
(यह तस्वीर एआई से जनरेट की गई है।)
उदयपुर— प्यार, वादे, और फिर बेवफाई का खेल… ये कहानी किसी फिल्म की पटकथा जैसी लगती है, लेकिन यह हकीकत है। एक असिस्टेंट प्रोफेसर और एक पुलिस अधिकारी के बीच शुरू हुई प्रेमकहानी, धीरे-धीरे धोखे, धमकी और ब्लैकमेलिंग के जाल में फंस गई।
“इश्क़ में हम तुम्हें क्या बताएं,
कैसे-कैसे सितम सह गए,
जो कहा था कभी साथ देंगे,
वही हाथ से हाथ छूटे गए।”
फेसबुक से फार्महाउस तक…
2015 में फेसबुक पर पहली बार मुलाकात हुई थी असिस्टेंट प्रोफेसर और पुलिस अधिकारी हरेंद्र सिंह सोदा की जो उदयपुर में सीआईडी सीबी में तैनात है। चैटिंग बढ़ी, दोस्ती गहरी हुई, और फिर दोनों की मुलाकातें शुरू हो गईं। हरेंद्र ने खुद को तलाकशुदा बताया, जिससे युवती को यकीन हुआ कि उनका रिश्ता एक खूबसूरत मोड़ ले सकता है। लेकिन इस रिश्ते का अंजाम कुछ और ही था।
शादी का झांसा, फार्महाउस पर रिश्ता… और फिर ब्लैकमेलिंग
“वादों की दुनिया बसाने चले थे,
ख़्वाबों के महल सजाने चले थे,
पर जब बात आई निभाने की,
तो हम ही इल्ज़ाम उठाने चले थे।”
2019 में जब हरेंद्र का ट्रांसफर कोटा हुआ, तो उसने युवती को मिलने बुलाया। युवती को लगा कि वह उससे शादी की बात करेगा, लेकिन हकीकत इससे अलग थी। फार्महाउस की तन्हाई में, हरेंद्र ने शादी का झांसा देकर उससे संबंध बनाए। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका—कभी रिसॉर्ट, तो कभी फार्महाउस में जबरदस्ती शराब पिलाकर शारीरिक संबंध बनाए गए।
जब युवती ने शादी की बात उठाई, तो हरेंद्र का रुख बदलने लगा। उसके पास अब सबूत थे—तस्वीरें, चैट्स और कुछ निजी पलों की रिकॉर्डिंग। युवती ने जबरन बनाए गए इस रिश्ते से खुद को अलग करना चाहा, तो हरेंद्र ने उसे धमकाना शुरू कर दिया।
“रिपोर्ट करोगी? मेरा बाल भी बांका नहीं होगा”
हरेंद्र सिंह का रुतबा छोटा नहीं था—वह खुद पुलिस अधिकारी था। जब युवती ने पुलिस में शिकायत करने की धमकी दी, तो जवाब आया—
“तू शिकवा करे या शिकायत करे,
मुझे अपने हक़ का यकीन है,
सियासत में हम जैसे लोगों को,
कानून भी सलाम ठोकता है!”
डर और बेबसी के इस दौर में, युवती अकेली रह गई। उसने बड़गांव थाने में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन उसकी एफआईआर नहीं लिखी गई। जब चारों तरफ से दरवाजे बंद हो गए, तो वह जयपुर गई और डीजीपी के सामने पेश हुई। तब जाकर मामला दर्ज हुआ और जांच डीएसपी कैलाश चंद्र को सौंपी गई।
ब्लैकमेलिंग और बदले की आग
“बेवफाई का इल्ज़ाम भी हम पे आया,
बर्बादी का मुक़द्दमा भी हम पे आया,
जो खुद ही हमें रौंदकर चला गया,
वो ही जमाने को कहता फिरा,
कि हमसे मोहब्बत में धोखा हुआ!”
हरेंद्र ने सिर्फ धमकियां ही नहीं दीं, बल्कि बदले की कार्रवाई भी की। उसने पहले ही सवीना थाने में युवती के खिलाफ 20 लाख रुपये हड़पने की शिकायत दर्ज करवा दी थी, जिसके चलते युवती को 36 दिन जेल में रहना पड़ा। बाहर आते ही उसने भी हरेंद्र के खिलाफ केस कर दिया।
क्या था प्यार, क्या थी साजिश?
अब सवाल ये है कि यह सच में एक लव स्टोरी थी या फिर किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा? क्या युवती वाकई ब्लैकमेलिंग का शिकार हुई, या फिर यह एक हनीट्रैप का मामला था?
पुलिस अधिकारी कहता है कि उसके खिलाफ साजिश रची गई है, जबकि युवती न्याय की गुहार लगा रही है। सच जो भी हो, लेकिन यह कहानी बता रही है कि कैसे प्यार, वफादारी और भरोसे के नाम पर इंसान को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।
अंजाम क्या होगा?
अब यह केस अदालत की चौखट पर है। सवाल सिर्फ कानून का नहीं, बल्कि समाज की सोच का भी है—क्या ताकतवर लोग यूं ही कमजोरों को दबाते रहेंगे? क्या प्यार की आड़ में धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग का यह खेल यूं ही चलता रहेगा?
“तू ग़लत था, मगर तेरा रुतबा बड़ा था,
मैं सही थी, मगर मेरा कोई साथ न था,
अब देखेंगे कौन जीतेगा इस बाज़ी में,
क्योंकि फैसला अदालत में होना बाकी था!”
फैसला जो भी हो, लेकिन इस कहानी ने यह जरूर साबित कर दिया कि इश्क जब धोखे और साजिश में बदल जाता है, तो वह किसी की जिंदगी को पूरी तरह तबाह कर सकता है।
About Author
You may also like
- 
                
DMK Takes Battle Over Electoral Roll Revision in Tamil Nadu to the Supreme Court
 - 
                
भारत ने रचा इतिहास: विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप पर कब्ज़ा, फाइनल में दक्षिण अफ्रीका 52 रन से पराजित
 - 
                
Jodhpur Shocked as Bus-Trailer Collision Claims 18 Lives
 - 
                
नारायण सेवा संस्थान में तुलसी–शालिग्राम विवाह धूमधाम से सम्पन्न
 - 
                
बीजेपी में जन्मदिन की राजनीति का बढ़ता ट्रेंड — रवींद्र श्रीमाली का सम्मान और सियासी संदेश