनजातीय समाज को इस यात्रा का अभिन्न हिस्सा बनाने हेतु धरती आबा ग्राम उत्कर्ष अभियान और इसके अंतर्गत आदि कर्मयोगी–एक उत्तरदायी शासन प्रणाली कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है।”
मीणा ने बताया कि अभियान के तहत राजस्थान के 6019 जनजातीय बहुल गांव शामिल किए गए हैं। प्रत्येक गांव से 20 ‘आदि कर्मयोगी’ चुने जाएंगे, जो ‘‘आदि सहयोगी’’ और ‘‘आदि साथी’’ की भूमिका निभाते हुए विकास योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाएंगे।
मास्टर ट्रेनर्स की तैयारियों पर फोकस
उन्होंने जानकारी दी कि राज्य के 8 मास्टर ट्रेनर्स को हाल ही में पुणे स्थित प्रोसेस लैब में एक सप्ताह (11 से 17 अगस्त 2025) का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। इसके बाद अब 25 जिलों से चयनित डिस्ट्रिक्ट मास्टर ट्रेनर्स (डीएमटी) को उदयपुर में चार दिवसीय स्टेट प्रोसेस लैब में प्रशिक्षित किया जा रहा है।
एसीएस मीणा ने कहा कि इस प्रशिक्षण को प्रोसेस लैब इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें योजनाओं के क्रियान्वयन की संपूर्ण प्रक्रिया पर गहन समझ विकसित की जाएगी।
“खाली मन ही सीखने की पहली शर्त” – अमित निर्मल
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संयुक्त सचिव अमित निर्मल ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ नया सीखने के लिए मन को पहले खाली करना पड़ता है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे ‘‘हमें सब आता है’’ वाली मानसिकता छोड़कर प्रशिक्षण को खुले मन से ग्रहण करें।
निर्मल ने कहा –”डीएमटी, ब्लॉक स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे और फिर योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने वाली कड़ी साबित होंगे। यह जिम्मेदारी अत्यंत महत्वपूर्ण है और आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने में निर्णायक सिद्ध होगी।”
अधिकारियों के विचार और कार्यशाला की रूपरेखा
टीएडी आयुक्त कन्हैयालाल स्वामी ने प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि उन्हें इस प्रशिक्षण का पूरा लाभ उठाना चाहिए और क्षेत्र में जाकर आदिवासी उत्थान में सक्रिय सहयोगी बनना चाहिए।
अतिरिक्त आयुक्त ओ.पी. जैन और नोडल अधिकारी अनुराग भटनागर ने भी विचार व्यक्त किए।
भटनागर ने बताया कि प्रशिक्षण 25 से 28 अगस्त 2025 तक चलेगा। इसमें बीआरएलएफ (भारत रूरल लाइवलीहुड फाउंडेशन) और राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स द्वारा प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। डीएमटी आगे जाकर अपने-अपने जिलों में ब्लॉक मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षित करेंगे और फिर ‘‘आदि सहयोगी’’ व ‘‘आदि साथी’’ तैयार करेंगे।
उद्देश्य – कोई पात्र परिवार वंचित न रहे
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदाय के हर पात्र परिवार तक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है। ‘‘आदि कर्मयोगी’’ के माध्यम से शासन और जनजातीय समाज के बीच की दूरी को कम करते हुए सैच्यूरेशन की दिशा में काम होगा, ताकि कोई भी परिवार योजनाओं से वंचित न रह जाए।
कार्यशाला में उत्साह और सहभागिता
चार दिवसीय इस कार्यशाला में राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स, बीआरएलएफ की प्रतिनिधि जानकी, और 25 जिलों से आए चयनित डिस्ट्रिक्ट मास्टर ट्रेनर्स शामिल हुए। विभिन्न सत्रों में अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा विषय-वस्तु आधारित प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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