जयपुर। संविधान दिवस के अवसर पर राजस्थान विधानसभा में “वंदे मातरम् दीर्घा” का भव्य उद्घाटन किया गया। विधानसभा अध्यक्ष श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि “देश का संविधान पूरी तरह सुरक्षित है, इसे कोई खतरा नहीं है। संविधान भारत की आत्मा, वर्तमान और भविष्य का आधार है।” उन्होंने बताया कि भारत का संविधान विश्व में अद्वितीय है, क्योंकि इसके माध्यम से सत्ता का हस्तांतरण हमेशा शांतिपूर्ण ढंग से होता आया है।
वंदे मातरम्—स्वाधीनता की सामूहिक चेतना का प्रतीक
श्री देवनानी ने कहा कि “वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, यह मातृभूमि के प्रति समर्पण, औपनिवेशिक दमन के खिलाफ प्रतिरोध और स्वतंत्रता की सामूहिक चेतना का प्रभावी प्रतीक है।”
युवा संवाद समारोह में दीर्घा का उद्घाटन करते हुए उन्होंने बताया कि देश की विधानसभाओं में राजस्थान विधानसभा पहली है, जहां वंदे मातरम् दीर्घा का निर्माण किया गया है।
वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में इसके ऐतिहासिक पहलुओं को चित्रों और साक्ष्यों के माध्यम से दीर्घा में प्रदर्शित किया गया है।
विधानसभा में नई पहलें: वंदे मातरम् दीर्घा, संविधान दीर्घा और शौर्य वाटिका
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष संविधान दिवस पर संविधान दीर्घा का लोकार्पण किया गया था और विधानसभा परिसर में शौर्य वाटिका भी स्थापित की गई है।
इस वर्ष वंदे मातरम् दीर्घा का उद्घाटन उनकी पहल का एक और महत्वपूर्ण कदम है।
संविधान दिवस—जीवंत संकल्प और मूल्यों की पुनर्पुष्टि
अध्यक्ष देवनानी ने कहा कि संविधान दिवस सिर्फ स्मृति दिवस नहीं, बल्कि
● न्याय
● स्वतंत्रता
● समानता
● बंधुत्व
जैसे मूल्यों को दृढ़ करने का पर्व है।
उन्होंने युवाओं से आह्वान किया:
“संविधान को केवल पढ़ें नहीं, अपने जीवन में उतारें। अधिकारों के साथ कर्तव्यों का निर्वहन ही राष्ट्रसेवा का सही मार्ग है। राष्ट्र सर्वोपरि है—राष्ट्र है तो हम हैं।”
नेताओं ने भी साझा किए विचार
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संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि संविधान की मूल भावना न्याय है और हर नागरिक को न्याय मिलना ही उसका उद्देश्य है।
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नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि संविधान की मजबूती बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
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अतिरिक्त महाधिवक्ता जीएस गिल ने कहा कि संविधान वास्तव में राष्ट्र की सामूहिक भावना का प्रतिबिंब है।
वंदे मातरम् दीर्घा—37 पैनलों में स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि दीर्घा में 37 पैनलों के माध्यम से वंदे मातरम् के इतिहास और महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत किया गया है—
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1875 में अक्षय नवमी के दिन रचना
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बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा मुर्शिदाबाद (लालगोला) में लेखन
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संस्कृतनिष्ठ बंगाली की मूल पांडुलिपि
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स्वदेशी आंदोलन और क्रांतिकारियों का योगदान
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दुर्लभ फोटोग्राफ, दस्तावेज, भाषण और वीडियो सामग्री
यह सब युवाओं, शोधार्थियों और आम आगंतुकों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित होगा।
दीर्घा—इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रभावना का अद्वितीय संगम
श्री देवनानी के अनुसार दीर्घा का उद्देश्य नई पीढ़ी में राष्ट्रप्रेम, कर्तव्यनिष्ठा और संवैधानिक प्रतिबद्धता का संदेश देना है।
यह दीर्घा राजस्थान विधानसभा की गरिमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है।
राजनैतिक आख्यान संग्रहालय—राजस्थान की कला-संस्कृति का सजीव प्रदर्शन
उन्होंने बताया कि संग्रहालय के प्रवेश पथ को राजस्थान की कला और संस्कृति के अनुरूप नवाचार के साथ सजाया गया है—
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महापुरुष
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लोक कला व लोक नृत्य
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राष्ट्रीय पक्षी व राज्य पशु
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पारंपरिक हाथी-घोड़े
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राजस्थान की ऐतिहासिक कलाकृतियां
इन भित्ति चित्रों के माध्यम से आगंतुकों को राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत अनुभव मिलता है।
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