Editor’s comment : यह जो खबर आप पढ़ रहे हैं, अखबारों में भी पढ़ने को मिलेगी। उदयपुर में टूरिज्म साइट को विकसित करना यहां के लोगों के लिए अच्छी बात है। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। लेकिन इन घोषणाओं को करने से पहले पूर्व में विकसित योजनाओं का भी हाल जान लेना चाहिए। महाराणा प्रताप से जुड़े स्मारकों को पर्यटन की दृष्टि से करोड़ों रुपए खर्च कर विकसित किया गया। उनका क्या हाल है? क्या हल्दीघाटी भी पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो सकी है? यही नहीं उदयपुर शहर के आसपास विकसित किए गए स्थान विकसित हाे चुके हैं। एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित जयसमंद झील भी क्या पर्यटन की दृष्टि से विकसित हो चुकी है? इन सब सवालों के जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं होंगे। जिस जावर को हेरिटेज टूरिज्म साइट के रूप में विकसित करने की योजना बनी है, करोड़ों खर्च के बाद भी वहां पर्यटक नहीं जा पाएंगे। इस पर रिसर्च करने की जरूरत है।
यहां से पढ़िए पूरी खबर
उदयपुर, 29 जुलाई। प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मंशानुरूप विश्व प्रसिद्ध उदयपुर में देशी-विदेशी पर्यटकों के अधिक ठहराव एवं पर्यटन हेतु नए स्थल विकसित करने की दिशा में सरकार द्वारा हरसंभव प्रयास किये जा रहे है। उदयपुर जिले में नए पर्यटन स्थलों का विकास होने से ना सिर्फ पर्यटकों में इजाफा होगा बल्कि यहां उनके ठहराव की अवधि में भी विस्तार होगा जिससे जिले की अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष लाभ होगा। शताब्दियों पूर्व से खनन के लिए विख्यात जावर क्षेत्र में पर्यटन विकसित होने से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे। हाल ही जारी हुए बजट की घोषणाओं के अनुरूप क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय बजट घोषणाओं को धरातल पर उतारने की तैयारियों में जुट गया है। इसी कड़ी में गत 18 जुलाई को पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने जावर क्षेत्र का दौरा कर स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं निवासियों से चर्चा कर क्षेत्र में पर्यटन के विकास के संदर्भ में सुझाव लिए एवं तकनीकी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए सर्वे रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को प्रेषित की है।
’क्या है जिओ हेरिटेज पर्यटन, कैसे होगा लाभ’
जिओ हेरिटेज पर्यटन, या भौगोलिक धरोहर पर्यटन, एक विशेष प्रकार का पर्यटन है जो किसी क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं, जैसे पर्वत, नदियाँ, और भूगर्भीय खनिज संपदाओं पर आधारित होता है। इसमें स्थानीय भौगोलिक संरचनाओं, उनके निर्माण की प्रक्रियाओं, और उनके ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया जाता है। इसका उद्देश्य पर्यटकों को प्राकृतिक और भूगर्भीय धरोहर की समझ प्रदान करना और उसे संरक्षित करने के महत्व को बढ़ाना है। इस प्रकार का पर्यटन न केवल शिक्षा और जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देता है। उदयपुर जिले का जावर भी एक प्राचीन भू धरोहर स्थल जिओ हेरिटेज साइट है यहां जिओ टूरिज्म विकसित करने की अपार संभावनाएं है जिसके तहत जावर में चिन्हित स्थानों पर बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएँ, सूचनात्मक डिस्प्ले बोर्ड, साइनेज, बैठक व्यवस्था, सोलर लाइट आदि कार्य करवाए जाने प्रस्तावित है। इस क्षेत्र के आसपास तीन किलोमीटर की परिधि में जावर माता मंदिर, प्राचीन जैन मंदिर, बावड़ी आदि अन्य पर्यटकीय महत्त्व के स्थल स्थित हैं, इस कारण इस क्षेत्र को पर्यटन हब के रूप में विकसित करने की प्रबल संभावनाएं हैं। ’जावर माता मंदिर क्षेत्र का भी होगा विकास’
जावर में जिओ हेरिटेज पर्यटन सुविधाओं के विकास साथ ही प्रसिद्ध जावर माता मंदिर एवं आसपास क्षेत्र में यात्री सुविधाओं के विस्तार का कार्य करवाया जाना भी प्रस्तावित है। इस संदर्भ में हुई बजट घोषणा अनुरूप क्षेत्रीय पर्यटन कार्यालय द्वारा सर्वे रिपोर्ट तैयार कर राज्य सरकार को प्रेषित की गई है। इसके तहत जावर माता मंदिर के बाहर पार्किंग निर्माण, बैठक व्यवस्था, सोलर लाइट, मंदिर के पास से स्कूल की तरफ रिटेनिंग वाल एवं रिंग रोड का निर्माण, गार्डन विकाम, मंदिर के पास स्थित बावड़ी का जीर्णोद्धार, साइनेज आदि कार्य प्रस्तावित हैं।
जावर के साथ ही जिओ हेरिटेज साइट के रूप में ख्यात झामरकोटडा में भी पर्यटकों को रिझाने हेतु विकास के कार्य करवाएं जाएंगे। इस क्रम में गत 13 जुलाई को पर्यटन विभाग एवं भू विज्ञान एवं खान विभाग के अधिकारियों ने झामरकोटडा का दौरा कर फॉसिल पार्क विकसित करने की संभावनाएं जताई। यहाँ फॉसिल पार्क विकसित किया जा सकता है जिसमें बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएँ, जीवाश्म डिस्प्ले एरिया आदि कार्य करवाए जाने संबंधित सर्वे रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकार को प्रेषित की गयी है। दरअसल झामरकोटडा में 180 करोड़ वर्ष पुरानी चट्टाने पाई गई है। फॉसिल पार्क का महत्व प्राकृतिक इतिहास और विज्ञान के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। प्रस्तावित फॉसिल पार्क प्राचीन जीवाश्मों के संरक्षण और अध्ययन के लिए समर्पित होगा, जो पृथ्वी की प्राचीन जीवन संरचना और पारिस्थितिक तंत्र की जानकारी प्रदान करेगा। फॉसिल पार्क न केवल शोधकर्ताओं को जीवाश्मों की खोज और विश्लेषण में मदद करेगा, बल्कि पर्यटकों को भी पुराने काल की जानकारी प्रदान करेगा।
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