फोटो : कमल कुमावत
![](https://habibkireport.com/wp-content/uploads/2025/01/img-20250129-wa06794390890101315824469-1024x678.jpg)
उदयपुर बीजेपी में शहर जिलाध्यक्ष के तौर पर गजपाल सिंह राठौड़ और देहात जिलाध्यक्ष के रूप में पुष्कर तेली की नियुक्ति महज एक संगठनात्मक फेरबदल नहीं बल्कि राजनीतिक संतुलन का बड़ा संकेत मानी जा रही है। यह बदलाव न केवल पार्टी के भीतर जातिगत और गुटीय समीकरणों को झकझोर रहा है, बल्कि इसका असर गुलाबचंद कटारिया जैसे दिग्गज नेताओं के प्रभाव क्षेत्र पर भी पड़ता दिख रहा है। सवाल यह है कि क्या यह बदलाव सचमुच कटारिया की अनदेखी का संकेत है या फिर अंदरखाने कोई और रणनीति काम कर रही है?
![](https://habibkireport.com/wp-content/uploads/2025/01/img-20250129-wa06643226654883082182783-1024x678.jpg)
जातीय समीकरण और नई राजनीति की आहट
अब तक उदयपुर में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही जैन और ब्राह्मण वर्चस्व की राजनीति करते आए हैं। कांग्रेस ने फतह सिंह राठौड़ को जिलाध्यक्ष बनाकर राजपूत समाज को साधने की पहल की थी। अब बीजेपी ने भी गजपाल सिंह राठौड़ को लाकर उसी राजनीतिक संतुलन को साधने की कोशिश की है। सवाल यह है कि क्या यह निर्णय पार्टी की नए सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश है या फिर किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा?
कटारिया का कद कम करने की कोशिश या नई टीम की रणनीति?
![](https://habibkireport.com/wp-content/uploads/2025/01/img-20250129-wa09117243579633002270879-1024x576.jpg)
इस बदलाव से एक बात साफ नजर आ रही है कि गुलाबचंद कटारिया की पुरानी टीम अब हाशिए पर जाने की कगार पर है। बीजेपी में अलका मूंदड़ा और रामकृपा शर्मा जैसे नामों की चर्चा थी, लेकिन अंतिम समय में इन सभी को किनारे कर दिया गया। इसका सीधा असर विधायक ताराचंद जैन की सियासी पकड़ पर भी पड़ सकता है। पार्टी कार्यालय में इस फैसले के बाद उनके विरोधी खुलकर सामने आ गए, जिससे साफ है कि यह सिर्फ नियुक्ति नहीं बल्कि भीतर ही भीतर बड़े बदलाव की शुरुआत है।
गजपाल राठौड़ की नियुक्ति पर विवाद क्यों?
![](https://habibkireport.com/wp-content/uploads/2025/01/img-20250129-wa06805668629707994045349-1024x678.jpg)
गजपाल सिंह राठौड़ को लेकर एक पक्ष खुलकर समर्थन में आ गया है, तो दूसरा विरोध में।
समर्थक इस नियुक्ति को राजपूत समाज को साधने और संगठन को मजबूती देने की रणनीति बता रहे हैं।
विरोधियों ने सोशल मीडिया पर गजपाल सिंह को “बाहरी” बताना शुरू कर दिया, हालांकि वे पिछले 25-30 सालों से उदयपुर में सक्रिय हैं और छात्र राजनीति से लेकर संगठन तक उनका दखल रहा है।
प्रमोद सामर की भूमिका इस नियुक्ति में महत्वपूर्ण बताई जा रही है, लेकिन गजपाल सिंह के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजेंद्र राठौड़, मदन राठौड़ जैसे बड़े नेताओं से निजी संबंध भी इस फैसले को प्रभावित करने वाला कारक हो सकता है।
![](https://habibkireport.com/wp-content/uploads/2025/01/img-20250129-wa06772938069358866557037-678x1024.jpg)
नगर निगम और पंचायत चुनावों की परीक्षा
बीजेपी में बांसवाड़ा, अजमेर और अलवर जैसे जिलों में भी जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन पार्टी आमतौर पर अपने फैसलों से पीछे नहीं हटती। उदयपुर में इन नए चेहरों की असली परीक्षा आने वाले नगर निगम और पंचायत चुनावों में होगी। यही चुनाव तय करेंगे कि गजपाल सिंह और पुष्कर तेली की नियुक्ति सही रणनीति थी या फिर संगठन में असंतोष को और गहराने वाला कदम।
अंततः, नई बीजेपी या अंदरूनी कलह का संकेत?
उदयपुर में हुए इन बदलावों से साफ हो गया है कि बीजेपी अब परंपरागत सत्ता केंद्रों से आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है। यह बदलाव क्या सच में कटारिया की अनदेखी का संकेत है, या फिर पार्टी ने उनके ही समर्थन से यह निर्णय लिया है, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा। लेकिन एक बात तो तय है—उदयपुर बीजेपी की राजनीति में बड़ा बदलाव दस्तक दे चुका है और इस नए सियासी खेल का असली परिणाम अब आगामी चुनावों में देखने को मिलेगा।
About Author
You may also like
-
शायराना परिवार ने शायराना अंदाज में किया सुखेर थाना अधिकारी का अभिनंदन
-
क्राइम स्टोरी : रूप नगर कच्ची बस्ती के शाबिर हुसैन के मर्डर क्यों और किसने किया?
-
क्राइम स्टोरी : एक शांत कॉलोनी, एक खून से लथपथ लाश, और 24 घंटे में सुलझा ब्लाइंड मर्डर
-
डायमंड जुबली जम्बूरी त्रिची तमिलनाडु में राजस्थान प्रथम, जंबूरी की सर्वोच्च पताका राजस्थान ने जीती
-
उदयपुर के नए कलेक्टर ने किया सुपर स्पेश्यलिटी हॉस्पीटल का अवलोकन, मरीजों से किया संवाद, सुविधाओं की ली जानकारी