दास्तान-ए-पुलिस : जनता की आंखों में हीराे बनकर उभरी खेरवाड़ा पुलिस  

बेटी की शादी के लिए बनवाए गुम हुए सोने के जेवरात लौटाने की अनोखी दास्तान

ये कहानी है इंसानियत की, भरोसे की, और खेरवाड़ा के उन बहादुर पुलिसकर्मियों की, जिन्होंने अपने कर्तव्य से बढ़कर एक परिवार की उम्मीदों को फिर से जगाया।

वालचंद माधवलाल सोनी की बेटी की शादी का वक्त था, वो समय जब एक पिता अपनी बेटी को अपने आशीर्वाद और खून-पसीने से कमाई हर दौलत के साथ विदा करना चाहता है। मुंबई के रहने वाले वालचंद अपने जीवनभर की पूंजी से बनवाए गए सोने-चांदी के जेवरात लेकर राजस्थान के अपने गांव भीलवाड़ा लौट रहे थे। उनकी कार उदयपुर के पास खेरवाड़ा के हाईवे पर तेजी से दौड़ रही थी। तभी किस्मत ने एक दर्दभरा मोड़ लिया।

रास्ते में, खेरवाड़ा के पास, वालचंद अपनी कार रोकते हैं, थोड़ी देर आराम करने के लिए गाड़ी की डिकी खोलते हैं, और खाने के बैग को पीछे रखना भूलकर गलती से सोने-चांदी से भरा बैग वहां छोड़ देते हैं। जब तक उन्हें अपनी गलती का एहसास होता, उनका बैग गिर चुका था, जिसमें उनके बेटी की शादी का सपना संजोया हुआ था।

पुलिस की चौकस निगरानी और कड़ी मेहनत

जिला पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल के निर्देशानुसार खेरवाड़ा थानाधिकारी दिलीप सिंह झाला के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। इस टीम ने न केवल घटनास्थल पर चाय की दुकान वाली महिला से पूछताछ की बल्कि पूरे इलाके के करीब 60 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले, जिससे एक संदिग्ध मोटरसाइकिल की पहचान की जा सकी। टेक्निकल सपोर्ट और स्थानिय जानकारियों की मदद से पुलिस ने उस व्यक्ति को ढूंढ निकाला जिसने बैग सड़क से उठाया था।

अमूल्य खोने के बाद भी उम्मीद का जिंदा रहना

उन्होंने तुरंत हाईवे पर खोजबीन की, हर गुजरते वाहन वाले से पूछा, लेकिन बैग का कहीं कोई निशान नहीं। थके-हारे वो खेरवाड़ा पुलिस थाने पहुंचे। उनकी कहानी सुनकर खेरवाड़ा थानाधिकारी दिलीप सिंह झाला ने इस घटना को महज एक केस नहीं बल्कि अपनी जिम्मेदारी माना।

पुलिस की खोजी टीम का ‘मिशन-गुमशुदा’

दिलीप सिंह झाला के नेतृत्व में एक स्पेशल टीम बनाई गई, जिसमें पुलिसकर्मियों ने लगातार चार दिन तक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। उन्होंने हर रास्ते, हर पुल, और हर टोल नाके की जांच की। एक संदिग्ध बाइक पर बैठे आदमी और उसके पीछे बैठी महिला की तस्वीर उभरी। जैसे एक फिल्म में मुख्य किरदार का प्रवेश होता है, ठीक वैसे ही इस जोड़ी पर शक गहरा गया।

तकरीबन 50 मोटरसाइकिलों की जांच और एक बारीक सुराग

पुलिस ने हर सम्भव मोटरसाइकिल मालिक से संपर्क किया। आखिरकार एक गाड़ी नंबर RJ27BY8357 सामने आया, जो जीवन मीणा नामक एक स्थानीय निवासी की निकला। जीवन ने कहा कि उसने बैग उठाया तो था, लेकिन परिवार में हुई एक मौत के कारण पुलिस को बताने का समय नहीं मिला। बैग उसके पास था, और वो इसे लौटाना चाहता था।

हीरो की वापसी और बिछड़े सपनों का मिलन

जब पुलिस टीम ने उस बैग को पीड़ित वालचंद को सौंपा, तो उनके चेहरे पर सुकून की एक अनमोल मुस्कान थी। सोने के जेवरात अपने सही हाथों में वापस आ चुके थे।

पुलिसकर्मियों ने इस कहानी को अंजाम तक पहुँचाया। एक बेटी की शादी की तैयारी पूरी हुई और खेरवाड़ा पुलिस, जनता की आँखों में हीरो बनकर उभरी।

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