
उदयपुर। देश की औद्योगिक प्रगति की एक चमकदार मिसाल बनी है हिन्दुस्तान ज़िंक लिमिटेड। वेदांता समूह की इस अग्रणी कंपनी ने बीते दो दशकों में न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया है।
वेदांता के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर साझा किया कि 2002 में जब भारत सरकार ने हिन्दुस्तान ज़िंक का निजीकरण कर इसे वेदांता को सौंपा, तब से देश के औद्योगिक विकास का नया अध्याय शुरू हुआ। उस समय भारत ज़िंक का आयात करता था और उस पर भारी ड्यूटी लगती थी। लेकिन आज, हिन्दुस्तान ज़िंक दुनिया की सबसे बड़ी एकीकृत ज़िंक उत्पादक कंपनियों में से एक है।
चांदी का उत्पादन 15 गुना बढ़ा
जहां पहले भारत में चांदी का उत्पादन नगण्य था, वहीं हिन्दुस्तान ज़िंक ने अनुसंधान और तकनीक के बल पर उसे 15 गुना तक बढ़ाया। इससे न केवल घरेलू मांग की पूर्ति हुई, बल्कि भारत वैश्विक स्तर पर भी उभरा।
रोज़गार और स्थानीय विकास में उल्लेखनीय योगदान
राजस्थान में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोज़गार मिला, जबकि 1000 से अधिक सहायक उद्योगों का विकास हुआ। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नया जीवन मिला है।

पर्यावरण और नवाचार में भी अग्रणी
हिन्दुस्तान ज़िंक का सफर केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रहा। यह कंपनी लगातार दूसरे साल एसएंडपी ग्लोबल कॉरपोरेट सस्टेनेबिलिटी असेसमेंट में मेटल एंड माइनिंग सेक्टर की सबसे सस्टेनेबल कंपनी घोषित हुई है। साथ ही कंपनी ने कम कार्बन उत्सर्जन वाले ‘इकोजेन’ ब्रांड के रूप में एशिया का पहला ग्रीन ज़िंक उत्पाद लॉन्च किया है।
समाज के लिए भी संवेदनशीलता की मिसाल
1.9 मिलियन लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली सीएसआर पहलों के कारण हिन्दुस्तान ज़िंक भारत की शीर्ष 10 सीएसआर कंपनियों में शामिल हो चुकी है।
महिलाओं की भागीदारी में भी अग्रणी
25% से अधिक जेंडर डाइवर्सिटी के साथ हिन्दुस्तान ज़िंक माइनिंग और मेटल इंडस्ट्री में महिला भागीदारी को नए आयाम दे रही है।
अनिल अग्रवाल का कहना है, “अब तक का ये सफ़र बहुत ही अमेज़िंग रहा है, और ये तो बस शुरुआत है।” इस आत्मविश्वास और प्रतिबद्धता के साथ हिन्दुस्तान ज़िंक न केवल भारत की आर्थिक शक्ति बन चुकी है, बल्कि सतत विकास की दिशा में भी प्रेरणा बन रही है।
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